पवन-वातायन
imported>संजीव कुमार द्वारा परिवर्तित ०६:५८, २५ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (2409:4064:4DB1:BAB9:0:0:D5C8:4611 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)

उत्कृष्ट वृत्तखण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका
जालीदार शिला में पवन के अपरदन द्वारा पवनोन्मुखी भाग मे छिद्र हो जाता हैं, पवन धीरे-धीरे इस छिद्र के अपरदित पदार्थो को उडा-उडा कर उस छिद्र को बडा करती रहती हैं। लम्बे समय तक यही क्रिया निरन्तर होने के कारण्यह छिद्र शैल के आर-पार हो जाता हैं। शैल के इस आर-पार छिद्र को पवन खिडकी या पवन-वातायन कहा जाता हैं।
साँचा:asbox