मेघालय की अर्थव्यवस्था

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मेघालय भारत के पूर्वोत्तर सप्त भगिनी राज्यों में से एक है। यहां मुख्यतः पर्वतीय भूमि है जिसमें अत्यधिक वर्षा के कारण जलापूर्ति का बाहुल्य है। यहां मुख्य रूप से कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है। कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में ही लगभग मेघालय की दो-तिहाई जनशक्ति कार्यरत है। हालांकि इस क्षेत्र का राज्य की एनएसडीपी में योगदान मात्र एक-तिहाई ही है। राज्य में कृषि की कम उत्पादकता का प्रमुख कारण गैर-टिकाऊ कृषि परम्पराएं हैं। इन्हीं कारणों से कृषि में जनसंख्या के बड़े भाग के संलग्न होने के बावजूद भी राज्य को अन्य भारतीय राज्यों से भोजन आयात करना पड़ता है।साँचा:citation needed बुनियादी ढांचे की बाधाओं ने राज्य की अर्थव्यवस्था को भारत के बाकी भागों के मुकाबले उस तेजी से उच्च आय की नौकरियां सृजित करने से रोक रखा है।मेघालय का वर्ष २०१२ का सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्यों पर १६,१७३ करोड़ (US$२.१२ अरब) अनुमानित था।[१][२] २०१२ में भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, राज्य की लगभग १२% जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे थी जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में १२.५% एवं शहरी क्षेत्रों में ९.३% जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे थी।[३]

कृषि

मेघालयसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] में शिलांग को जाते मार्ग के निकट चाय के बाग।

मेघालय मूलतः एक कृषि प्रधान राज्य है जिसकी ८०% जनसंख्या अपनी आजीविका हेतु पूर्ण रूपेण कृषि पर ही निर्भर है। मेघालय के कुल भौगोलिक क्षेत्रफ़ल का लगभग १०% कृषि में प्रयोग किया जाता है। राज्य में कृषि प्रायः आधुनिक तकनीकों के अभाव या अति-सीमित प्रयोग के साथ होती है जिसके परिणामस्वरूप कम उत्पादन और कम उत्पादकता ही हाथ आती है। अतः इन कारणों से कृषि में लगी अधिकांश जनसंख्या के बावजूद भी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि उत्पादन का योगदान कम है, और कृषि में लगी अधिकांश जनसंख्या गरीब ही रहती है। खेती वाले क्षेत्र का एक भाग यहां की परंपरागत स्थानांतरण कृषि, जिसे स्थानीय भाषा में लोग झूम कृषि कहते हैं, के तहत है।

फ़सल उपज

मेघालय में वर्ष २००१ में २,३०,००० टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था। धान यहां की मुख्य खाद्यान्न फ़सल है जो राज्य के कुल खाद्यान्न उत्पादन का ८०% उत्तरदायी है। इसके अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण खाद्यान्नों में मक्का, गेहूं और कुछ अन्य अनाज एवं दालें भी उगायी जाती हैं। इनके अलावा यहां आलू, अदरख, हल्दी, काली मिर्च, सुपारी, तेजपत्ता, पान, शार्ट स्टेपल सूत, सन, मेस्ता, सरसों और कैनोला का भी उत्पादन किया जाता है। धान और मक्का जैसे प्रधान खाद्य फ़सलों के अलाव मेघालय बागों की फ़सलों जैसे सन्तरों, नींबू, अनानास, अमरूद, लीची, केले, कटहल और कई फ़ल जैसे आड़ू, आलूबुखारे एवं नाशपाती के उत्पादन में भी योगदान देता है।[४]

