हिन्दू मापन प्रणाली
- पुनर्निर्देशित हिन्दू काल गणना
गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ। लगभग सभी प्राचीन भारतीय ने अपने दैनिक-ग्रन्थों में मापन, मापन की इकाइयों एवं मापनयन्त्रों का वर्णन किया है।
संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है।ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त के २२वें अध्याय का नाम 'यन्त्राध्याय' है।
समय
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प्राचीन हिन्दू खगोलीय और पौराणिक ग्रन्थों में वर्णित समय चक्र आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय भार और मापन पद्धतियां अभी भी प्रयोग में हैं, मुख्यतः हिन्दू और जैन धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में। यह सभी सुरत शब्द योग में भी पढ़ाई जातीं हैं। इसके साथ साथ ही हिन्दू ग्रन्थों में लम्बाई, भार, क्षेत्रफल मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लिखित हैं।
हिन्दू ब्रह्माण्डीय समयचक्र सूर्य सिद्धांत के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं।[१]:
(श्लोक 11) : वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता है; और वह जो त्रुटि से आरम्भ होता है, अवास्तविक कहलाता है। छः श्वास से एक विनाड़ी बनती है। साठ श्वासों से एक नाड़ी बनती है।
(12) और साठ नाड़ियों से एक दिवस (दिन और रात्रि) बनते हैं। तीस दिवसों से एक मास (महीना) बनता है। एक नागरिक (सावन) मास सूर्योदयों की संख्याओं के बराबर होता है।
(13) एक चंद्र मास, उतनी चंद्र तिथियों से बनता है। एक सौर मास सूर्य के राशि में प्रवेश से निश्चित होता है। बारह मास एक वर्ष बनाते हैं। एक वर्ष को देवताओं का एक दिवस कहते हैं।
(14) देवताओं और दैत्यों के दिन और रात्रि पारस्परिक उलटे होते हैं। उनके छः गुणा साठ देवताओं के दिव्यवर्ष होते हैं। ऐसे ही दैत्यों के भी होते हैं।
(15) बारह सहस्र (हजार) दिव्य वर्षों को एक चतुर्युग कहते हैं। यह चार लाख बत्तीस हजार सौर वर्षों का होता है।
(16) चतुर्युगी की उषा और संध्या काल होते हैं। कॄतयुग या सतयुग और अन्य युगों का अन्तर, जैसे मापा जाता है, वह इस प्रकार है, जो कि चरणों में होता है:
(17) एक चतुर्युगी का दशांश को क्रमशः चार, तीन, दो और एक से गुणा करने पर कॄतयुग और अन्य युगों की अवधि मिलती है। इन सभी का छठा भाग इनकी उषा और संध्या होता है।
(18) इकहत्तर चतुर्युगी एक मन्वन्तर या एक मनु की आयु होते हैं। इसके अन्त पर संध्या होती है, जिसकी अवधि एक सतयुग के बराबर होती है और यह प्रलय होती है।
(19) एक कल्प में चौदह मन्वन्तर होते हैं, अपनी संध्याओं के साथ; प्रत्येक कल्प के आरम्भ में पंद्रहवीं संध्या/उषा होती है। यह भी सतयुग के बराबर ही होती है।
(20) एक कल्प में, एक हज़ार चतुर्युगी होते हैं और फ़िर एक प्रलय होती है। यह ब्रह्मा का एक दिन होता है। इसके बाद इतनी ही लम्बी रात्रि भी होती है।
(21) इस दिन और रात्रि के आकलन से उनकी आयु एक सौ वर्ष होती है; उनकी आधी आयु निकल चुकी है और शेष में से यह प्रथम कल्प है।
(22) इस कल्प में, छः मनु अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब सातवें मनु (वैवस्वत: विवस्वान (सूर्य) के पुत्र) का सत्ताइसवां चतुर्युगी बीत चुका है।
(23) वर्तमान में, अट्ठाइसवां चतुर्युगी का कृतयुग बीत चुका है। उस बिन्दु से समय का आकलन किया जाता है।
