शान (फ़िल्म)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(शान (1980 फ़िल्म) से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
शान
चित्र:शान.jpg
शान का पोस्टर
निर्देशक रमेश सिप्पी
निर्माता जी॰ पी॰ सिप्पी
लेखक सलीम—जावेद
अभिनेता अमिताभ बच्चन,
शशि कपूर,
परवीन बॉबी,
बिन्दिया गोस्वामी,
शत्रुघन सिन्हा,
सुनील दत्त,
कुलभूषण खरबंदा,
राखी गुलज़ार
संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन
प्रदर्शन साँचा:nowrap 12 दिसंबर, 1980
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

शान 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसको रमेश सिप्पी ने निर्देशित किया और सलीम—जावेद द्वारा कहानी लिखी गई।

संक्षेप

डीसीपी शिव कुमार (सुनील दत्त) अपने घर वापस आ जाता है और अपनी पत्नी, शीतल (राखी गुलजार) और अपनी बेटी को बताता है कि उसका तबादला बॉम्बे शहर में हो चुका है। उसके दो भाई, विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) हैं, जो बॉम्बे में ही रहते हैं। शहर में एक अनजान व्यक्ति (शत्रुघन सिन्हा) उसे दो बार मारने की कोशिश करता है, पर दोनों बार वो बच जाता है।

शाकाल (कुलभूषण खरबंदा) एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी होता है, जो भारत के बाहर किसी द्वीप से सारे कारोबार पर नियंत्रण रखता है। शिव हर में होने वाले कई सारे अपराधों के जड़ के पास पहुँच जाता है। शाकाल उसकी तारीफ करता है, और अपने साथ शामिल होने की पेशकश करता है, पर शिव इस पेशकश को ठुकरा देता है। जिसके बाद शाकाल उसे मारने की कोशिश करता है और उसकी गोली मार कर हत्या कर देता है।

विजय, रवि और शीतल इस दुःख से निकले भी नहीं होते हैं कि उन्हें वो अनजान व्यक्ति दिखता है, जो शिव को मारने की कोशिश कर रहा था। शीतल उसे पहचान जाती है। वो अपना नाम राकेश बताता है, जो पहले सर्कस में आँख बंद कर निशाना लगाने का काम करता था। वो बताता है कि उसकी पत्नी को शाकाल ने अपहरण कर लिया था और उसके बदले में शिव को मारने के लिए कहा था।

राकेश अपनी गलती मानता है और कहता है कि उसने दो बार मारने की कोशिश किया था, पर वो जानबूझकर उसे नहीं मारा, ताकि उसकी पत्नी को बचाने के लिए उसे कुछ समय मिल जाये। लेकिन शाकाल को जब ये पता चला तो उसने उसकी पत्नी की हत्या कर दी। राकेश उन से साथ काम कर शाकाल को मिटाने में साथ देने को कहता है। वे तीनों अब्दुल (मज़्हार खान) की मदद से शाकाल के एक गोदाम को उड़ा देते हैं। शाकाल को जब ये पता चलता है तो वो अपने आदमियों से अब्दुल को मरवा देता है और शीतल का अपहरण कर अपने द्वीप में ले आता है।

विजय, रवि और राकेश को पता चलता है कि शीतल को कभी भी वो मार सकता है, पर शाकल के द्वीप का उनके पास कोई सुराग तक नहीं है। जगमोहन, जो पहले शाकाल के लिए काम करता था, वो उनकी मदद करता है और वे लोग शाकाल के अड्डे तक आ जाते हैं। वे लोग गाना बजाने वाली मंडली के रूप में द्वीप में आते हैं। उन्हें पता चलता है कि जगमोहन ने झूठ कहा था और ये उसकी और शाकाल की चाल थी। उन सभी को बंदी बना लिया जाता है। वे लोग एक दूसरे की मदद से भागने में सफल हो जाते हैं और शाकाल को को बंदी बना लेते हैं। बाद में वे लोग हेलीकोप्टर की मदद से वहाँ से सुरक्षित बाहर आ जाते हैं।

मुख्य कलाकार

संगीत

शान को रमेश सिप्पी ने शोले के बाद बनाया था शान का संगीत शोले से बहुत बेहतर है खासकर यम्मा यम्मा गीत जोकि मोहम्मद रफी और आर डी बर्मन द्वारा गाया गया है हालांकि इस गीत का फाइनल टेक नहीं हो पाया था किंतु रफी साहब की असमय मृत्यु के बाद इस गीत को ज्यों का त्यों फिल्म में रखा गया और यह गीत फिल्म का सर्वश्रेष्ठ गीत साबित हुआ

सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."जानू मेरी जान मैं तेरे कुर्बान"किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर7:06
2."यम्मा यम्मा ये खूबसूरत समाँ"आर॰ डी॰ बर्मन, मोहम्मद रफ़ी5:41
3."प्यार करने वाले प्यार करते हैं"आशा भोंसले6:00
4."दोस्तों से प्यार किया"उषा उथुप3:19
5."तेरे लिया जीना तेरे लिये मरना"आशा भोंसले, लता मंगेशकर7:10
6."दरिया में जहाज चलें"आशा भोंसले, किशोर कुमार, उषा मंगेशकर6:46
7."नाम अब्दुल है मेरा"मोहम्मद रफ़ी5:08

नामांकन और पुरस्कार

साँचा:awards table |- | rowspan="2"| 1981 | एस॰ एम॰ अनवर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ छायाकार पुरस्कार | साँचा:won |- | आर॰ डी॰ बर्मन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | साँचा:nominated |}

बाहरी कड़ियाँ