श्री रूपनारायण जी मंदिर

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श्री रूपनारायण जी मंदिर
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श्री रूपनारायण मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
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अवस्थिति जानकारी
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ज़िलाराजसमंद
राज्यराजस्थान
देशभारत
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वास्तु विवरण
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श्री रूपनारायण जी का यह प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान [१]के राजसमंद ज़िले के सेवंत्री गांव में स्थित है। यह मंदिर गढ़बोर में अवस्थित चारभुजा जी मंदिर से 9 किमी की दूरी पर सेवंत्री नामक ग्राम में स्थित है। अरावली पर्वत श्रेणी और गहन वन से घिरा यह मंदिर एक दर्शनीय स्थल है और यहाँ के लोगों की ठाकुर श्री रूपनारायण जी में बड़ी आस्था है।

  • इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु गदा, पद्म, शंख एवं चक्र धारण किये माता श्री देवी और माता भूदेवी के साथ विराजमान हैं। (श्रीदेवी लक्ष्मी जी और भूदेवी पृथ्वी माँ के नाम से संबोधित किये जाते हैं)। स्थानीय लाेग बताते हैं कि भगवान श्री विष्णु के इस रूप में उनके साथ देवी रूक्मिणी और देवी सत्यभामा मौजूद हैं।
  • ये मंदिर बहुत ही अद्भुत ,भव्य एवं अकल्पनीय है। आज जो भव्य रूप मंदिर का दिखाई देता है उसका निर्माण आज से 500 वर्ष पूर्व हुआ था। सबसे पहले यहाँ महाभारत काल में पांडवों ने भगवान रूपनारायण की पूजा-अर्चना शुरु की थी और यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया था जो कि मुख्य मंदिर है। पांडवकालीन निर्मित मंदिर के शिखर का दर्शन आज भी किया जा सकता है। बाद में उस मंदिर के बाहर 52 स्तम्भों से युक्त एक मंडप का निर्माण किया गया जो कि इस मंदिर को एक नया सौन्दर्य और भव्यता प्रदान करता है। यह तीर्थ स्थान चारों तरफ़ से अरावली पर्वत की वनाच्छादित घनी पहाड़ियों ,गहन वन, गोमतीघाट ,सरोवर, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के फलों से सुस्सजित है। कहते हैं कि इस क्षेत्र में पाये जाने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के फल पूरे विश्व में एक ही क्षेत्र में कदाचित नहीं होंगे।
  • मान्यता यह है कि इस तीर्थ स्थान पर जो विभिन्न प्रकार के फल एवं दुर्लभ आयुर्वेदिक वनस्पतियां पाई जाती हैं जो कदाचित हिमालय पर्वत के अतिरिक्त और कहीं नहीं पाई जाती हैं। इस कारण पांडवो ने भी इस तीर्थ को अस्थायी निवास के रूप में चुना और ये प्रसिद्ध है कि इस मंदिर का निर्माण और पूजा पांडवों ने की थी।
मंदिर के गर्भगृह के सामने की ओर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां।


बाहरी कड़ियाँ

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