हिन्दू समय मापन, (काल व्यवहार) का सार निम्न लिखित है:
नाक्षत्रीय मापन
- एक परमाणु = मानवीय चक्षु के पलक झपकने का समय = लगभग 4 सैकिण्ड
- एक विघटि = ६ परमाणु = (विघटि) is २४ सैकिण्ड
- एक घटि या घड़ी = 60 विघटि = २४ मिनट
- एक मुहूर्त = 2 घड़ियां = 48 मिनट
- एक नक्षत्र अहोरात्रम या नाक्षत्रीय दिवस = 30 मुहूर्त (दिवस का आरम्भ सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक, ना कि अर्धरात्रि से)
विष्णु पुराण में दिया गया अक अन्य वैकल्पिक पद्धति समय मापन पद्धति अनुभाग, विष्णु पुराण, भाग-१, अध्याय तॄतीय निम्न है:
- 10 पलक झपकने का समय = 1 काष्ठा
- 35 काष्ठा= 1 कला
- 20 कला= 1 मुहूर्त
- 10 मुहूर्त= 1 दिवस (24 घंटे)
- 30 दिवस= 1 मास
- 6 मास= 1 अयन
- 2 अयन= 1 वर्ष, = १ दिव्य दिवस
छोटी वैदिक समय इकाइयाँ
- एक तॄसरेणु = 6 ब्रह्माण्डीय अणु
- एक त्रुटि = 3 तॄसरेणु, या सैकिण्ड का 1/1687.5 भाग
- एक वेध = 100 त्रुटि.
- एक लावा = 3 वेध.[१]
- एक निमेष = 3 लावा, या पलक झपकना
- एक क्षण = 3 निमेष.
- एक काष्ठा = 5 क्षण, = 8 सैकिण्ड
- एक लघु =15 काष्ठा, = 2 मिनट[२]
- 15 लघु = 1 नाड़ी, जिसे दण्ड भी कहते हैं। इसका मान उस समय के बराबर होता है, जिसमें कि छः पल भार के (चौदह आउन्स) के ताम्र पात्र से जल पूर्ण रूप से निकल जाये, जबकि उस पात्र में चार मासे की चार अंगुल लम्बी सूईं से छिद्र किया गया हो। ऐसा पात्र समय आकलन हेतु बनाया जाता है।
- 2 दण्ड = 1 मुहूर्त
- 6 या 7 मुहूर्त = 1 याम, या एक चौथाई दिन या रत्रि [३]
- 4 याम या प्रहर = 1 दिन या रात्रि [४]
चाँद्र मापन
- एक तिथि वह समय होता है, जिसमें सूर्य और चंद्र के बीच का देशांतरीय कोण बारह अंश बढ़ जाता है। तुथियां दिन में किसी भी समय आरम्भ हो सकती हैं और इनकी अवधि उन्नीस से छब्बीस घंटे तक हो सकती है।
- एक पक्ष या पखवाड़ा = पंद्रह तिथियां
- एक मास = २ पक्ष (पूर्णिमा से अमावस्या तक कृष्ण पक्ष; और अमावस्या से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष)[५]
- एक ॠतु = २ मास
- एक अयन = 3 ॠतुएं
- एक वर्ष = 2 अयन [६]
ऊष्ण कटिबन्धीय मापन
- एक याम = 1½ घंटा
- 8 याम अर्ध दिवस = दिन या रात्रि
- एक अहोरात्र = नाक्षत्रीय दिवस (जो कि सूर्योदय से आरम्भ होता है)
अन्य अस्तित्वों के सन्दर्भ में काल-गणना
- पितरों की समय गणना
- 15 मानव दिवस = एक पितॄ दिवस
- 30 पितॄ दिवस = 1 पितॄ मास
- 12 पितॄ मास = 1 पितॄ वर्ष
- पितॄ जीवन काल = 100 पितॄ वर्ष= 1200 पितृ मास = 36000 पितॄ दिवस= 18000 मानव मास = 1500 मानव वर्ष
- देवताओं की काल गणना
- 1 मानव वर्ष = एक दिव्य दिवस
- 30 दिव्य दिवस = 1 दिव्य मास
- 12 दिव्य मास = 1 दिव्य वर्ष
- दिव्य जीवन काल = 100 दिव्य वर्ष= 36000 मानव वर्ष
विष्णु पुराण के अनुसार काल-गणना विभाग, विष्णु पुराण भाग १, तॄतीय अध्याय के अनुसार:
- 2 अयन (छः मास अवधि, ऊपर देखें) = 1 मानव वर्ष = एक दिव्य दिवस
- 4,000 + 400 + 400 = 4,800 दिव्य वर्ष = 1 कॄत युग
- 3,000 + 300 + 300 = 3,600 दिव्य वर्ष = 1 त्रेता युग
- 2,000 + 200 + 200 = 2,400 दिव्य वर्ष = 1 द्वापर युग
- 1,000 + 100 + 100 = 1,200 दिव्य वर्ष = 1 कलि युग
- 12,000 दिव्य वर्ष = 4 युग = 1 महायुग (दिव्य युग भी कहते हैं)
- ब्रह्मा की काल गणना
- 1000 महायुग= 1 कल्प = ब्रह्मा का 1 दिवस (केवल दिन) (चार अरब बत्तीस करोड़ मानव वर्ष; और यहू सूर्य की खगोलीय वैज्ञानिक आयु भी है).
