2021 की भारतीय जनगणना

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भारत की १६वी जनगणना
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भारत की 2021 की जनगणना, जो देश की 16 वीं जनगणना है, वर्ष 2021 में संपन्न होगी। 2011 में हुई 15 वीं भारतीय जनगणना ने 1931 के बाद पहली बार सामाजिक-आर्थिक और जाति की स्थिति के आधार पर जनसंख्या का अनुमान लगाने का प्रयास किया। चूँकि यह उत्तरदाताओं के जवाब दर्ज करने पर आधारित थी, इसके चलते लाखों जाति / उपजाति श्रेणियाँ बनीं। 16 वीं भारतीय जनगणना के लिए, सरकार इसके बजाय प्रत्येक राज्य द्वारा अधिसूचित ओबीसी की सूची पर आधारित गणना पर विचार कर रही है।[१] हालांकि, फरवरी 2020 में, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 2021 की जनगणना के एक हिस्से के रूप में ओबीसी डेटा की मांग को खारिज कर दिया।[२][३] ऐसा माना जाता है कि भारत में COVID-19 महामारी का 2021 की जनगणना के आंकड़ों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।[४]

अप्रैल 2019 में, एक डेटा उपयोगकर्ता सम्मेलन आयोजित की गई थी, जिसमें यह घोषणा की गई थी कि जनगणना हेतु 3,30,000 प्रगणकों को सूचीबद्ध किया जाएगा। उन्हें अपने स्वयं के स्मार्ट फोन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, हालांकि एक पेपर का विकल्प (ऑफ़लाइन) भी उपलब्ध होगा, जिससे प्रगणकों को बाद में इलेक्ट्रॉनिक रूप में डेटा दर्ज करना होगा।[५] आगे यह घोषणा की गई कि घर की लिस्टिंग अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच आयोजित की जाएगी, और फरवरी 2021 में वास्तविक गणना और मार्च में एक संशोधन दौर प्रायोजित किए जाएँगे। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों और जम्मू और कश्मीर के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2020 होगी और देश के अन्य हिस्सों के लिए यह तिथि 1 मार्च 2021 होगी।[६]

सितंबर 2019 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2021 की राष्ट्रीय जनगणना पूरी तरह से मोबाइल फोन एप्लिकेशन के माध्यम से आयोजित की जाएगी।[७] 2021 की जनगणना 16 भाषाओं में की जाएगी। फरवरी 2021 में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन् ने अपने बजट भाषण में पुष्टि की कि 2021 की जनगणना भारत में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी।[८] वित्त मंत्री ने भारत के 2021 के केंद्रीय बजट में जनगणना करने के लिए 3,768 करोड़ आवंटित किए।[९] भारत में COVID-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई है।[१०]

संदर्भ

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