ऊतक
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ऊतक (tissue) किसी जीव के शरीर में कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं जिनकी उत्पत्ति एक समान हो तथा वे एक विशेष कार्य करती हो। अधिकांशतः ऊतकों का आकार एवं आकृति एक समान होती है। परन्तु कभी-कभी कुछ उतकों के आकार एवं आकृति में असमानता पाई जाती है, किन्तु उनकी उत्पत्ति एवं कार्य समान ही होते हैं। कोशिकाएँ मिलकर ऊतक का निर्माण करती हैं। ऊतक में समान संरचना और कार्य होते हैं।[१]
ऊतक के अध्ययन को ऊतक विज्ञान (Histology) के रूप में जाना जाता है।
जन्तु ऊतक (animal Tissue)
जन्तु ऊतक मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं:
- उपकला ऊतक या एपिथीलियमी ऊतक (epithelial tissue)
- संयोजी ऊतक (connective tissues)
- पेशी ऊतक (muscular tissues)
- तंत्रिका ऊतक (nervous tissues)
- जनन ऊतक
उपकला ऊतक
यह ऊतक शरीर को बाहर से ढँकता है तथा समस्त खोखले अंगों को भीतर से भी ढँकता है। रुधिरवाहिनियों के भीतर ऐसा ही ऊतक, जिसे अंत:स्तर कहते हैं, रहता है। उपकला का मुख्य कार्य रक्षण, शोषण एवं स्त्राव का है। उपकला के निम्न प्रकार हे -
- (क) साधारण
- (ख) स्तंभाकार
- (ग) रोमश
- (घ) स्तरित
- (च) परिवर्तनशील
- (छ) रंजककणकित
संयोजी ऊतक
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। यह ऊतक एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का काम करता है। यह प्रत्येक अंग में पाया जाता है। इसके अंतर्गत
- (क) रुधिर ऊतक,
- (ख) अस्थि ऊतक,
- (ग) लस ऊतक तथा
- (घ) वसा ऊतक आते हैं।
रुधिर ऊतक के, लाल रुधिरकणिका तथा श्वेत रुधिरकणिका, दो भाग होते हैं। लाल रुधिरकणिका ऑक्सीजन का आदान प्रदान करती है तथा श्वेत रुधिरकणिका रोगों से शरीर की रक्षा करती है। मानव की लाल रुधिरकोशिका में न्यूक्लियस नहीं रहता है।
अस्थि ऊतक का निर्माण अस्थिकोशिका से, जो चूना एवं फ़ॉस्फ़ोरस से पूरित रहती है, होता है। इसकी गणना हम स्केलेरस ऊतक में करेंगे,
लस ऊतक लसकोशिकाओं से निर्मित है। इसी से लसपर्व तथा टॉन्सिल आदि निर्मित हैं। यह ऊतक शरीर का रक्षक है। आघात तथा उपसर्ग के तुरंत बाद लसपर्व शोथयुक्त हो जाते हैं।
वसा ऊतक दो प्रकार के होते हैं : एरिओलर तथा एडिपोस।
इनके अतिरिक्त (1) पीत इलैस्टिक ऊतक, (2) म्युकाइड ऊतक, (3) रंजक कणकित संयोजी ऊतक, (4) न्युराग्लिया आदि भी संयोजी ऊतक के कार्य, आकार, स्थान के अनुसार भेद हैं।
पेशी ऊतक
इसमें लाल पेशी तंतु रहते हैं, जो संकुचित होने की शक्ति रखते हैं। पेशी उत्तक भिन्न-भिन्न तन्तुओ से संचीत हुआ है, जिस में आन्तरीक-कोष अंतराल की कमी होती है।
- रेखांकित या ऐच्छिक पेशी ऊतक वह है जो शरीर को सुक्ष्म प्रकार की गतियां कराता है, कंकाल पेशी का एकम ' कोष तंतु ' है। हर कोष तंतु पतला, लंबा और अनेक कोष-केन्द्रीत होता है। अगर उच्च कक्षा के जीवो का शरीर रचना विज्ञान (Animal Anatomy) परीक्षण कीया जाने पर वे गठरी (Bundles) में पाए जाते है।
- अनैच्छिक या अरेखांकित पेशी ऊतक वह है जो आशयों की दीवार बनाता है तथा
- हृत् पेशी (cardiac muscle) ऊतक रेखांकित तो है, परंतु ऐच्छिक नहीं है।
तंत्रिका ऊतक
इसमें संवेदनाग्रहण, चालन आदि के गुण होते हैं। इसमें तंत्रिका कोशिका तथा न्यूराग्लिया रहता है। मस्तिष्क के धूसर भाग में ये कोशिकाएँ रहती हैं तथा श्वेत भाग में न्यूराग्लिया रहता है। कोशिकाओं से ऐक्सोन तथा डेंड्रॉन नाक प्रर्वध निकलते हैं। नाना प्रकार के ऊतक मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों (organs) का निर्माण करते हैं। एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक तंत्र (system) का निर्माण करते हैं।
स्केलेरस ऊतक
यह संयोजी तंतु के समान होता है तथा शरीर का ढाँचा बनाता है। इसके अंतर्गत अस्थि तथा कार्टिलेज आते हैं। कार्टिलेज भी तीन प्रकार के होते हैं :
- हाइलाइन,
- फाइब्रो-कार्टिलेज, तथा
- इलैस्टिक फाइब्रो-कार्टिलेज या पीत कार्टिलेज।
पादप ऊतक
पादप ऊतकों (Plant Tissue) को दो वर्गों में बाँटा जाता है-
- (१) विभाज्योतकी ऊतक ( meristematic tissue )
- (२) स्थायी ऊतक ( permanent tissue )
विभाज्योतकी ऊतक के प्रकार
(क) शीर्षस्थ विभाज्योतक ऊतक (Apical meristem)
(ख) पार्श्व विभाज्योतक ऊतक (lateral meristem)
(ग) अंतवृस्ति विभाज्योतक ऊतक (Intercalary meristem)
स्थाई ऊतक
- (१) सरल ऊतक
- (क) म्रदोत्क ऊतक (पैरेन्काइमा)
- (ख) स्थूलोत्क ऊतक (कोलेंकाएम)
- (ग) दरनोत्क ऊतक (स्कलेरेंकैमा)
- (२) जटिल ऊतक
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
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