ईटानगर हवाई अड्डा

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साँचा:infobox ईटानगर हवाई अड्डा एक ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डा परियोजना है जिसका निर्माण राज्य की राजधानी ईटानगर से 14 किलोमीटर दक्षिण में होलोंगी में किया जाएगा, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश के पापुम पारे जिले में है। यह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा 320 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत एक नए 2300 मीटर रनवे, एक नए 5100 वर्ग मीटर में फैला टर्मिनल भवन का निर्माण जो कि व्यस्ततम समय के दौरान 200 यात्रियों को संभालने के लिए बनाया जाएगा, नया एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर तथा तकनीकी ब्लॉक और फायर स्टेशन जेसी सुविधाए उपलब्ध कराएगा तथा कुछ व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रावधान रखें गए हैं जैसे होटल, कन्वेंशन सेंटर इत्यादि। इसका एप्रन 115 मीटर लंबा और 106 मीटर चौड़ा होगा जिसमें 2 एयरबस A321 विमानों की पार्किंग के लिए उपयुक्त स्थान होगा।[२] इस परियोजना की आधारशिला प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 फरवरी 2019 को रखी।[३]

इतिहास

2007 में, अरूणाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने परियोजना के लिए उपयुक्त स्थान के रूप में, ईटानगर से 25 किमी दूर बांदरदेव को चुना था। जिसकी आधारशिला तत्कालीन गृहमंत्री, भारत सरकार शिवराज पाटिल ने 20 फरवरी 2007 को रखी।[४] हालांकि, ए ए आई की तकनीकी समिति ने इस स्थान को खारिज कर दिया और 2011 में परियोजना के लिए एक वैकल्पिक स्थान के रूप में होलोंगी की सिफारिश की। ए ए आई ने परिचालन सुरक्षा, निर्माण की कम लागत और भविष्य में विस्तार कि आसानी के आधार पर होलोंगी की सिफारिश की थी। समतल भूमि पर स्थित होने के कारण होलोंगी खराब मौसम में बेहतर उपयोग और निर्माण तथा विस्तार की गुंजाइश की अधिक सुविधाजनक स्थित में था। दूसरी ओर, बंदरदेवा स्थान एक पहाड़ी इलाकों से घिरा हुआ था और केवल एक दिशा से विमान के संचालन की अनुमति थी। बंदरदेवा में निर्माण की लागत 980 करोड रुपये का अनुमान लगाया गया था। मुकाबले में होलोंगी के लिए 650 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) और राज्य सरकार के बीच मतभेद के कारण विवाद पैदा हो गया, जिसके फलस्वरूप परियोजना में देरी हुई। अंततः प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जुलाई 2012 में विवाद को समाप्त करने के लिए कदम बढ़ाया और होलोंगी को अंतिम रूप दे दिया गया। [५] भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) ने अगस्त 2014 तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी पी आर) पर काम शुरू किया। पहले चरण में हवाई अड्डे के पास एक 2,300 मीटर का रन-वे होगा, जोकि पूर्व से पश्चिम कि और होगा जो छोटे वायुयान की सेवा के लिए होगा जिसे बाद में और बड़े हवाई जहाज को उतारने के लिए इसे 2,800 मीटर तक बढ़ाया जा सकता है। इस हवाई अड्डे का एप्रन 160 मीटर लंबा और 115 मीटर चौड़ा होगा जो की दो टैक्सी मार्गों द्वारा रनवे से जुड़ा हुआ होगा। हवाई अड्डे पर नाइट लैंडिंग सुविधाएं और नेविगेशन सुविधाएं जैसे डी वी ओ आर और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम होंगे।

बाहरी लिंक

{{भारत में विमानक्षेत्र}

सन्दर्भ