राष्ट्रीय चरखा संग्रहालय

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'किसान चरखा' जिसका प्रयोग नरेन्द्र मोदी ने किया था।

राष्ट्रीय चरखा संग्रहालय नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित संग्रहालय है। यह पालिका बाजार के ऊपर पहले से बने उद्यान पर निर्मित किया गया है। इसका निर्माण संयुक्त रूप से नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग ने कराया है। इस संग्रहालय की खासियत यह है की इसमें 26 फीट (9 मीटर) लंबा और 13 फीट (3.5 मीटर) ऊँचा क्रोमियम स्टेनलेस स्टील से बना चरखा है।[१] यह पाँच टन वजनी है और उस पर गर्मी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही यह ज़ंग प्रतिरोधी, गैर-चुंबकीय भी है।[२] यह चरखा दुनिया का सबसे बड़ा चरखा है। यह 9 मीटर लंबे और 6 मीटर चौड़े खुली जगह पर स्थापित किया गया है।

संग्रहालय में स्थापित अन्य चीज़ों में इस बड़े चरखे के समीप महात्मा गांधी की पहचान माने जाने वाले तीन बंदर (बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो तथा बुरा मत बोलो को दर्शाते है) भी हैं।[३] अन्य कई प्रकार के चरखे भी यहाँ प्रदर्शित किये गए हैं। इसका उदघाटन 21 मई 2017 को तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था।[४] इसमें प्रवेश करने की टिकट 20 रुपये है। टिकट लेने वालों को एक खादी का रूमाल प्रदान किया जाता है। साथ ही टिकटधारी खादी की सूत माला भी निःशुल्क ले सकते हैं। इन सूतमालाओं को तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा निर्मित किया जाता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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