राजस्थान की महत्वपूर्ण कला-संस्कृति इकाइयां

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>अजीत कुमार तिवारी द्वारा परिवर्तित ०३:५२, २८ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (Removing link(s) देखें: विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी चर्चा समाप्त, परिणाम था हटाया (XFDcloser))
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

राजस्थान की प्रमुख कला संगमरमर के पत्थर से बनने वाली मूर्तियाँ है। संगमरमर पत्थर की मूर्ती कला का उद्गम स्थान अलवर जिले का किशोरी गाँव है। यहाँ के आदिगौड़ ब्राह्मण समाज ने मूर्तीकला को विकसित किया। भारत का सबसे बड़ा मूर्ती बाजार जयपुर मेंं स्थित है। राजस्थान के मकराना(नागौर) में निकलने वाला संगमरमर पत्थर विश्व प्रसिद्ध है जिसे विश्व की कई संस्थाओं ने पुरातात्विक धरोहर के रूप में स्विकार किया है। विश्व प्रसिद्ध आगरा का ताजमहल मकराना के पत्थर से निर्मित है।

राजस्थान की महत्वपूर्ण कला-संस्कृति इकाइयां

नाम, स्थान, स्थापना

राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर 25 जनवरी 1983

राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर, 19 जनवरी 1986

राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 15 जुलाई 1969

राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर 1981

अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक दिसम्बर, 1978

राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर 1979

विद्या भवन संस्थान उदयपुर 1931

राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर 23 जनवरी 1958

राजस्थान अभिलेखागार बीकानेर 1955

रुपायन संस्थान बोरुंदा (जोधपुर) 1960

रवीन्द्र रंगमंच जयपुर 15 अगस्त 1963

जयपुर कथक केन्द्र जयपुर 1978

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स जयपुर 1866

राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर 1957

राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर 1950

जवाहर कला केंद्र, जयपुर 8 अप्रैल 1993

राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर 1 सितम्बर 1976