माघ (कवि)

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माघ
Kavi Magh.jpg
संस्कृतकवि माघ
जन्म ७ वीं शताब्दी
श्रीमल (वर्त्तमान भीनमाल, राजस्थान)
व्यवसाय कवि

माघ, मारवाड़ के प्राचीनतम महाकाव्य 'शिशुपालवध' के रचियता थे। 'माघ' का जन्म भीन-माल के एक प्रतिष्ठित धनी श्रीमाली ब्राह्मण-कुल में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम विद्यावती थासाँचा:citation needed। वे सर्वश्रेष्ठ संस्कृतमहाकवियों की त्रयी (माघ, भारवि, कालिदास) में अन्यतम हैं।साँचा:citation needed उन्होंने शिशुपाल वध नामक केवल एक ही महाकाव्य लिखा। इस महाकाव्य में श्रीकृष्ण के द्वारा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में चेदिनरेश शिशुपाल के वध का सांगोपांग वर्णन है। उपमा, अर्थगौरव तथा पदलालित्य - इन तीन गुणों का सुभग सह-अस्तित्व माघ के कमनीय काव्य में मिलता है, अतः "माघे सन्ति त्रयो गुणा:" उनके बारे में सुप्रसिद्ध है।इनके पिता का नाम दत्तक था ।राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल द्वारा राजकीय विधालयो की कक्षा 8 की हिंदी की पुस्तक के अनुसार इनकी पत्नी का नाम माल्हण है ।

निरूपण

माघ को संस्कृत आलोचकों व विद्वानों द्वारा प्रायः एक प्रकाण्ड सर्वशास्त्रतत्त्वज्ञ विद्वान् माना जाता है। दर्शनशास्त्र, संगीतशास्त्र तथा व्याकरणशास्त्र में उनकी विद्वत्ता थी। उनका पाण्डित्य एकांगी नही, प्रत्युत सर्वगामी था। अतएव उन्हें 'पण्डित-कवि' भी कहा गया है। महाकवि भारवि द्वारा प्रवर्तित "अलंकृत शैली" का पूर्ण विकसित स्वरुप माघ के महाकाव्य 'शिशुपालवध' में प्राप्त होता है, जिसका प्रभाव बाद के कवियों पर बहुत ही अधिक पड़ा। उनके 'शिशुपालवध' के प्रत्येक पक्ष की विशेषता का बहुत गहरा साहित्यिक अध्ययन संस्कृत विद्वानों व शिक्षाविदों द्वारा किया गया है।

उनके बारे में पंडित बलदेव उपाध्याय ने कहा है -अलंकृत महाकाव्य की यह आदर्श कल्पना महाकवि माघ का संस्कृतसाहित्य को अविस्मरणीय योगदान है, जिसका अनुसरण तथा परिबृहण कर हमारा काव्य साहित्य समृद्ध, सम्पन्न तथा सुसंस्कृत हुआ है।

माघ की प्रशंशा में कहा गया है-साँचा:citation needed

उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्।
दण्डिनः पदलालित्यं माघे सन्ति त्रयो गुणाः ॥
(कालिदास उपमा में, भारवि अर्थगौरव में, और दण्डी पदलालित्य में बेजोड़ हैं। लेकिन माघ में ये तीनों गुण हैं।)
घंटा माघ- शिशुपालवध मे रेवतक पर्वत की हाथी से और हाथी के बंधे घंटे की तुलना नही बल्कि रेवतक पर्वत के दोनो ओर जो सूर्य और चन्द्रमा है उसकी उपमा स्वर्ण और रजत से निर्मित घंटे से की गई है! अतः माघ को घंटा माघ कहा जाता है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