(दो कल्प ब्रह्मा के एक दिन और रात बनाते हैं)
- 30 ब्रह्मा के दिन = 1 ब्रह्मा का मास (दो खरब 59 अरब 20 करोड़ मानव वर्ष)
- 12 ब्रह्मा के मास = 1 ब्रह्मा के वर्ष (31 खरब 10 अरब 4 करोड़ मानव वर्ष)
- 50 ब्रह्मा के वर्ष = 1 परार्ध
- 2 परार्ध= 100 ब्रह्मा के वर्ष= 1 महाकल्प (ब्रह्मा का जीवन काल)(31 शंख 10 खरब 40अरब मानव वर्ष)
ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं:
4 चरण (1,728,000 सौर वर्ष) | सत युग |
3 चरण (1,296,000 सौर वर्ष) | त्रेता युग |
2 चरण (864,000 सौर वर्ष) | द्वापर युग |
1 चरण (432,000 सौर वर्ष) | कलि युग |
यह चक्र ऐसे दोहराता रहता है, कि ब्रह्मा के एक दिवस में 1000 महायुग हो जाते हैं
- एक उपरोक्त युगों का चक्र = एक महायुग (43 लाख 20 हजार सौर वर्ष)
- श्रीमद्भग्वदगीता के अनुसार "सहस्र-युग अहर-यद ब्रह्मणो विदुः", अर्थात ब्रह्मा का एक दिवस = 1000 महायुग. इसके अनुसार ब्रह्मा का एक दिवस = 4 अरब 32 करोड़ सौर वर्ष. इसी प्रकार इतनी ही अवधि ब्रह्मा की रात्रि की भी है.
- एक मन्वन्तर में 71 महायुग (306,720,000 सौर वर्ष) होते हैं. प्रत्येक मन्वन्तर के शासक एक मनु होते हैं.
- प्रत्येक मन्वन्तर के बाद, एक संधि-काल होता है, जो कि कॄतयुग के बराबर का होता है (1,728,000 = 4 चरण) (इस संधि-काल में प्रलय होने से पूर्ण पॄथ्वी जलमग्न हो जाती है.)
- एक कल्प में 1,728,000 सौर वर्ष होते हैं, जिसे आदि संधि कहते हैं, जिसके बाद 14 मन्वन्तर और संधि काल आते हैं
- ब्रह्मा का एक दिन बराबर है:
- (14 गुणा 71 महायुग) + (15 x 4 चरण)
- = 994 महायुग + (60 चरण)
- = 994 महायुग + (6 x 10) चरण
- = 994 महायुग + 6 महायुग
- = 1,000 महायुग
पाल्या
एक पाल्य समय की इकाई है, यह बराबर होती है, भेड़ की ऊन का एक योजन ऊंचा घन बनाने में लगा समय, यदि प्रत्येक सूत्र एक शताब्दी में चढ़ाया गया हो। इसकी दूसरी परिभाषा अनुसार, एक छोटी चिड़िया द्वारा किसी एक वर्ग मील के सूक्ष्म रेशों से भरे कुंए को रिक्त करने में लगा समय, यदि वह प्रत्येक रेशे को प्रति सौ वर्ष में उठाती है।
यह इकाई भगवान आदिनाथ के अवतरण के समय की है। यथार्थ में यह 100,000,000,000,000 पाल्य पहले था।
वर्तमान तिथि
कोई भी शुभ कार्य करने के पहले हिन्दुओं में जो संकल्प लिया जाता है उसमें भारतीय कालगणना की महानता दृष्टिगत है -
...श्री ब्रह्मणो द्वितीयपर्द्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशति तमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गते ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौध्दावतारे वर्तमाने यथानाम संवत्सरे (२०५५ सन् १९९८) महामांगल्यप्रदे मासोत्तमे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे चतुर्थी तिथियौ दिनांक दिवस (वार) समय शुभयोगे ....
