कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड

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हल्द्वानी के केमू स्टेशन में खड़ी बसें।

कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड (साँचा:lang-en), जो अपने संक्षिप्त नाम के॰एम॰ओ॰यू॰ (K.M.O.U) या केमू से अधिक प्रसिद्ध है, उत्तराखण्ड के कुमाऊँ क्षेत्र में बस सेवा प्रदान करने वाली एक निजी कम्पनी है। १९३९ में १३ निजी कम्पनियों के विलय द्वारा अस्तित्व में आयी यह मोटर कम्पनी स्वतन्त्रता पूर्व कुमाऊँ क्षेत्र में बसें चलाने वाली एकमात्र बस कम्पनी थी। १९८७ तक यह इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बस कम्पनी थी।[१]

इतिहास

कुमाऊँ क्षेत्र में मोटर यातायात की शुरूआत सर्वप्रथम १९१५ ई॰ में नैनीताल-काठगोदाम के बीच हुई।[२] इसके पश्चात १९२० ई॰ में काठगोदाम-अल्मोड़ा के मध्य मोटर यातायात शुरू हुआ।[३] सन् १९२० में अल्मोड़ा के मुंशी लालता प्रसाद टम्टा ने ‘हिल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी’ नाम से एक कम्पनी प्रारम्भ की, जिसके अन्तर्गत लाॅरियाँ हल्द्वानी और काठगोदाम से अल्मोड़ा और रानीखेत तक चलती थी। कुछ समय बाद एक दूसरी छोटी कम्पनी ‘द कुमाऊँ मोटर सर्विस कम्पनी’ प्रारम्भ हुई, जो कि सन् १९२२ के उत्तरार्द्ध में सर्वश्री देवी लाल शाह गंगा राम को हस्तांतरित कर दी गयी। कुछ समय पश्चात तीसरी कम्पनी ‘नैनीताल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी’ नाम से खुली। ये कम्पनी ‘ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन कम्पनी’ की एक शाखा थी।[४]साँचा:rp ‘नैनीताल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी’ के पास ८८ वाहनों का बेड़ा था।[४]साँचा:rp सन् १९२२ में ठेकेदार, सर्वश्री नारायण दास हंसराज द्वारा चौथी कम्पनी प्रारम्भ की गयी।[४]साँचा:rp

इसी प्रकार अन्य और मोटर कम्पनियाँ भी प्रारम्भ हुई, और वर्ष १९२० से वर्ष १९३८ तक कुमाऊँ में १३ मोटर कम्पनियाँ पंजीकृत थी,[५] जो काठगोदाम, नैनीताल, भवाली, रानीखेत से अल्मोड़ा और अल्मोड़ा से इसी तरह वापसी करती थी।[४]साँचा:rp इन पंजीकृत कम्पनियों में आपसी प्रतियोगिता थी, जिससे इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।[५] इसलिए कुमाऊँ क्षेत्र में परिवहन व्यवस्था का मुनाफे के साथ विकास करने के उद्देश्य से सन् १९३९ में काठगोदाम में ‘कुमाऊँ मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड’ (के॰एम॰ओ॰यू॰) की स्थापना की गयी। इस मोटर कम्पनी की दो शाखाएं रामनगर तथा टनकपुर में खोली गयी,[६] जिससे अनाज, वन उत्पादन, आलू तथा यात्रियों का परिवहन बढ़ा।[५] कुमाऊँ में रोडवेज अर्थात् उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (वर्तमान में उत्तराखण्ड परिवहन निगम) की बसें आजादी के बाद ही चली और इस प्रकार सन् १९४७ के बाद ही बसें, ट्रक, लाॅरियाँ इत्यादि अल्मोड़ा-रानीखेत से आगे जाने लगे।[६]

बस स्टेशन

वर्तमान में केमू के ७ मुख्य स्टेशन, तथा २४ सब-स्टेशन हैं। मुख्य स्टेशन हल्द्वानी, बागेश्वर, रामनगर, चम्पावत, रानीखेत, अल्मोड़ा तथा पिथौरागढ़ में, जबकि सब-स्टेशन नैनीताल, जागेश्वर, बैजनाथ, शामा-लीती, कांडा, बेरीनाग, थल, डीडीहाट, धारचूला, देवीधूरा, रामगढ़, बिनसर महादेव, कौसानी, सोमेश्वर, कपकोट, सांग-मुनार, चौकोड़ी, गंगोलीहाट, जौलजीबी, मुनस्यारी, मोरनौला, मुक्तेश्वर, भिकियासैंण तथा द्वाराहाट में स्थित हैं।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. क्ले, जे॰एम॰: नैनीताल अ हिस्टोरिकल एण्ड डिस्क्रिप्टिव एकाउण्ट: पृष्ठ 38
  3. पाण्डे, बद्रीदत्त: कुमाऊँ का इतिहास: पृ॰ 136
  4. डिस्ट्रिक्ट गजेटियर आॅफ द यूनाइटेड प्रोविन्सेज आॅफ आगरा एवं अवध:सप्लीमेन्टरी नोट्स एवं स्टेटिस्ट्रिक्स: वाॅल्यूम- xxxiv: अल्मोड़ा जिला
  5. उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक गजेटियर: अल्मोड़ा: पृ॰ 115
  6. नौटियाल, विकास: आधुनिक एवं समकालीन उत्तराखण्ड हिमालय: पृ॰ 111

बाहरी कड़ियाँ