जयपुर का नील मृद्भाण्ड
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जयपुर के नील मृद्भाण्ड ('ब्लू पॉटरी) प्रसिद्ध है। इसमें परम्परागत हरे एवं नीले रंग का प्रयोग होता है। यह अकबर के समय ईरान से लाहौर आयी। इसके बाद मानसिंह सिंह प्रथम लाहौर से इसे जयपुर लाये। इस कला का सर्वाधिक विकास राम सिह द्वितीय के समय हुआ। उन्होंने चूड़ामन एवं कालूराम कुम्हार को इस कला को सीखने के लिए दिल्ली भेजा था।
इस कला में चीनी मिट्टी के बर्तनों (मृद्भांड) पर नक्काशी का कार्य किया जाता है। कृपाल सिह शेखावत मऊ शिखर ब्लू पॉटरी के जादूगर थे। इन्होंने 25 रंगों का प्रयोग कर नई शैली बनायी जिसे 'कृपाल शैली' कहते हैं। इस कला हेतु इन्हें 1974 में पद्मश्री एवं 1980 में 'कलाविद' की उपाधि प्रदान की गई। mukesh dabla