हम वर्तमान में वर्तमान ब्रह्मा के इक्यावनवें वर्ष में सातवें मनु, वैवस्वत मनु के शासन में श्वेतवाराह कल्प के द्वितीय परार्ध में, अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम वर्ष के प्रथम दिवस में विक्रम संवत २०६४ में हैं। इस प्रकार अबतक पंद्रह शंख पचास खरब वर्ष इस ब्रह्मा को सॄजित हुए हो गये हैं।
वर्तमान कलियुग दिनाँक 17 फरवरी / 18 फरवरी को 3102 ई.पू. में हुआ था, ग्रेगोरियन कैलेण्डर के अनुसार।
इकाइयाँ
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पृथ्वी की लम्बाई हेतु सर्वाधिक प्रयोगित इकाई है योजन। धार्मिक विद्वान भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा उनके पौराणिक अनुवादों में सभी स्थानों पर योजन की लम्बाई को 8 मील (13 कि.मी.) बताया गया है.[२] . अधिकांश भारतीय विद्वान इसका माप 13 कि॰मी॰ से 16 कि॰मी॰ (8-10 मील) के लगभग बताते हैं.
छोटी लम्बाई
इसकी अन्य लम्बाई इस प्रकार हैं:
- 8 यव = 1 अंगुल
- 1 अंगुल = 16 मिमी से 21 मिमी (mm)
- 4 अंगुल = एक धनु ग्रह = 62 मिमी से 83 मिमी;
- 8 अंगुल = एक धनु मुष्टि (अंगुष्ठ उठा के) = 125 mm से 167 mm ;
- 12 अंगुल = 1 वितस्ति (अंगुष्ठ के सिरे से पूरे हाथ को खोल कर कनिष्ठिका अंगुली के सिरे तक की दूरी) = 188 mm से 250 mm
- 2 वितस्ति = 1 अरत्नि (हस्त) = 375 mm से 500 mm
- 4 अरति = 1 दण्ड = 1.5 से 2.0 m
- 2 दण्ड = 1 धनु = 3 से 4 m
- 5 धनु = 1 रज्जु = 15 m से 20 m
- 2 रज्जु = 1 परिदेश = 30 m से 40 m
- 100 परिदेश = 1 क्रोश या कोस (या गोरत) = 3 किमी (km) से 4 किमी
- 4 कोस या कोश = 1 योजन = 13 km से 16 km
- 1,000 योजन = 1 महायोजन = 13,000 Km से 16,000 Km
रज्जु या रजलोक
एक रजलोक होता है - एक देवता द्वारा 2,057,152 योजन प्रति समय की गति से छः मास में तय की दूरी। यह लगभग 2,047,540,985,856,000 किलोमीटर या 216.5 प्रकाश वर्ष) के बराबर होगी। इसे १००० भार की लौह गेंद को छः मास मुक्त गति से स्वर्ग, इंद्र के गृह से गिराया जाये, तो उससे तय हुई दूरी के बराबर भी माना जा सकता है।
- 7 रज्जु = 1 जगश्रेणी
क्षेत्रफल
- बीघा (भारत में)
एक बीघा बराबर है:
- 2500 वर्ग मीटर (राजस्थान) में
- 1333.33 वर्ग मीटर (बंगाल) में
- 14,400 वर्ग फ़ीट (1337.8 m²) या 5 कथा (आसाम) में, एक कथा = 2,880 वर्ग फ़ीट (267.56 m²).
