अतिस्वेदलता

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साँचा:short descriptionसाँचा:infoboxसाँचा:main other अतिस्वेदलता (हाइपरहाइड्रोसिस / Hyperhidrosis) एक ऐसी हालत/अवस्था है जिसमें असामान्य रूप से अत्यधिक पसीना आती है,[१][२] जो कि शरीर के तापमान के नियमन के लिए जरूरी है।[३] हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी की वजह से आती है हथेलियों और तलवों में अधिक पसीना[४] सामान्‍यतया शरीर से पसीना आने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है।[५] लेकिन यदि आप हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी से ग्रस्‍त हैं तो सर्दियों में भी आपकी हथेलियों और तलवों से पसीना आएगा।[६]

अतिस्वेदलता (हाइपरहाइड्रोसिस)
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Visual scale for the quantification of hyperidrosis.tif
हाइपरहाइड्रोसिस की मात्रा का निर्धारण करने के लिए चित्रण के आधार पर दृश्यमान पैमाने के साथ नैदानिक ​​रूप से हाइपरहाइड्रोसिस को मापने या मापने के लिए विज़ुअल स्केल, सामान्य से सूखे होने से हाइपरहाइड्रोसिस का सबसे खराब स्तर
आईसीडी-१० R61.
आईसीडी- 780.8
ओएमआईएम 144110 144100
डिज़ीज़-डीबी 6239
मेडलाइन प्लस 007259
ईमेडिसिन topic list


पसीना हमारे शरीर में मौजूद पसीने की ग्रंथियों से निकलता है।[७] इन्हें एक्राइन स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) कहते हैं। इंसान के शरीर पर 20 लाख से 40 लाख तक पसीने की ग्रंथियां होती है। ये ग्रंथियां पैर के तलवों , हथेली , मस्तक , गाल और काँख Armpit में सबसे ज्यादा होती है। इसलिए इन जगहों पर स्वेटिंग ज्यादा होती है। पसीने में 99 % पानी और थोड़ी मात्रा में नमक , प्रोटीन और यूरिया होते है। पसीना गंध रहित पानी होता है।

वर्गीकरण

हाइपरहाइड्रोसिस दो तरह के होते है एक प्राइमरी और दूसरा सेकेंड्री।[८]

फोकल हाइपरहाइड्रोसिस

जब हाथों, पैरों और काँख को अत्यधिक पसीना प्रभावित करता है तो इसे प्राइमरी या फोकल हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं। प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस के अधिकतर मामलों में कोई कारण नहीं पाया गया, यह पारिवारिक रूप से प्रसारित होता प्रतीत होता है।

सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस

यदि पसीना किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति के कारण आता है तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं। पसीना पूरे शरीर में या एक क्षेत्र में हो सकता है। सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस उत्पन्न करने वाली स्थितियाँ:

  • बेचैनी की स्थिति।
  • कुछ दवाएँ और अनुचित प्रयोग की वस्तुएँ।
  • ग्लूकोस नियंत्रण के विकार।
  • ह्रदयरोग
  • फेफड़ों का रोग
  • हाइपरथाइरोइडिसम
  • रजोनिवृत्ति
  • मेरुदंड में चोट
  • मस्तिष्क आघात

हथेली का अत्यधिक पसीनापन(पाल्मोप्लान्टर हाइपरहाइड्रोसिस)

हथेली का अत्यधिक पसीनापन या पाल्मोप्लान्टर हाइपरहाइड्रोसिस ११ साल की उम्र से शुरू होता है और जीवन भर इससे जूझना पड़ता है। हाथों का अत्यधिक पसीनापन ना केवल लज्जा का विषय बन जाता है, बल्कि हमारी गतिविधियों में दखल भी डालता है।

उपाय

  • नियमित हाथ धोइये: पसीने वाले हाथ खुद नहीं सूखेंगे और उन्हें सूखा रखने के लिए आपको उन्हें सामान्य से अधिक बार धोना पड़ेगा। जैसे ही हाथों का पसीना आपको परेशानी देने लगे, आप उन्हें धो लीजिए और फिर किसी टॉवल या कपड़े से अच्छी तरह से सुखा लीजिये।
  • हमेशा अपने साथ एक अल्कोहल वाला (एंटीबैक्टीरियल या जीवाणुरोधी नहीं) हैंड सेनिटाइज़र रखें ताकि अगर आपको हाथ धोने के लिए पानी ना मिले तो आप उसका इस्तेमाल कर सकें। थोड़े से अल्कोहल से आपके हाथ, कुछ देर के लिए ही सही, सूखे रहेंगे।
  • अपने साथ एक रुमाल या पेपर टॉवल रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप अपने हाथों को उनसे पोंछ सकें। जब आपको किसी से हाथ मिलाना हो तो पहले उनका इस्तेमाल करें।
  • हाथों को ठंडा रखें: बहुत से लोग गर्मी में ज़्यादा पसीना छोड़ते हैं, इसीलिए हाथों को ठंडा करना एक सरल और असरदार उपाय है। अपने हाथों को आप फैन या एयर कंडीशनर के सामने फैला के रखें ताकि वे सूखे रहें और पसीना कम बने।
  • हाथों पर थोड़ा सा पाउडर छिड़क लीजिये: अगर आप घर में हों तो हाथों की नमी को रोकने के लिए उनपर पाउडर लगा के रख सकते हैं जोकी नमी को सोख लेता है। इससे आप आसानी से रोज़मर्रा के काम कर सकेंगे, जैसे कि भार उठाना, रस्सी कूदना या ऐसा कोई काम जिसमे हाथों के पकड़ की ज़रुरत हो।
  • बेकिंग सोडा या मकई का आटा (कॉर्न स्टार्च।)