खाद्यान्न

अनाज और मुख्य खाद्यान्न उत्पादन यहां की कुल कृषि भूमि का ६०% घेर लेता है। १९७० के दशक के मध्य में उच्चोत्पादन देने वाली फ़सल की किस्मों के प्रयोग आरम्भ किये जाने से खाद्यान उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार आया था। धान की उच्चोत्पादन वाली किस्मों जैसे मसूरी, पंकज, आईआर-८, आरसीपीएल[५] एवं अन्य बेहतर किस्मों की शृंखला-विशेषकर आईआर-३६ जो रबी के मौसम के अनुकूल है, के प्रयोग से एक बड़ी सफ़लता प्राप्त की गयी, जिसके उप्रान्त वर्ष में तीन फ़सलें बोई जाने लगी थीं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा धान की शीत सहिष्णु किस्मों जैसे मेघा-१ एवं मेघा-२ के विकास कर यहां प्रयोग किये जाने से पुनः बड़ी सफ़लता मिली थी। परिषद के शिलांग के निकट उमरोई स्थित पूर्वोत्तर क्षेत्र केन्द्र द्वारा इन किस्मों को १९९१-९२ में उच्च ऊंचाई क्षेत्रों के लिए विकसित की गयी थी, जहां तब तक कोई उच्चोत्पादन किस्म नहीं होती थीं। आज राज्य यह दावा कर सकता है कि धान उत्पादन के कुल क्षेत्र का लगभग ४२% क्षेत्र उच्चोत्पादन किस्मों द्वारा रोपा जाता है और इनकी औसत उत्पादकता साँचा:convert है। ऐसा ही हाल मक्का और धान उत्पादन के लिये भी रहा है जहां एचवाईवी के प्रयोग किये जाने से उत्पादन १९७१-७२ में साँचा:convert से साँचा:convert मक्का और गेहूं साँचा:convert से साँचा:convert हो गया।[६]

तिलहन

कैनोला, सरसों, अलसी, सोयाबीन,अरण्डी और तिल जैसे तिलहन यहां लगभग साँचा:convert पर उगाए जाते हैं। कैनोला और सरसों यहां के सबसे महत्वपूर्ण तिलहन हैं,[७] जो यहां के लगभग ६.५ हजार टन के कुल तिलहन उत्पादन के दो-तिहाई से अधिक भाग देते हैं। कपास, सन और मेस्टा जैसी फ़सलें ही यहां की मुख्य नकदी फसलों में आती हैं और गारो पर्वत में उगाए जाते हैं।[८] हाल के वर्षों में इनके उत्पादन में गिरावट आयी है जो इनको बोई जाने वाली कृषि भूमि में होती कमी से भी दिखाई देता है।

फ़ल व सब्जियां

मेघालय की जलवायु यहां फ़ल, सब्जियों, पुष्पों, मसालों, मशरूम जैसी फ़लदार फ़सलों के अलावा चिकित्सकीय पौधों की विभिन्न किस्मों की उपज में बहुत सहायक है।[४] ये उच्च मूल्य फ़सल आंकी जाती हैं, किन्तु घरेलु उपयोगी फ़सलों की अत्यावश्यकता यहां के किसानों को इनकी खेती अपनाने से रोकती है। कुछ मुख्य फ़लदार फ़सलों में यहां रसीले फ़ल, अनानास, पपीते और केले आते हैं। इनके साथ साथ ही बड़ी मात्रा में यहां सब्जियां जैसे फ़ूलगोभी, बंदगोभी और मूली, आदि भी उगायी जाती हैं।

अन्य

पूरे राज्य भर में सुपारी के बाग खूब दिखायी देते हैं, विशेषकर गुवाहाटी से शिलांग राजमार्ग के किनारे के क्षेत्र में। इनके अलावा अन्य उद्यान फ़सलें जैसे चाय, कॉफ़ी और काजू यहां काफ़ी समय बाद पहुंचे किन्तु अब इनका प्रचलन भी बढ रहा है। मसालों, पुष्पों और मशरूमों की बड़ी किस्मों का उत्पादन राज्य भर में किया जाता है।

उद्योग

एमसीएलसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] सीमेण्ट संयंत्र का दृश्य। यह थैंग्स्काई, पोस्ट लुम्श्नौङ्ग, जयन्तिया हिल्स में स्थित है।

राज्य में विशेष भारी उद्योग अभी तक नहीं आये है, किन्तु इलेक्ट्रोनिक्स, आदि संबंधी लघु-उद्योग हैं। यहाँ स्थापित कुल उद्योगों की वर्तमान स्थिति अनुसार ५६ पंजीकृत कारख़ाने और १,९४१ छोटे उद्योगों की इकाइयाँ हैं।

