वानर
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- यह लेख रामायण में मिलने वाली जाति के बारे में है, यदि आप आधुनिक जीव-विज्ञान के वानरों को खोज रहें हैं तो कपि का लेख देखें
वानर हिन्दू गाथा रामायण में वर्णित मानवनुमा कपियों की एक जाति थी जिसके सदस्य साहस, शक्ति, बुद्धि और जिज्ञासा के गुण रखते थे।
मूल
वानर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - 1. वन 2. नर।
इसका शाब्दिक अर्थ होता है - "वन में रहने वाला नर"। यानि जो प्राणी वन में रहते हैं उन्हें वानर कहते हैं। इसी तथ्य के आधार पर महात्मा रामचन्द्र वीर ने "हनुमान जी की जाति वानर बतायी है और इसी आधार पर राजस्थान के विराटनगर में नर स्वरुप में हनुमान जी की मूर्ति वज्रांग मन्दिर मे स्थापित की है। यह मन्दिर पूरे भारतवर्ष मे हनुमान जी के अन्य मन्दिरों से अलग है।
अन्य अर्थ
"वानर" शब्द का अर्थ कभी-कभी सीधा "बन्दर" भी निकाला जाता है।