डाहोमी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>संजीव कुमार द्वारा परिवर्तित १५:३५, १३ अगस्त २०२१ का अवतरण (विलय लायक कोई सामग्री नहीं)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

डाहोमी (Dahomey) अफ्रीका का एक राजतंत्र था जो वर्तमान बेनिन (Benin) के क्षेत्र में आता था। इस राजतन्त्र का अस्तित्व १६०० से १८९४ तक था। १८९४ में इसके अन्तिम राजा बहञिन (Behanzin) को हरारक फ्रांसीसियों ने इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। १७वीं शताब्दी के आरम्भिक दिनों में यह राजतन्त्र फॉन लोगों द्वारा एबोमी पठार पर विक्सैत हुआ और १८वीं शताब्दी में एक एक क्षेत्रीय महाशक्ति बन गया। ४ दिसंबर, १९६० ई० को स्वतंत्र हो गया।

इसके पूर्व में नाइजीरिया, पश्चिम में टोगो, उत्तर-पश्चिम में अपर वोल्टा और दक्षिण में गिनी की खाड़ी है। इसका क्षेत्रफल १,१५,७६० वर्ग किलो. और अनुमानित जनसंख्या २०,५०,००० (१९६१) हैं। यह मुख्यत: मैदानी क्षेत्र है। जलवायु नम तथा उष्ण है। इसके ७० मील लंबे समुद्रतट पर अनूपों (lagoons) की पंक्ति है जो समुद्र से निचले बालुकादंड की शृंखला द्वारा पृथक होती है। यहाँ की मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ है, जिसमें कहवा, मक्का, कपास इत्यादि की उपज होती है। कहवा, ताड़ का तेल तथा गरी मुख्य निर्यात पदार्थ हैं। समुद्रतट पर स्थित पोर्टो नोवो नगर देश की राजधानी है।

विभिन्न जातियों की संख्या - डाहोमी में फान (Fon) लोगों की जनसंख्या सर्वाधिक है। इसके अतिरिक्त अदजा (Adja) और आइजो (Aizo) भी, जो परस्पर और फान से भी संबंधित हैं, बसे हुए हैं। ये सभी दक्षिणी भागों में निवास करते हैं और मुख्यत: किसान हैं। बरीबा, बागूँ, योरुबा (ये नाइजीरिया से आए), होल्ली (Holli), फुलानी (Fulani), डेंडी (Dendi), और पिलापिला (Pilapila) नाम की अनेक विभिन्न जातियाँ यहाँ वास करती हैं। इन जातीय अंतरों के होते हुए भी डाहोमी के निवासियों में सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध बहुत घनिष्ठ हैं। फ्रांसीसी राज्यभाषा है। अन्य भाषाओं में फान और योरुबा दक्षिणी भाग में, बारिबा (Bariba) और फुलानी (Fulani) उत्तरी भाग में विशेष रूप से प्रचलित हैं। १९६० के संविधान के अनुसार वहाँ के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण आश्वासन प्राप्त है।

इतिहास

डाहोमी आंग्ल-फ्रांसीसी प्रतिद्वंद्विता और तज्जनित अफ्रीका के विभाजन की उपज है। इसलिए यहाँ भौगोलिक और ऐतिहासिक एकरूपता का अभाव है।

पुर्तगालियों ने सर्वप्रथम डाहोमी के समुद्रतट पर अपने व्यापार संस्थान स्थापित किए। मुख्य नगर का नाम पोर्टोनोवो (वर्तमान राजधानी) पुर्तगालियों ने ही रखा। दासव्यापार की वृद्धि के साथ साथ अंग्रेज, डच, स्पेनी और फ्रांसीसी व्यापारी भी आए। फ्रांसीसियों ने १७वीं शताब्दी में जूडा (Juda), ओइदा, (Ouidah) और सावी (Savi) स्थानों पर अपनी चौकियाँ स्थापित कीं। यूरोपियों का तटीय व्यापार जिस समय चल रहा था, अबोमी राज्य सदैव योरुबा और आशांति (Ashanti) पर आक्रमण किया करता था, जिससे योरुबा अत्यंत शक्तिहीन हो गया था। १८५१ में फ्रांसीसियों ने अबोमी सम्राट् के साथ एक संधि की जिसके अनुसार उन्हें कोटोनाउ (Cotonou) में व्यापार चौकी स्थापित करने की अनुमति मिल गई। अंग्रेजों ने अपना स्थान लागोस में बनाया। १८५७ में फ्रांसीसियों ने ग्रांड पोपो (Grand popo) को भी अपने अधिकारक्षेत्र में जोड़ लिया। पोर्टो नोवो पर अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की प्रतिद्वंद्विता का परिणाम यह हुआ कि वहाँ फ्रांस का सैनिक अड्डा बन गया और पश्चिमी क्षेत्रों में अंग्रेजों ने अपनी चौकियाँ बना लीं। किंतु १८८८-८९ में हुई संधि से वे चौकियाँ समाप्त हो गईं।

अवोमी अभी तक फ्रांस के अधिकार से मुक्त था, और यूरोपीय व्यापारियों से खूब चुंगी वसूल करता था। १८९२ में फ्रांस की सेनाओं ने कर्नल डाइस के नेतृत्व में अबोमी को जीत लिया और वहाँ फ्रांस का सैनिक अड्डा स्थापित हो गया। १९०० में अबोमी की स्वतंत्रता समाप्त हो गई।

१८९२ से १९०० तक फ्रांस ने उत्तर की ओर भी अपना विस्तार किया, इसलिए राज्य का रूप बिलकुल बदल गया। १९४६ में फ्रांस के नए संविधान के अनुसार वहाँ की संसद् में राज्य के तीन सदस्य नियुक्त होने की व्यवस्था हो गई।

डाहोमी की विधानसभा का अधिकार केवल बजट तक ही सीमित था। १९५६-५७ के सुधारों के अंतर्गत विधानसभा के अधिकारों में विस्तार किया गया और उसके द्वारा नियुक्त शासनपरिषद् को राज्य के अधिकांश मामलों में निर्णय करने का अधिकार प्राप्त हो गया। सितंबर १९५८ में फ्रांस के उपनिवेश समुदाय में डाहोमी गणराज्य घोषित किया गया।

१ अगस्त, १९६० को डाहोमी को पूर्ण स्वतंत्रता मिल गई। २५ नवंबर, १९६० को नया विधान बनने के बाद वहाँ राष्ट्रपति की अध्यक्षता में संधीय शासन की व्यवस्था की गई।