केशुभाई पटेल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Ts12rAc द्वारा परिवर्तित १३:१३, १९ अप्रैल २०२१ का अवतरण (2409:4053:208:92E3:7014:565E:F2EA:E961 (वार्ता) के 1 संपादन वापस करके Dam222के अंतिम अवतरण को स्थापित किया (ट्विंकल))
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
केशुभाई पटेल

कार्यकाल
14 मार्च 1995 - 21 अक्टूबर 1995
पूर्वा धिकारी छबीलदास मेहता
उत्तरा धिकारी सुरेश मेहता
कार्यकाल
4 मार्च 1998 - 6 अक्टूबर 2001
पूर्वा धिकारी दिलीप पारिख
उत्तरा धिकारी नरेन्द्र मोदी

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (1980-2012)
गुजरात परिवर्तन पार्टी (2012-2014)
जीवन संगी लीला पटेल
बच्चे 5 पुत्र व 1 पुत्री
धर्म हिन्दू
साँचा:center

केशुभाई पटेल (साँचा:lang-gu; जन्म : १९२८) मार्च 1995 से अक्टूबर 1995 तक भारत के गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। वे राज्य में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारीयों मे से एक थे, परंतु अगस्त २०१२ में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और तत्पश्चात् २०१२ गुजरात विधानसभा के चुनावों में भाग लेने हेतु एक नए राजनैतिक दल "गुजरात परिवर्तन पार्टी" की शुरुआत की।

वह 1980 के दशक से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं। उन्होंने पहले 2012 में बीजेपी छोड़ी और गुजरात परिवर्तन पार्टी का गठन किया, जिसका बाद में भारतीय जनता पार्टी के साथ विलय कर दिया। वह 2012 के विधानसभा चुनाव में विसावदर से चुने गए थे परन्तु बाद में अस्वस्थ होने के कारण 2014 में इस्तीफा दे दिया था।

प्रारम्भिक जीवन

केशुभाई पटेल का जन्म 24 जुलाई 1928 को गुजरात के वर्तमान जूनागढ़ जिले के विसावदर शहर में हुआ था। वह 1945 में प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए।1975 के आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।[१]  

राजनीतिक जीवन

1960 के दशक में उन्होंने जनसंघ के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। वह इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे।  1975 में, जनसंघ-कांग्रेस (ओ) गठबंधन गुजरात में सत्ता में आई।[२]

आपातकाल के बाद, 1977 में  वह राजकोट निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।  1979 में  मच्छू बांध दुर्घटना, जिसने मोरबी को तबाह कर दिया था, के बाद उन्हें राहत कार्य में शामिल किया गया था।[३]

1978 और 1995 के बीच वे कलावाड़, गोंडल और विशावादार से विधानसभा चुनाव जीते। 1980 में, जब जनसंघ पार्टी को भंग कर दिया गया तो वह नवनिर्मित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ आयोजक बने। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ चुनाव अभियान का आयोजन किया और उनके नेतृत्व में 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई।

14 मार्च 1995 को वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने परन्तु सात महीने बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनके सहयोगी शंकरसिंह वघेला ने उनके खिलाफ विद्रोह किया और सुरेश मेहता उन्हें सर्वसम्मति मुख्यमंत्री बनाने में सफल रहे। बीजेपी को विभाजित हुआ और वाघेला ने राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) का गठन किया था, और  कांग्रेस (आई) के समर्थन के साथ अक्टूबर 1996 में वह मुख्यमंत्री बने।

1998 में विधानसभा को भंग कर दिया गया क्योंकि कांग्रेस (आई) ने राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी)  को दिया अपना समर्थन वापस ले लिया था। 1998 के विधानसभा चुनावों में केशुभाई पटेल की अगुवाई में बीजेपी पुनः सत्ता में लौट आई और वह फिर 4 मार्च 1998 को गुजरात के मुख्यमंत्री बने। [४]

2 अक्टूबर 2001 को पटेल ने अपने ख़राब स्वास्थ्य के कारण मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। सत्ता के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और खराब प्रशासन के आरोप; 2001 के भुज भूकंप के दौरान राहत कार्यों में कुप्रबंधन के साथ-साथ उप-चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की हार और बीजेपी सीटों का नुकसान ने,  बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यालय के लिए नए उम्मीदवार की तलाश करने के लिए  प्रेरित किया। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने । 2009 में पटेल विधानसभा चुनाव नहीं लड़े थे। वह 2002 में राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। [५][६][७][८]

2007 के विधानसभा चुनावों में, उन्होंने अपने समुदाय से परिवर्तन के लिए मतदान करने का आग्रह किया। बीजेपी ने फिर से स्पष्ट बहुमत के साथ चुनाव जीती और मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई।

2012 में उन्होंने अपनी बीजेपी सदस्यता को नवीनीकृत नहीं किया।[९]उन्होने 4 अगस्त 2012 को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया और, 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए गुजरात परिवर्तन पार्टी का गठन किया।[१०] भाजपा उम्मीदवार कणुभाई भालाल के खिलाफ विसावदर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता जबकि जीपीपी ने विसावदर सीट समेत कुल दो सीटें जीतीं। Later GPP merged with BJP on 24 February 2014.[११][१२]

उन्होंने जनवरी 2014 में जीपीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बाद में 13 फरवरी 2014 को अपने बीमार स्वास्थ्य के कारण गुजरात विधानसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।[१३] 24 फरवरी 2014 को बीजेपी के साथ जीपीपी का विलय हो गया।

व्यक्तिगत जीवन

उनका विवाह पटेल से हुआ और उनके पांच बेटे और बेटी हैं। उनका बेटा, भारत पटेल भाजपा के सदस्य है।[१४] 21 सितंबर 2006 को व्यायाम कक्ष में बिजली दुर्घटना से आग लगने के बाद गांधीनगर में उनकी पत्नी का देहांत हो गया।[१५]

उनके 60 वर्षीय बेटे प्रवीण पटेल, जो अमेरिका में बस गए थे, 9 सितंबर 2017 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी असामयिक मृत्यु हो गई। इस दुखद घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके घर गए और उनसे मिलकर अपना शोक व्यक्त किया। [१६]  

सन्दर्भ

साँचा:navbox