तबस्सुम (हिन्दी फ़िल्म कलाकार)
तबस्सुम | |
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जन्म |
९ जुलाई १९४४ मुंबई |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य नाम | बेबी तबस्सुम |
व्यवसाय | अभिनेत्री, बातचीत कार्यक्रम की परिचारिका |
कार्यकाल | १९४७-अब तक |
प्रसिद्धि कारण | फूल खिले हैं गुलशन गुलशन |
जीवनसाथी | विजय गोविल |
तबस्सुम हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। लेकिन अपने काम के लिए वह सबसे ज़्यादा जानी जाती हैं फूल खिले हैं गुलशन गुलशन से, जो १९७२ से लेकर १९९३ तक दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ,[१] और जिसमें तबस्सुम फ़िल्मी हस्तियों और टेलिविज़न अभिनेताओं-अभिनेत्रियों का साक्षात्कार लिया करती थीं।[२]
व्यक्तिगत जीवन
तबस्सुम का जन्म ९ जुलाई १९४४ को मुंबई में हुआ था। उनके पिता अयोध्यानाथ सचदेव, जो कि एक स्वतंत्रता सेनानी थे, तथा उनकी माता असग़री बेग़म जो कि एक लेखक और पत्रकार थीं। उन्होंने अपनी फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत १९४७ में ही मेरा सुहाग फ़िल्म से शुरु कर दी थी जब उनकी उम्र महज़ तीन वर्ष थी। बचपन में उनका नाम बेबी तबस्सुम दर्शाया जाता था।
उनका विवाह विजय गोविल से सम्पन्न हुआ है, जो कि अरुण गोविल के बड़े भाई हैं। अरुण गोविल ने रामानन्द सागर के प्रसिद्ध दूरदर्शन धारावाहिक रामायण में राम की भूमिका अदा की थी।
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
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1986 | चमेली की शादी | ||
1985 | सुर संगम | ||
1985 | ज़बरदस्त | माल्ती | |
1985 | हम नौजवान | ||
1985 | हकीकत | ||
1973 | हीरा | ||
1972 | शादी के बाद | बसंती | |
1972 | आन बान | ||
1971 | तेरे मेरे सपने | ||
1971 | गैम्बलर | ||
1971 | अधिकार | रेखा | |
1970 | जॉनी मेरा नाम | ||
1969 | प्यार का मौसम | तारा | |
1963 | फिर वही दिल लाया हूँ | ||
1961 | धर्मपुत्र | ||
1960 | मुगल-ए-आज़म | ||
1954 | बाप बेटी | ||
1952 | बैजू बावरा | ||
1951 | दीदार | बेबी माला | |
1951 | अफ़साना | ||
1951 | बहार | शशि | |
1951 | आराम | बेबी | |
1950 | सरगम |
नामांकन और पुरस्कार
सन्दर्भ
- ↑ Conjugations: Marriage and Form in New Bollywood Cinema स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Sangita Gopal, pp. 3, University of Chicago Press, 2012, ISBN 978-0-226-30427-4, ... Further, Hindi film became far more integrated with other forms of media — as exemplified by the proliferation of film magazines like Filmfare, Stardust, and Cine Blaze, as well as the phenomenal popularity of television shows like Chitrahaar and Phool Khile Hain Gulshan Gulshan ...
- ↑ Gandhi Meets Primetime: Globalization and Nationalism in Indian Television, Shanti Kumar, pp. 64, University of Illinois Press, 2006, ISBN 978-0-252-03001-7, ... Phool Khile Hain Gulshan Gulshan, which provided interviews and insights into the private lives of Bollywood heroes and heroines ...