अमरावती एक्सप्रेस

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हावड़ा की ओर जाती, विजयनगरम जंक्शन पर 18048 अमरावती एक्सप्रेस
१८०४७/१८०४८ अमरावती एक्सप्रेस (हावड़ा – वास्को द गामा)-मार्ग का आराखडा
१७२२५/१७२२६ अमरावती एक्सप्रेस(विजयवाडा – हुबली)-मार्ग का आराखडा

अमरावती एक्स्प्रेस भारतीय रेल द्वारा संचालित दो मेल एक्स्प्रेस ट्रेन है। जिनके अनुक्रमांक अलग अलग हैं, दोनों का संचालन एकदम अलग रूप से होता है, इनका क्षेत्र भी बहुत अलग है पर दोनों का नाम समान है।

ये सेवाएं है:

और

ट्रेन १७२२५-१७२२६

इस अनुक्रमांक में निम्न ट्रेनें आती हैं-

  • १७२२५ विजयवाडा-हुबली अमरावती एक्सप्रेस, एवं
  • १७२२६ हुबली –विजयवाडा अमरावती एक्सप्रेस

इन ट्रेनों की सेवा सप्ताह में तीन बार प्रदान की जाती है अर्थात यह ट्रेन दोनों ही ओर से अपने गंतव्य के लिए सप्ताह में तीन बार निकलती है। इन ट्रेनों का परिचालन दक्षिण मध्य रेलवे के वेजवाडा अर्थात विजयवाडा नमक स्थान से गोवा तक आन्ध्र प्रदेश से होते हुए जाती है।[१][२]

ट्रेन १८०४७-१८०४८

इन दो सेवाओं को भी अमरावती एक्सप्रेस के नाम से ही जाना जाता है-

  • १८०४७ हावड़ा – वास्को दा गामा अमरावती एक्सप्रेस, एवं
  • १८०४८ वास्को डा गामा – हावड़ा अमरावती एक्सप्रेस

इस ट्रेन की सेवा अपने दोनों स्रोत्र स्टेशन से अपने गंतव्य के लिए सप्ताह में चार बार प्रदान की जाती है। इसका परिचालन विजयवाडा, गुन्ताकाल, हुबली एवं मडगांव से होते हुए होता है। यह सेवा दक्षिणी पूर्वी रेलवे के खरगपुर नामक स्थान द्वारा प्रदान की जाती है। इसके आस पास के क्षेत्र गुंटूर, नरसरापेट, कम्बम, गिद्दालूरू, नन्द्याल, महानंदी, गुन्टुकाल एवं बेल्लरी आदि हैं।[१][२]

इतिहास

अमरावती एक्सप्रेस मछिलीपतनम एवं मोर्मुगो रेलवे ट्रैक पर चलती है। इस सेवा की शुरुआत सबसे पहले सन १९५० के लगभग गुंटूर एवं हुबली के बीच मीटर गेज़ पर की गयी थी। १९८७-१९९० के बीच में गुंटूर – हुबली फ़ास्ट पैसेंजर सेवा को अपग्रेड करके एक्सप्रेस सेवा में परिवर्तित कर दिया गया तथा इसका नाम अमरावती एक्सप्रेस कर दिया गया। सन १९९४ में इस ट्रेन की सेवा को बढ़ाकर विजयवाडा तक कर दिया गया।

सन २००० के प्रारंभ के साथ, जैसे जैसे गेज़ परिवर्तन होता गया, इन ट्रेन सेवाओं को बढ़ाकर लोंडा, केसल रॉक तथा बाद में वास्को दा गामा तक कर दिया गया। बाद में सन २००० के मध्य में ट्रेन का संचालन एक दैनिक ट्रेन के रूप में होनें लगा बाद में यात्रियों की बहुत ही ख़राब स्थिति की वजह से इसे सप्ताह में दो बार चलाया जाने लगा। २००३ की शुरुआत से इसे बढ़ाकर सप्ताह में तीन बार कर दिया गया तथा विजयवाडा एवं हुबली सेवा को सप्ताह में बचे हुए चार दिन चलाया जाने लगा।

सन २०१० में इन दोनों ही ट्रेनों को अलग अलग नाम दे दिए गए एवं १२ फरबरी २०१३ को रेल मंत्री मलिकार्जुन करगे नें हुबली तथा विजयवाडा के बीच चलने वाली त्रिदिवसीय ट्रेन के संचालन दिवसों की संख्या बढ़ाकर इसे दैनिक कर दिया।[३][२]

नाम चयन का कारण

इस ट्रेन का नाम सातवाहन राज्य की ऐतिहासिक राजधानी अमरावती के नाम पर रखा गया है जो की वर्तमान समय में गुंटूर जिले में है। अमरावती को अपने स्तूपों के कारण दक्षिण भारत के साँची के नाम से भी जाना जाता है।[४]

लोकोमोटिव

१७२२५-१७२२६ अमरावती एक्सप्रेस गुन्टूकाल प्रखंड के गूटी नामक स्थान से विजयवाडा एवं हुबली के बीच डब्ल्यू-डी-एम्-३-ए डीजल लोकोमोटिव का प्रयोग करती है।[५] वहीँ १८०४७-१८०४८ अमरावती एक्सप्रेस डीजल एवं विद्युतीकृत दोनों ही प्रकार के लोकोमोटिव का प्रयोग करती है।[२]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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