श्री रूपनारायण जी मंदिर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2020) साँचा:find sources mainspace |
श्री रूपनारायण जी मंदिर | |
---|---|
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found। | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
ज़िला | राजसमंद |
राज्य | राजस्थान |
देश | भारत |
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude। | |
वास्तु विवरण | |
निर्माता | साँचा:if empty |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
अवस्थिति ऊँचाई | साँचा:convert |
साँचा:designation/divbox | |
साँचा:designation/divbox |
साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main other
श्री रूपनारायण जी का यह प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान [१]के राजसमंद ज़िले के सेवंत्री गांव में स्थित है। यह मंदिर गढ़बोर में अवस्थित चारभुजा जी मंदिर से 9 किमी की दूरी पर सेवंत्री नामक ग्राम में स्थित है। अरावली पर्वत श्रेणी और गहन वन से घिरा यह मंदिर एक दर्शनीय स्थल है और यहाँ के लोगों की ठाकुर श्री रूपनारायण जी में बड़ी आस्था है।
- इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु गदा, पद्म, शंख एवं चक्र धारण किये माता श्री देवी और माता भूदेवी के साथ विराजमान हैं। (श्रीदेवी लक्ष्मी जी और भूदेवी पृथ्वी माँ के नाम से संबोधित किये जाते हैं)। स्थानीय लाेग बताते हैं कि भगवान श्री विष्णु के इस रूप में उनके साथ देवी रूक्मिणी और देवी सत्यभामा मौजूद हैं।
- ये मंदिर बहुत ही अद्भुत ,भव्य एवं अकल्पनीय है। आज जो भव्य रूप मंदिर का दिखाई देता है उसका निर्माण आज से 500 वर्ष पूर्व हुआ था। सबसे पहले यहाँ महाभारत काल में पांडवों ने भगवान रूपनारायण की पूजा-अर्चना शुरु की थी और यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया था जो कि मुख्य मंदिर है। पांडवकालीन निर्मित मंदिर के शिखर का दर्शन आज भी किया जा सकता है। बाद में उस मंदिर के बाहर 52 स्तम्भों से युक्त एक मंडप का निर्माण किया गया जो कि इस मंदिर को एक नया सौन्दर्य और भव्यता प्रदान करता है। यह तीर्थ स्थान चारों तरफ़ से अरावली पर्वत की वनाच्छादित घनी पहाड़ियों ,गहन वन, गोमतीघाट ,सरोवर, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के फलों से सुस्सजित है। कहते हैं कि इस क्षेत्र में पाये जाने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के फल पूरे विश्व में एक ही क्षेत्र में कदाचित नहीं होंगे।
- मान्यता यह है कि इस तीर्थ स्थान पर जो विभिन्न प्रकार के फल एवं दुर्लभ आयुर्वेदिक वनस्पतियां पाई जाती हैं जो कदाचित हिमालय पर्वत के अतिरिक्त और कहीं नहीं पाई जाती हैं। इस कारण पांडवो ने भी इस तीर्थ को अस्थायी निवास के रूप में चुना और ये प्रसिद्ध है कि इस मंदिर का निर्माण और पूजा पांडवों ने की थी।
बाहरी कड़ियाँ
- shree roopnarayan ji mandir sevantri
- श्री रूपनारायण जी मंदिर
- google maps
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।