द अनेंडिंग गेम

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The Unending Game: A Former R&AW Chief's Insights into Espionage
द अनेंडिंग गेम: ए फॉर्मर आर एंड एडब्ल्यू चीफ्स इनसाइट्स इन एस्पियनज  
Vikram Sood Ex Intelligence Chief India book launch 1 (cropped).jpg
लेखक विक्रम सूद
देश भारत
प्रकाशक Penguin Random House
प्रकाशन तिथि 2018
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-670-09150-8

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लेखक विक्रम सूद नई दिल्ली में एक पुस्तक लॉन्च 2018 के दौरान

द अनेंडिंग गेम: एक पूर्व आर एंड एडब्ल्यू चीफ की इनसाइट्स इन एस्पियनज, भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R & AW) के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद की लिखी एक किताब है, जो 2018 में प्रकाशित हुई। सूद के अनुसार उनकी पुस्तक एक संस्मरण नहीं है, बल्कि बुद्धिमत्ता और जासूसी में एक शुरुआती मार्गदर्शक है। [१] [२] इस किताब के माध्यम से वे यह स्पष्ट करने की कोशिश करते हैं कि जासूसी की वास्तविक दुनिया जेम्स बॉन्ड फिल्मों की तरह नहीं है और "पोशाक बदलने -तलवार चलाने" से आगे भी है। वे मानते हैं कि वास्तविकता में जासूस की तुलना जॉन ले कैरे के उपन्यासों के (जासूस) किरदार जॉर्ज स्माइली से करना बेहतर है। [३] [४] पुस्तक आगे ख़ुफ़िया संग्रह और जासूसी के तरीकों और राष्ट्रीय हितों के दायरे में उनकी प्रासंगिकता के बारे में जानकारी देती है। [५]

यह पेंगुइन वाइकिंग द्वारा प्रकाशित हुई। इस पुस्तक को तीन अवधारणा-संबंधित खंडों में विभाजित किया गया है, जिन्हें "ट्रेडक्राफ्ट", "इनसाइड इंटेलिजेंस" और "व्हाट्स लाइज़ अहेड" के रूप में शीर्षक दिए गए हैं। दोनों विश्व युद्धों, गुप्त समाजों, भारत में मनोवैज्ञानिक युद्ध, केजीबी (भूतपूर्व सोवियत संघ की जासूसी संस्था) और सी आइ ए (अमेरिका की जासूसी संस्था) के जासूसों द्वारा भारतीय राजनीती में किए गए हस्तक्षेप का भी ज़िक्र किया गया है। पाकिस्तान और आई एस आई के अलावा 11 सितम्बर 2001 के हमले और 26/11 मुंबई हमले जैसी जासूसी विफलताओ को भी पुस्तक में सम्मिलित किया गया है ।[६] [७] [८] [९]

13 अगस्त 2018 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में "द अनडिंग गेम" की पुस्तक लॉन्च। तस्वीर में विक्रम सूद के अलावा स्मृति ईरानी, बैजयंत पांडा और शिवशंकर मेनन भी दिखाई दे रहे हैं। [१०]

किताब लॉन्च

भाग 1- ट्रेडक्राफ्ट

इस भाग में मूल बातें शामिल हैं जैसे कि बुद्धि की परिभाषा और मूल्य, जासूस का काम और एक आदर्श जासूस के लक्षण। [११]अध्याय 3 में अमेरिका के CIA और रूस के KGB के बीच लड़ाई शामिल है। अध्याय 4 एशिया में खुफिया एजेंसियों की दुनिया और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की भूमिका को कवर करता है। [१२] यह अध्याय बताता कि कैसे 1970 के दशक के दौरान चार वर्षों में, केजीबी ने भारतीय मीडिया में लगभग 17,000 कहानियाँ छपवाईं, और इसके लिए उन्होंने मित्रोख़िन आर्काइव (एक पूर्व सोवियत जासूस द्वारा सोवियत संघ की ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा किए गए कारनामों का क़बूलनामा) का हवाला दिया। [१३][१४][१५] पुस्तक में शीर्ष भारतीय अधिकारियों और राजनेताओं को शामिल किया गया है जो विदेशी खुफिया एजेंसियों से पैसे लेते थे। इस बात की भी चर्चा की गई है कि 1970 और 1980 के दशकों में भारत में मनोवैज्ञानिक युद्ध किस स्तर तक चाल रहा था। [१३][१६]रॉ के भूपूर्व अधिकारी रबिंदर सिंह की अमेरिका के लिए की गई जासूसी की भी बात की गई है। [१७] पुस्तक पाकिस्तान की पारंपरिक लड़ाई की जगह कम लागत वाले युद्ध को प्राथमिकता देने की नीति पर चर्चा की गई है। [१२]

