जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज'

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जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज'
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जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज' (१९०४ - ५ मई १९६४) हिन्दी कवि, कथाकार तथा शिक्षक थे।[१] ये कहानी लेखकों की अगली पंक्ति में थे व इनकी गणना हिन्दी के छायावाद काल के भावुक कवियों में की जाती है।[२][३] विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने कहानी और पद्यरचना आरंभ कर दी थी जब कि ये विद्यालय के एक आदर्श छात्र थे। स्वभाव में गंभीर, प्रकृत्या शांत, प्रत्युत्पन्नमति, हँसमुख व्यक्ति थे जिन्होंने सदा सरल जीवन ही जिया। ये प्रतिभाशाली विचारक, निर्भय आलोचक, एवं स्पष्ट वक्ता थे तथा उन्होंनें हिंदीहित को अपने जीवन में सर्वोपरि रखा।

परिचय

श्री जनार्दन प्रसाद झा का जन्म बिहार राज्य के भागलपुर जिलांर्तगत रामपुर डीह नामक ग्राम में २४ जनवरी,१९०५ में हुआ था। इनके पिता पं॰ उचित लाला झा माध्यमिक स्कूल में अध्यापक थे। द्विज जी की प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में हुई। गांधी जी के राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित होकर झा जी शिक्षा के लिए काशी चले आए। महामना मालवीय जी की प्रेरणा तथा पं॰ रामनारायण मिश्र के संपर्क में आकर सेंट्रल हिंदू स्कूल से प्रथम श्रेणी में ऐडमिशन परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और हिंदू विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए। यहीं से उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी से प्रथम श्रेणी में कला स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। प्रसाद जी तथा प्रेमचंद्र जी से इनकी घनिष्टता थी। कविता और कहानी कला में इन दोनों का प्रभाव झा जी की कृतियों पर पड़ा। मुंशी प्रेमचंद ने इनकी कई स्थाणों पर भूरि-भूरि प्रशंसा की है व झा जी के १९३५ में पुरस्कार का अनुमोदन भी करवाया।[४][५]

द्विज जी का कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा। काशी से शिक्षण समाप्त कर देवधर हिंदी विद्यापीठ में रजिस्ट्रार हुए। वहाँ से थोड़े ही दिनों में हिंदी विभागाध्यक्ष हो कर छपरा के राजेंद्र कालेज में चले गए। फिर औरंगाबाद, गया के सच्चिदानंद कालेज के प्रधानाचार्य हुए। पूर्णिया में डिग्री कालेज खुलने पर वहाँ प्रधानाचार्य का पद ग्रहण किया और अंत समय ५ मई १९६४ तक वहीं रहे। द्विज पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने प्रेमचंद के जीवन काल में ही उनपर पुस्तक लिखी थी।[६]

कृतियाँ

कवितासंग्रह

अनुभूति, अंतर्ध्वअंतर्ध्वनि असंगृहीत स्फुटरचनाएँ।

कहानीसंग्रह

किसलय, माका, मृदुदल, मधुमयी [७]

इनके अतिरिक्त कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियॉ जिनका अभी संकलन नहीं हुआ है।

स्केच

चरित्ररेखा; अनेक महत्वपूर्ण भाषण, निबंध भी जिनका अभी संकलन नहीं हुआ है।

सन्दर्भ