शिरीन रत्नागर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
शिरीन एफ रत्नागर एक भारतीय पुरातत्वविद् है जिनका काम सिंधु घाटी सभ्यता पर केंद्रित है। वह कई ग्रंथों की लेखिका हैं।
कैरियर
रत्नागर की शिक्षा डेक्कन कॉलेज, पुणे, पुणे विश्वविद्यालय से है। उन्होंने मेसोपोटेमिया, पुरातत्व का अध्यनन पुरातत्व संस्थान, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से किया।[१]
वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र में पुरातत्व और प्राचीन इतिहास की प्रोफेसर थी। वह २००० में सेवानिवृत्त हुई, और वर्तमान में मुंबई में रहने वाली एक स्वतंत्र शोधकर्ता है। उन्हें सिंधु घाटी सभ्यता का अंत करने वाले योगदान कारकों की खोजबीन के लिए जाना जाता है। [२]
प्रकाशन
- अयोध्या : आर्किओलोजी आफ्टर एक्सकेवेशन तुलिका बुक्स (२००७)।
- द टाइमचार्ट हिस्ट्री ऑफ़ अन्शिएन्ट इजीपट, वर्थ: ISBN 190302532X।
- मेकर्स एंड शकेर्स : अर्ली इंडियन टेक्नोलॉजी इन द हाउसहोल्ड, विलेज, एंड अर्बन वर्कशॉप , तुलिका बुक्स (२००७)।
- बीइंग ट्राइबल, प्राइमस बुक्स (२०१०). ISBN 9380607024।