भाग 2- इनसाइड इंटेलिजेंस

इस भाग में फाइव आइज़, स्नोडेन, पाइन क्रेकल, और सफारी क्लब जैसे विषयों और संगठनों के बारे में चर्चा की गई है। [१८] कैम्ब्रिज फाइव की भी चर्चा है।

भाग 3- व्हाट लाइज़ अहेड

भाग 3, जिसका शीर्षक है, "व्हाट लाइज़ अहेड", खुफिया दुनिया के तकनीकी भविष्य जैसे पहलुओं पर चर्चा करता है।

अध्याय 10 का शीर्षक है, नोन बाय देयर फ़ेलियर्ज़, यानी जासूसों को "उनकी विफलताओं से जाना जाता है"। इसमें 1991 में श्रीपेरंबुदूर में, कारगिल युद्ध, और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की चर्चा है। [१८]

रॉ और आईएसआई की तुलना

विक्रम सूद भारत की रॉ और पाकिस्तान की ISI के बीच अंतर बताते हुए कहते हैं कि इनमें मुख्य अंतर यह है कि आईएसआई पाकिस्तान के लिए नीतियाँ बना सकती है, जिसमें विदेश नीति भी शामिल है, जबकि R&AW भारत के नीति निर्माताओं के लिए केवल एक "सेवा प्रदाता" के रूप में काम करती है। [१९][२०][२१] अध्याय 11 में, पुस्तक में उन सुधारों और तरीकों पर चर्चा की गई है जो रॉ अपने प्रमुख पदों पर कर्मियों को नियुक्त करने के लिए अनुसरण कर सकती हैं। [२२] सूद के अनुसार खुफिया एजेंसियां "राष्ट्र की तलवार" हैंम न कि सरकार की। [२३] 2018 में द क्विंट केसाथ एक साक्षात्कार के दौरान, सूद ने कहा कि R&AW और ISI के बीच प्रतिद्वंद्विता बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताई जाती है। [२४]

बुक लॉन्च

पुस्तक का लोकार्पण 13 अगस्त 2018 को दिल्ली में हुआ, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल के साथ एक पैनल चर्चा हुई। [२५] कई पूर्व खुफिया प्रमुखों और रॉ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने भी पुस्तक लॉन्च में भाग लिया था। [२६]पुस्तक लॉन्च में, सूद ने कहा कि पाकिस्तानी सेना "पाकिस्तान की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट इकाई" है, और पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता करना "निरर्थक" है। [२७]उन्होंने कहा कि कश्मीर का उपयोग पाकिस्तानी सेना द्वारा सत्ता में बने रहने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल करती है, और पाकिस्तान पर उसका नियंत्रण है। [२८][२९] 2016 में, 3 अक्टूबर को बारामुला में एक हमले के बाद, जिसमें एक सीमा सुरक्षा बल का एक जवान शहीद हुआ था, तब भी सूद ने इसी तरह के विचार व्यक्त किए थे, "जब तक पाकिस्तान अपना रवैया नहीं बदलता, भारत को बातचीत नहीं करनी चाहिए।" [३०]

प्रतिक्रिया

इंडिया टुडे के लिए लिखते हुए पूर्व पुलिस अधिकारी विप्पल बालाचंद्रन ने अपनी समीक्षा में कहा कि यह पुस्तक "भारत और अन्य जगहों पर सुरक्षा नीति तैयार करने के लिए एक उपकरण के रूप में बुद्धिमत्ता के अध्ययन में एक लो-प्रोफाइल किंतु ठोस योगदान" है। [३१]

यह भी देखें

  • स्पाय क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई और शांति का भ्रम

संदर्भ

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  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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बाहरी कड़ियाँ