राज्य में प्राकृतिक सम्पदा का बाहुल्य है। इनमें कोयला, चूनापत्थर, सिलिमैनाइट, चीनी मिट्टी और ग्रेनाइट आते हैं। मेघालय भर में वृहत स्तर के वनाच्छादन, समृद्ध जैव विविधता और प्रचुर जल सोत हैं। यहां निम्नस्तरीय औद्योगिकीकरण एवं अपेक्षाकृत खराब बुनियादी ढांचा राज्य की अर्थव्यवस्था के हित में इन प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए बाधा के रूप में कार्य करता है। हाल के वर्षों में ९०० एमटीडी से अधिक उत्पादन क्षमता वाले दो बड़े सीमेंट निर्माण संयंत्र जयन्तिया हिल्स जिले में लगे हैं एवं इस जिले में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाले चूना पत्थर के समृद्ध भण्डार का उपयोग करने के लिए कई और निर्माण प्रक्रिया में हैं। पुराने आंकड़ों के अनुसार वर्ष १९९३ में राज्य में २५,४३,००० टन कोयला एवं २,०९,००० टन चूनापत्थर का खनन किया गया था।[९]

विद्युत

मेघालयसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] में प्रचुर मात्रा में अविकसित जलविद्युत संसाधन उपलब्ध हैं। ऊपर मावफ़्लांग बांध सागर है।

मेघालय के ऊंचे पर्वतों, गहरी घाटियों और प्रचुर वर्षा के कारण यहां बड़ी मात्रा में अप्रयुक्त जलविद्युत क्षमता संचित है। यहां की मूल्यांकित उत्पादन क्षमता ३००० मेगावाट से अधिक है। राज्य में वर्तमान स्थापित क्षमता १८५ मेगावाट है, किन्तु राज्य स्वयं ६१० मेगावॉट का उपभोग करता है, अर्थात दूसरे शब्दों में, यह बिजली आयात करता है।[१०] राज्य की आर्थिक वृद्धि के साथ साथ ही बिजली की बढ़ती मांग भी जुडी है। राज्य में जलविद्युत से उत्पन्न बिजली निर्यात करने उससे मिलती आय से अपनी आंतरिक विकास योजनाओं के लिए आय अर्जित करने की पर्याप्त क्षमता है। राज्य में भी कोयले के भी बड़े भण्डार हैं, जो कि यहां ताप विद्युत संयंत्र की संभावना को भी बल देते हैं।

बहुत सी परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। नंगलबीबरा में प्रस्तावित ताप-विद्युत परियोजना के प्रचालन में आने पर ७५१ मेगावाट विद्युत अतिरिक्त उत्पादन की संभावना है। पश्चिम खासी हिल्स में एक २५० वॉट की परियोजना लगाने का भी प्रस्ताव है। राज्य सरकार अपना विद्युत उत्पादन २०००-२५०० मेगावॉट तक वर्धन करने का लक्ष्य रखाती है जिसमें से ७००-९८० मेगावॉट ताप-विद्युत होगी तथा १४००-१५२० मेगावॉट जल-विद्युत होंगीं। राज्य सरकार ने अपने क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी लाने हेतु एक साझा लागत वाले सार्वजनिक-निजी साझेदारी मॉडल की रूपरेखा तैयार की है।[११] विद्युत उत्पादन, परिवर्तन और वितरण मेघालय एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपा गया है, जिसे बिजली आपूर्ति अधिनियम १९४८ के तहत गठित किया गया था। वर्तमान में पांच जल विद्युत स्टेशन और एक मिनी जल विद्युत संयंत्र हैं जिसमें उमियम हाईडल परियोजना, उमट्रू हाइडल प्रोजेक्ट, माइंट्डू-लेशका-१ हाइडल प्रोजेक्ट और सनपानी माइक्रो हाइडल (एसईएसयू) परियोजना सम्मिलित हैं।

प्रस्तावित परियोजनाएं

भारत की १२वीं पंचवर्षीय योजना में, राज्य में अधिक जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने का एक प्रस्ताव है जो इस प्रकार से हैं:

  1. किन्शी (४५० मेगावॉट), उमंगी -१ (५४ मेगावॉट),
  2. उमियम-उमत्रु-वी ३६ मेगावॉट),
  3. गणोल (२५ मेगावॉट) ,
  4. माफू (१२० मेगावॉट),
  5. नोंगकोलाइट (१२० मेगावॉट),
  6. नोंगना (५० मेगावॉट),
  7. रंगमो (६५ मेगावॉट),
  8. उमंगोट (२६० मेगावॉट),
  9. उमदुना (५७ मेगावॉट),
  10. मित्तु-लेशका-२ (६० मेगावॉट),
  11. सेलिम (१७० मेगावॉट) और
  12. मावेली (१४० मेगावॉट)।[१२]

