ज़ालमान दाइम्शित्स
ज़ालमान दाइम्शित्स Prof Zalman Dymshits | |
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मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
व्यवसाय | हिन्दी और उर्दू शिक्षा की मौलिक सामग्री की तय्यारी, भारतविद्या और भाषाविज्ञान |
राष्ट्रीयता | रूसी |
उच्च शिक्षा | मॉस्को इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओरिएन्टल स्टडीज़ |
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ज़ालमान दाइम्शित्स बेलारूस के यानोवीची सोराझ़ वीतीबस्क (Yanovichi Surazh Vitebsk) क्षेत्र में 1921 ई. में पैदा हुए थे।
शिक्षा
ज़ालमन ने मॉस्को इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओरिएन्टल स्टडीज़ से 1950 ई. में अपनी शिक्षा पूरी की थी।
लेखन
ज़ालमन ने हिन्दी और उर्दू की छः पाठ्य पुस्तकें लिखी थी। इसके इलावा उन्होंने दोनों भाषाओं के लोकप्रिय कहावतों और शब्दकोशों पर काफ़ी काम किया है।
हिन्दी की पाठ्य पुस्तक
1969 में ज़ालमन ने हिन्दी की एक पाठ्य पुस्तक लिखी जो कि आज के विद्यार्थियों के लिए भी मार्गदर्शन का काम देती है।
उर्दू व्याकरण
ज़ालमन की मृत्यु के दस साल से भी अधिक समय के बाद 2001 में उनकी लिखी "उर्दू ग्रामर" किताब प्रकाशित हुई।
पुरस्कार
ज़ालमन को भारत और रूस दोनों ही सरकारों की ओर से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भारत की ओर से उन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार दिया गया था।
देहान्त
ज़ालमन का 1990 में देहान्त हुआ था।
वार्षिक स्मरण दिवस का प्रस्ताव
2011 में भारत में रूस के राजदूत एलेक्ज़ैनडर कदाकिन (Alexander Kadakin) ने प्रस्ताव दिया कि ज़ालमन दाइमशीतस के जन्म दिन यानी 25 मई को अनौपचारिक रूसी भारतविद् दिवस (unofficial day of Russian Indologist) के रूप में मनाना चाहिए।[१]