- एक कठ्ठा= 720 वर्ग फ़ीट
- बीघा (नेपाल में)
- 1 बीघा = 20 कठ्ठा (लगभग 2,603.7 m²)
- 1 कठ्ठा = 20 धुर (लगभग 130.19 m²)
- 1 बीघा= 13.9 रोपनी
- 1 रोपनी = 16 आना (लगभग 508.72 m²)
- 1 आना= 4 पैसा (लगभग 31.80 m²)
- 1 पैसा= 4 दाम (7.95 m²)
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रत्ती
रत्ती भारतीय पारंपरिक भार मापन इकाई है, जिसे अब 0.12125 ग्राम पर मानकीकृत किया गया है। यह रत्ती के बीज के भार के बराबर होता था।
- 1 तोला = 12 माशा = 11.67 ग्राम (यह तोला के बीज के भार के बराबर्होता था, जो कि कुछ स्थानों पर जरा बदल जाता था)[३]
- 1 माशा = 8 रत्ती = 0.97 ग्राम
- 1 धरनी = 2.3325 किलोग्राम (लगभग 5.142 पाउण्ड) = 12 पाव (यह नेपाल में प्रयोग होती थी)।
- १ सेर = १ लीटर = 1.06 क्वार्ट (इसे सन १८७१ में यथार्थ १ लीटर मानकीकृत किया गया था, जो कि बाद में अप्रचलित हो गयी थी)
- १ पंसेरी = पांच सेर = 4.677 kg (10.3 पाउण्ड)
- १ सेर = ८० तोला चावल का भार
मापन यन्त्र
खगोलविद एवं उनका काल | रचित ग्रन्थ | प्रयुक्त यन्त्र का मूल नाम | तुल्य अंग्रेजी नाम |
---|---|---|---|
आर्यभट्ट (476ई.) |
आर्यभटसिद्धान्त आर्यभटीय |
चक्रयन्त्र गोलयन्त्र |
Disk instrument Spherical instrument |
वराहमिहिर (505ई.) |
पंचसिद्धान्त बृहत्संहिता बृहत जातक |
चक्रयन्त्र | Ring instrument |
ब्रह्मगुप्त (598ई.) |
ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त | कर्मखण्डखाद्यक | |
लल्ल (700ई.) |
शिष्यधीवृद्धिद | गोलयन्त्र भंगनयन्त्र चक्रयन्त्र धनुयन्त्र घटीयन्त्र शकटयन्त्र कर्तरियन्त्र शलाकायन्त्र यष्टियन्त्र |
Spherical instrument Ring instrument Disk instrument Bow & arrow instr Time vessel Two pivoted sticks Scizzor instrument Needle instrument Stick instrument |
श्रीपति (999ई.) |
ज्योतिषरत्नमाला सिद्धान्तशेखर |
शालकयन्त्र | Needle instrument |
भास्कराचार्य (1072ई.) |
सिद्धान्तशिरोमणि लीलावती बीजगणितम् करणकुतुहल |
चक्रयन्त्र चापयन्त्र यष्टियन्त्र गोलयन्त्र |
Diskinstrument Semicircular disk instr Stick instrument Spherical inst |
गणेश दैवज्ञ (1507ई.) |
ग्रहलाघव सुधिरंजनी |
जलत्नलिकायन्त्रम(विधि) तर्जनीयन्त्रम |
Star position inginstrument |
<ref>AstronomicalInstrumentsInAncientIndiaShekherNarvekeसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]</>
इन्हें भी देखें
|
||
हिन्दू शास्त्र | ||
टिप्पणी
सन्दर्भ
- Ebenezer Burgess. "Translation of the Surya-Siddhanta, a text-book of Hindu Astronomy", Journal of the American Oriental Society 6 (1860): 141–498.
- Victor J. Katz. A History of Mathematics: An Introduction, 1998.
- Dwight William Johnson. Exegesis of Hindu Cosmological Time Cycles, 2003.
- Alaska Mark. Surya Siddhanta, Chapter I with Commentary and Illustrations, 2005.
- विष्णु पुराण भाग एक, अध्याय तॄतीय का काल-गणना अनुभाग
- सॄष्टिकर्ता ब्रह्मा का एक ब्रह्माण्डीय दिवस
- वैदिक समय यात्रा, विनय मंगल द्वारा विस्तॄत वर्णन
- महायुग
- Mensuration in Ancient India
- ↑ cf. Burgess.
- ↑ Srimad Bhagavatam 10.57.18 (translation) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। "one yojana measures about eight miles"
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।