इनमें से जेपी समूह ने खासी पर्वत में किन्शी और उमंगोट परियोजनाओं के निर्माण के लिए बीड़ा उठाया है।.[१३]

शिक्षा

सेंटसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] एड्मण्ड्स विद्यालय, शिलांग
इन्हें भी देखें: मेघालय में शिक्षा

मेघालय की साक्षरता भारत की जनगणना २०११ के अनुसार दर ६२.५६ है जिसके साथ यह भारत का २७वां साक्षर राज्य है। यह दर २०११ में ७५.५ तक पहुंच गयी। वर्ष २००६ के आंकड़ों के अनुसार यहाँ:

  • ५८५१ प्राथमिक विद्यालय,
  • १७५९ माध्यमिक विद्यालय एवं
  • ६५५ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय

हैं। २००८ में, ५,१८,००० विद्यार्थी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे थे और २,३२,००० उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे थे। राज्य अपने विद्यालयों में गुणवत्ता, पहुंच, बुनियादी ढांचे और शिक्षकों के प्रशिक्षण का ध्यान रखता है और उत्तरदायी है।[१४]

शिलांग स्थित उच्च शिक्षा संस्थान जैसे भारतीय प्रबंधन संस्थान एवं प्रौद्योगिकी एवं प्रबन्धन विश्वविद्यालय जो प्रथम भारतीय विश्वविद्यालय है जिसने क्लाउड कम्प्यूटिंग अभियान्त्रिकी को अध्ययन के क्षेत्र में स्थान दिया है। आईआईएम शिलांग राष्ट्र के सर्वोच्च श्रेणी के प्रबन्धन संस्थानों में से एक है।

स्वास्थ्य

राज्य में १३ सरकारी औषधालय, २२ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, ९३ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं ४०८ उप-केन्द्र हैं। यहाँ ३७८ चिकित्सक, ८१ भेषजज्ञ, ३३७ स्टाफ़ नर्सें एवं ७७ लैब तकनीशियन हैं। राज्य सरकार द्वारा तपेदिक, कुष्ठ रोग, कैंसर और मानसिक रोग के उपचार हेतु एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया है। हालांकि मृत्यु दर में लगातार गिरावट आयी है किन्तु राज्य के स्वास्थ्य विभाग के स्थिति पत्र (स्टेटस पेपर) के अनुसार जीवन प्रत्याशा में सुधार और स्वास्थ्य सम्बन्धी बुनियादी ढांचे में पर्याप्त वृद्धि के भाव में राज्य की जनसंख्या का लगभग ४२.३% भाग स्वास्थ्य देखरेख से अभी भी अछूता है। यहां बहुत से अस्पताल निर्माणाधीन हैं, जो सरकारी व निजी दोनों ही प्रकार के हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं: सिविल अस्पताल, गणेश दास अस्पताल, के जे पी सायनोड अस्पताल, एनईआईजीआरआईएचएमएस, ॉर्थ ईस्ट इन्स्टीट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद (एनईआईएएच), आरपी चेस्ट अस्पताल, वुडलैण्ड अस्पताल, नज़ारेथ अस्पताल एवं क्रिश्चियन अस्पताल, आदि।

सन्दर्भ

  1. Meghalaya स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Planning Commission, Govt of India (May 2014)
  2. Meghalaya स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Planning Commission, Govt of India (May 2014)
  3. साँचा:cite web
  4. Horticulture Crops स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Department of Agriculture, Govt of Meghalaya (2009)
  5. Rice स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Department of Agriculture, Govt of Meghalaya (2009)
  6. Food grains स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Department of Agriculture, Govt of Meghalaya (2009)
  7. Oil Seeds स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Department of Agriculture, Govt of Meghalaya (2009)
  8. Fibre Crops स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Department of Agriculture, Govt of Meghalaya (2009)
  9. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  10. Demand for power in Meghalaya साँचा:webarchive Meghalaya Energy Corporation Limited
  11. State Planning स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Govt of Meghalaya, pp 129-130
  12. साँचा:cite web
  13. Hydro Power साँचा:webarchive Jaypee Group (2010)
  14. State योजना: मेघालय सरकार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।:[Planning:Govt of Meghalaya], पृ॰ १५४-१५५ (२०१०) (अंग्रेज़ी में)

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