राजस्थान की महत्वपूर्ण कला-संस्कृति इकाइयां
राजस्थान की प्रमुख कला संगमरमर के पत्थर से बनने वाली मूर्तियाँ है। संगमरमर पत्थर की मूर्ती कला का उद्गम स्थान अलवर जिले का किशोरी गाँव है। यहाँ के आदिगौड़ ब्राह्मण समाज ने मूर्तीकला को विकसित किया। भारत का सबसे बड़ा मूर्ती बाजार जयपुर मेंं स्थित है। राजस्थान के मकराना(नागौर) में निकलने वाला संगमरमर पत्थर विश्व प्रसिद्ध है जिसे विश्व की कई संस्थाओं ने पुरातात्विक धरोहर के रूप में स्विकार किया है। विश्व प्रसिद्ध आगरा का ताजमहल मकराना के पत्थर से निर्मित है।
राजस्थान की महत्वपूर्ण कला-संस्कृति इकाइयां
नाम, स्थान, स्थापना
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर 25 जनवरी 1983
राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर, 19 जनवरी 1986
राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 15 जुलाई 1969
राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर 1981
अरबी फारसी शोध संस्थान, टोंक दिसम्बर, 1978
राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर 1979
विद्या भवन संस्थान उदयपुर 1931
राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर 23 जनवरी 1958
राजस्थान अभिलेखागार बीकानेर 1955
रुपायन संस्थान बोरुंदा (जोधपुर) 1960
रवीन्द्र रंगमंच जयपुर 15 अगस्त 1963
जयपुर कथक केन्द्र जयपुर 1978
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर
राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स जयपुर 1866
राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर 1957
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर 1950
जवाहर कला केंद्र, जयपुर 8 अप्रैल 1993
राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर 1 सितम्बर 1976