पुरुषाभ वानर
पुरुषाभ वानर (Anthropoid Apes या manlike apes) मनुष्याकृति के पुच्छरहित सबसे बड़े वानर हैं, जो प्रधानत: वृक्षावासी होते हैं। इनमें मुख्य रूप से मध्य अफ्रीका के वनों में पाए जानेवाले गोरिल्ला (Gorilla) तथा चिंपैंज़ी, दक्षिणी-पूर्वी-एशिया में पाए जानेवाले वंश के गिब्बन हाइलोबेटीस (Hylobates) तथा पूर्वी इंडीज़ के बोर्निओ एवं सुमात्रा द्वीपों में रहनेवाले ओरांग ऊटान (orang-utan) सम्मिलित हैं। ये सब जीव, वर्गीकरण के अनुसार स्तनी वर्ग के प्राइमेट (Primate) गण के पॉंजिडी (Pongidae) कुल के अंतर्गत रखे गए हैं।
गोरिल्ला, ओरांग ऊटान तथा चिंपैंज़ी वानरों में सबसे बड़े एवं हृष्ट पुष्ट होते हैं। इनका औसत भारत क्रमश: लगभग ६०० १७० तथा ११० पाउंड होता है, परंतु गिब्बन अत्यधिक अत्यधिक छोटा तथा केवल २२ पाउंड का ही होता है। गिब्बन के अतिरिक्त इन वानरों के नर तथा मादा में लैंगिक 'द्विरूपता' (sexual dimorphism) होती है।
पुरुषाभ वानरों के खड़े होने पर इनका शरीर मनुष्य की भाँति प्राय: सीधा रहता है, अथवा केवल कमर से थोड़ा झुका रहता है। इसके अग्रपाद पश्चपाद की अपेक्षा अधिंक लंबे होने के कारण घुटने के नीचे तक लटकते रहते हैं। गोरिल्ला, चिपैंज़ी तथा पोरांग ऊटान पृथ्वी पर चलते समय अपने चारों पादों का प्रयोग करते हैं, परंतु गिब्बन केवल अपने दोनों पश्चपादों पर सीधा होकर चल सकता है।
पुरुषाभ वानर पुच्छरहित होने के अतिरिक्त और भी कई प्रकार से अन्य वानरों से भिन्न होते है। इनका वक्ष:स्थल चौड़ा तथा मनुष्य की भाँति चपटा होता है। कमर में ६-७ कशेरुकाओं के स्थान पर केवल ४-५ कशेरुकाएँ होने के कारण इनकी कमर की लंबाई कुछ कम होती है। मस्तिष्क अन्य वानरों की अपेक्षा दीर्घ तथा विकसित होता है। इसके विपरीत इनकी आंत के अंधनाल (caecum) पर एक कृभिरूप परिशेषिका (vermiform appendix) का होना, अग्रवाह पर कलाई के अतिरिक्त कोहनी की ओर बालों का झुका रहना तथा मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क गोलार्ध (cerebral hemisphere) का बड़ा तथा जटिल होना इत्यादि मनुष्य से निकट संबंध का व्रतीक है। इसके अतिरिक्त इनका मानसिक विकास तथा व्यवहार भी अन्य जीवों की अपेक्षा अधिक मानुषिक है। इसी कारण पुरुषाभ वानरों तथा मनुष्यों में कुछ महत्वपूर्ण भिन्नता होने पर भी इनको अन्य वानरों से अलग कर, मनुष्य के साथ ही अधिकुल होमिनिडी (Hominidae) में रखा गया है। कुछ वैज्ञानिकों का तो यहाँ तक मत है कि मनुष्य की उत्पत्ति पुरुषाभ वानरों से ही हुई होगी।