गुरुत्व केन्द्र

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Step 1: मान लीजिये आपके पास कोई 2D वस्तु है (किसी भी आकार की)।
Center gravity 0.svg
Step 2: इस वस्तु को एक ऐसे बिन्दु से लटकाएँ जो इसके एकदम किनारे स्थित हो। इस स्थिति में, वस्तु के ऊपर उर्ध्वाधर रेखा (लटकाने वाले धागे की स्थिति) को किसी चीज से निशान बना दीजिये।
Center gravity 1.svg
Step 3: अब वस्तु को किसी अन्य बिन्दु से लटकायें जो पहले वाले बिन्दु के बहुत निकट न हो। फिर से उर्ध्वाधर धागे की स्थिति पर एक निशान लगा दीजिये। पहले खींचा गया निशान और दूसरी बार खींचा गया निशान जहाँ एक दूसरे को काटते हैं वही बिन्दु इस 2D वस्तु का गुरुत्व केन्द्र है।
Center gravity 2.svg

भौतिकी में, किसी पिण्ड का गुरुत्व केन्द्र (center of gravity) वह बिन्दु है जिसको उस पिण्ड के गुरुत्वीय अन्तर्क्रियाओं के लिये मोटे तौर पर उपयोग किया जा सकता है। एकसमान गुरुत्वीय क्षेत्र में स्थित किसी पिण्ड का संहति-केन्द्र ही उसका गुरुत्व केन्द्र भी होगा। यह बात धरती के तल के निकट स्थित छोटे पिण्डों के लिये बहुत सीमा तक ठीक बैठती है अतः उनके संहति-केन्द्र और गुरुत्व केन्द्र को व्यवहार में एक ही बिन्दु पर स्थित माना जा सकता है।

किन्तु यदि गुरुत्वीय क्षेत्र असमान हो तो स्थितिज ऊर्जा, बल, बलाघूर्ण आदि गुरुत्वीय प्रभावों की गणना केवल संहति-केन्द्र को लेकर नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिये, कोई वस्तु असमान गुरुत्वीय क्षेत्र में स्थित हो और उस पर एक ऐसा बल लगाया जाय जिसकी क्रिया-रेखा उस वस्तु के संहति-केन्द्र से होकर गुजरती हो तो उस वस्तु पर एक बलाघूर्ण कार्य करेगा (जो एकसमान गुरुत्वीय क्षेत्र में शून्य होता) जिससे वस्तु में घूर्नन करने की प्रवृत्ति जन्म लेगी। ऐसी स्थितियों में संहति-केन्द्र नहीं, गुरुत्व केन्द्र महत्वपूर्ण हो जाता है।

गुरुत्व केन्द्र वह बिन्दु है जिससे होकर वस्तु पर लगने वाले कुल गुरुत्वीय बल की क्रिया-रेखा गुजरती है। विशेष स्थितियों में ऐसा हो सकता है कि गुरुत्व बिन्दु का अस्तित्व ही न हो या एक से अधिक गुरुत्व केन्द्र हों।

इन्हें भी देखें