"सेम" के अवतरणों में अंतर
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'''सेम''' एक [[लता]] है। इसमें फलियां लगती हैं। फलियों की [[सब्ज़ी|सब्जी]] खाई जाती है। इसकी [[पत्ती|पत्तियां]] चारे के रूप में प्रयोग की जा सकती हैं। [[ललौसी]] नामक [[चर्म रोग|त्वचा रोग]] सेम की पत्ती को संक्रमित स्थान पर रगड़ने मात्र से ठीक हो जाता है। | |||
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सेम संसार के प्राय: सभी भागों में उगाई जाती हैं। इसकी अनेक जातियाँ होती हैं और उसी के अनुसार फलियाँ भिन्न-भिन्न आकार की लंबी, चिपटी और कुछ टेढ़ी तथा सफेद, हरी, पीली आदि रंगों की होती है। इसकी फलियाँ शाक सब्जी के रूप में खाई जाती हैं, स्वादिष्ट और पुष्टकर होती हैं यद्यपि यह उतनी सुपाच्य नहीं होती। वैद्यक में सेम मधुर, शीतल, भारी, बलकारी, वातकारक, दाहजनक, दीपन तथा पित्त और कफ का नाश करने वाली कही गई हैं। इसके बीज भी शाक के रूप में खाए जाते हैं। इसकी दाल भी होती है। बीज में प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त रहती है। उसी कारण इसमें पौष्टिकता आ जाती है। | |||
सेम के पौधे बेल प्रकार के होते हैं। भारत में घरों के निकट इन्हें छत पर चढ़ाते हैं। खेतों में इनकी बेलें जमीन पर फैलती हैं और फल देती हैं। उत्तर प्रदेश में रेंड़ी के खेत में इसे बोते हैं। | |||
यह मध्यम उपज देने वाली मिट्टी में उपजती है। इसके बीज एक-एक फुट की दूरी पर लगाई जाती हैं। वर्षा के प्रारंभ से बीज बोया जाता है। जाड़े या वसंत में पौधे फल देते हैं। गरमी में पौधे जीवित रहने पर फलियाँ बहुत कम देते हैं। अत: प्रति बरस बीज बोना चाहिए। यह सूखा सह सकता है। इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें ्फ्रांसिसी या किडनी सेम अधिक महत्व की है। यह दक्षिणी अमरीका का देशज है पर संसार के प्रत्येक भाग में उपजाई जाती है। यह मध्यम उपज वाली मिट्टियों में हो जाती है। प्रति एकड़ ३०-४० पाउंड नाइट्रोजन देना चाहिए। मैदानों में शीतकालीन वामन या झाड़ी वाली जातियाँ उपजती है। इन्हें अक्टूबर या प्रारंभ नवंबर तक डेढ़ से दो फुट कतारों में बोते हैं। बीज ९ इंच से १ फुट की दूरी पर लगाते हैं। कूड़ों में ३ इंच की दूरी पर बोकर पीछे ९ इंच से १ फुट का विरलन कर लेते हैं। यह पर्वतों पर अच्छी उपजती है और अंत मार्च से जून तक बोई जाती है। सिंचाई प्रत्येक पखवारे करनी चाहिए। इसकी अनेक जातियाँ हैं। यह लेगुमिनेसी वंश का पौधा है। | |||
[[File:Bean creeper.jpg|thumb|275px|left|सेम की बेल]] | |||
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* [http://opaals.iitk.ac.in/hindi/embed.jsp?url=information/saag/bean.jsp&left=information/left.jsp सेम की खेती]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} | |||
[[श्रेणी:वनस्पति]] | |||
[[श्रेणी:सब्ज़ी]] |
२०:०५, १५ जून २०२० के समय का अवतरण
सेम एक लता है। इसमें फलियां लगती हैं। फलियों की सब्जी खाई जाती है। इसकी पत्तियां चारे के रूप में प्रयोग की जा सकती हैं। ललौसी नामक त्वचा रोग सेम की पत्ती को संक्रमित स्थान पर रगड़ने मात्र से ठीक हो जाता है।
सेम संसार के प्राय: सभी भागों में उगाई जाती हैं। इसकी अनेक जातियाँ होती हैं और उसी के अनुसार फलियाँ भिन्न-भिन्न आकार की लंबी, चिपटी और कुछ टेढ़ी तथा सफेद, हरी, पीली आदि रंगों की होती है। इसकी फलियाँ शाक सब्जी के रूप में खाई जाती हैं, स्वादिष्ट और पुष्टकर होती हैं यद्यपि यह उतनी सुपाच्य नहीं होती। वैद्यक में सेम मधुर, शीतल, भारी, बलकारी, वातकारक, दाहजनक, दीपन तथा पित्त और कफ का नाश करने वाली कही गई हैं। इसके बीज भी शाक के रूप में खाए जाते हैं। इसकी दाल भी होती है। बीज में प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त रहती है। उसी कारण इसमें पौष्टिकता आ जाती है।
सेम के पौधे बेल प्रकार के होते हैं। भारत में घरों के निकट इन्हें छत पर चढ़ाते हैं। खेतों में इनकी बेलें जमीन पर फैलती हैं और फल देती हैं। उत्तर प्रदेश में रेंड़ी के खेत में इसे बोते हैं।
यह मध्यम उपज देने वाली मिट्टी में उपजती है। इसके बीज एक-एक फुट की दूरी पर लगाई जाती हैं। वर्षा के प्रारंभ से बीज बोया जाता है। जाड़े या वसंत में पौधे फल देते हैं। गरमी में पौधे जीवित रहने पर फलियाँ बहुत कम देते हैं। अत: प्रति बरस बीज बोना चाहिए। यह सूखा सह सकता है। इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें ्फ्रांसिसी या किडनी सेम अधिक महत्व की है। यह दक्षिणी अमरीका का देशज है पर संसार के प्रत्येक भाग में उपजाई जाती है। यह मध्यम उपज वाली मिट्टियों में हो जाती है। प्रति एकड़ ३०-४० पाउंड नाइट्रोजन देना चाहिए। मैदानों में शीतकालीन वामन या झाड़ी वाली जातियाँ उपजती है। इन्हें अक्टूबर या प्रारंभ नवंबर तक डेढ़ से दो फुट कतारों में बोते हैं। बीज ९ इंच से १ फुट की दूरी पर लगाते हैं। कूड़ों में ३ इंच की दूरी पर बोकर पीछे ९ इंच से १ फुट का विरलन कर लेते हैं। यह पर्वतों पर अच्छी उपजती है और अंत मार्च से जून तक बोई जाती है। सिंचाई प्रत्येक पखवारे करनी चाहिए। इसकी अनेक जातियाँ हैं। यह लेगुमिनेसी वंश का पौधा है।
उत्पादन
10 besar produsen kacang-kacangan 2011[१] | ||||
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देश | उत्पादन (टन) | टिप्पणी | ||
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कोई संकेत नहीं = आधिकारिक स्रोत, F = FAO का अनुमान, * = अनाधिकारिक स्रोत, C = गणना के आधार पर, A = कुल ; |
सन्दर्भ
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