उपचार

हाइपरहाइड्रोसिस के लिए उपलब्ध कई प्रणालीगत, सामयिक, शल्यचिकित्सक और विद्युत उपचार हैं।[९] एंटीहाइड्रल क्रीम हथेलियों और पैरों के लिए हाइपरहाइड्रोसिस के लिए निर्धारित समाधानों में से एक है,[१०][११] और प्रति सप्ताह केवल 2 बार लगाने के साथ अच्छी तरह से काम करता है।[१२] हाइपरहाइड्रोसिस थेरेपी के लिए टॉपिकल एजेंटों में फार्मल्डिहाइड लोशन, सामयिक एंटीकॉलिनर्जिक्स इत्यादि का उपयोग करते हैं। ये एजेंट केराटिन (प्रोटीन) को विकृतीकरण कर पसीने को कम करते हैं, जिससे स्वेद-ग्रन्थि/पसीना ग्रंथि (Eccrine Sweat Glands) के छिद्रों को बंद करता है। उनके पास एक अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। फार्मल्डिहाइड को एक संभावित मानव कैंसरजन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि दिन के बाद वर्ष में लगातार इनहेलेशन से , नाक और मस्तिष्क के कैंसर, और संभवतः रक्त का कैंसर (ल्यूकेमिया) हो सकता है।[१३] संपर्क संवेदनशीलता बढ़ी है।

  • एन्टीपर्सपिरेंट का इस्तेमाल करें: आमतौर पर वे कांख या अंडरआर्म्स पे इस्तेमाल किये जाते हैं, इसीलिए आप उनको हाथों पर लगाने की नहीं सोचते, पर जो रासायनिक तत्व अंडरआर्म्स का पसीना रोकते हैं, वे हाथों का भी पसीना रोक सकेंगे।
  • शांत रहें: चिंता और तनाव से ज़्यादा पसीना छूटता है। ध्यान और योग इत्यादि की चर्चा कीजिये जिससे की आपका तनाव कम रहे और ज़्यादा पसीना ना छूटे।
  • आइओन्टोफोरेसिस: इस प्रक्रिया में बिजली का करंट आपकी त्वचा के अंदर दौड़ाया जाता है जिससे कि कुछ समय के लिए पसीना आना बंद हो जाता है।
  • बोटुलिनम टॉक्सिन इंजेक्शन: बोटोक्स इंजेक्शन का इस्तेमाल आम तौर पर चेहरे की झुर्रियां हटाने के लिए या होठों को मोटा करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, लेकिन इनको पसीना पैदा करने वाली नसों को रोकने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालाँकि, इंजेक्शन्स से दर्द हो सकता है और असर अस्थायी होता है।
  • सिम्पैथेक्टोमी: इस चिकित्सा पद्धति में ऑपरेशन के माध्यम से छाती से एक नस को हटाया जाता है जिससे कि पसीना पैदा करने वाला कोई भी संकेत हाथ की नसों तक जा ना सके; इसका असर स्थायी है।[१४][१५]

यह ऑपरेशन आखिरी विकल्प माना जाता है क्योंकि आधे मामलों में मुआवज़े के तौर पर शरीर के किसी और हिस्से से और भी ज़्यादा पसीना निकलता है। हाथ का पसीना तो चला जायेगा लेकिन आपके पीठ या किसी और हिस्से से और भी पसीना छूटने लगेगा। अगर आप इसी पद्धति का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो ऐसे किसी डॉक्टर के पास जाइये जिन्होंने यह ऑपरेशन पहले किया है। ऐसे किसी से यह ऑपरेशन ना करवाएं जोकि इस पद्धति से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हैं।

लक्षण और कारण

  • निराशा
  • उत्तेजना
  • कुछ भोज्य वस्तुएँ
  • मोटापा
  • मौसम की स्थितियाँ

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