लघुसिद्धान्तकौमुदी
लघुसिद्धान्तकौमुदी पाणिनीय संस्कृत व्याकरण (अष्टाध्यायी) की परम्परागत प्रवेशिका है। यह विद्वन्मान्य वरदराज की रचना है जो भट्टोजि दीक्षित के शिष्य थे। उनका एक व्याकरण ग्रन्थ मध्यसिद्धान्तकौमुदी भी है। लघुसिद्धान्तकौमुदी में पाणिनि के सूत्रों को एक नए क्रम में रखा गया है ताकि एक विषय से सम्बन्धित सूत्र एक साथ रहें।
लघुकौमुदी का परिमाण ३२ (बत्तीस) अक्षर के छन्द अनुष्टुप् की संख्या से १५०० है। अमरकोष और रघुवंश भी संख्या में इतने ही हैं। यह आभाणक सत्य है कि "तीन पन्द्रहे पण्डित"। ये तीनों ग्रन्थ अच्छे ढंग से सुचारू रूप से बालक को प्रथम अवस्था में पढा दिये जाएं तो वह अवश्य अच्छा व्युत्पन्न हो जाएगा उसका सर्वत्र अविहत संचार होने लगेगा।
लघुकौमुदी संक्षेप की दृष्टि से अत्यन्त संक्षिप्त व्याकरण-पुस्तक है। इसमें पाणिनी के १२७२ सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या की गई है।
मध्यकौमुदी में पाणिनी के २३१५ सूत्रों की उदाहरण-प्रत्युदाहरण सहित सुन्दर एवं सरल व्याख्या की गई है।
जहाँ भट्टोजि दीक्षित कृत सिद्धान्तकौमुदी में अष्टाध्यायी के समस्त ३९५५ सूत्रों की विशद व्याख्या ऊहापोह एवं शास्त्रार्थ पद्धति से की गई है वहाँ लघुकौमुदी में केवल उन्हीं सूत्रों को लिया गया है जो व्यावहारिक ज्ञान के लिए उपयोगी हैं। वैदिकी प्रक्रिया और स्वर प्रक्रिया को सर्वथा छोड़ दिया गया है। लघुकौमुदी में व्याकरण-प्रक्रिया का सभी अपेक्षणीय विवरण वरदराज ने दिया है। यह सिद्धान्तकौमुदी का संक्षिप्त संस्करण होते हुए भी एक विलक्षण कृति है।
इन्हें भी देखें
- सिद्धान्तकौमुदी या वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (भट्टोजिदीक्षित द्वारा रचित)
- महाभाष्य
- अष्टाध्यायी
बाहरी कड़ियाँ
- लघुसिद्धान्तकौमुदी का देवनागरी में सम्पूर्ण पाठ
- लघुसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या)
- व्याकरणम् - लघुसिद्धान्तकौमुदी पर आधारित (आनलाइन) व्याकरण शिक्षण
- लघुसिद्धान्तकौमुदी ; तिंगन्त प्रकरण (गूगल पुस्तक ; डॉ के के आनन्द)
- लघुसिद्धान्तकौमुदी का पाठ एवं संस्कृत में व्याख्या
- लघुसिद्धान्तकौमुदी का पाठ एवं हिन्दी में व्याख्या
- लघुसिद्धान्तकौमुदी का पाठ एवं अंग्रेजी में व्याख्या
- लघुसिद्धान्तकौमुदी