रंजन गोगोई
माननीय मुख्य न्यायाधीश
रंजन गोगोई | |
रंजन गोगोई | |
कार्यकाल 3 अक्टूबर 2018 – 17 नवंबर 2019 | |
द्वारा नियुक्त | राम नाथ कोविन्द |
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पूर्व अधिकारी | दीपक मिश्रा |
उत्तराधिकारी | शरद अरविंद बोबडे |
न्यायाधीश, भारत का उच्चतम न्यायालय
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कार्यकाल 23 अप्रैल 2012 – 2 अक्टूबर 2018 | |
मुख्य न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय
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कार्यकाल 12 फरवरी 2011 – 23 अप्रैल 2012 | |
पूर्व अधिकारी | मुकुल मुद्गल[१] |
उत्तराधिकारी | आदर्श कुमार गोयल |
जन्म | साँचा:birth date and age डिब्रूगढ़, असम, भारत[२] |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
संतान | रक्तिम गोगोई[३] |
रंजन गोगोई (जन्म 18 नवम्बर 1954)[४] एक भारतीय न्यायाधीश तथा वे पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश है। वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उसके बाद 2012 से भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश रह चुके[५] रजंन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लिया। उनके पिता केशब चंद्र गोगोई 1982 में असम राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके है।
वे भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले व्यक्ति और पहले असमी हैं।
इन्होंने 9 नबंवर को एक ऐतिहासिक फैसला किया है।
इनका कार्यकाल 17 नबंवर 2019 को समाप्त हो गया।
इन्होंने दिनांक 19 मार्च 2020 को राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली।।
करियर
गोगोई ने 1978 में बार में दाखिला लिया और गुवाहाटी उच्च न्यायालय में अभ्यास किया, जहाँ उन्हें 28 फरवरी 2001 को स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया। 9 सितंबर 2010 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और 12 फरवरी 2011 को इसका मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया। 23 अप्रैल 2012 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।[६][७]
3 अक्टूबर 2018 को, दीपक मिश्रा के निवृत्ति के बाद उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली।[५]
2018 भारत के सर्वोच्च न्यायालय संकट
12 जनवरी 2018 को न्यायमूर्ति जे चेलेश्वर, एमबी लोकुर और कूरियन जोसेफ के साथ मिलकर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने भारत का उच्चतम न्यायालय के इतिहास में पहली बार, उच्चतम न्यायालय के न्याय वितरण प्रणाली में विफलता और मामलों के आवंटन के मामलें में एक प्रेस वार्ता आयोजित किया। प्रेस बैठक के दौरान, चारो न्यायाधीशों ने पत्रकारों से कहा कि विशेष सीबीआई न्यायाधीश बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत के मामले को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को आवंटित करने से प्रेरित होकर उन्होंने प्रेस वार्ता की है।[८] लोया, एक विशेष सीबीआई न्यायाधीश थे[९], जिनकी दिसंबर 2014 में निधन हो गया था। न्यायमूर्ति लोया 2004 के सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें पुलिस अधिकारी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह का नाम सामने आया था। बाद में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया।[१०] न्यायमूर्ति चेलेश्वर 30 जून, 2018 को सेवानिवृत्त हुए, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को भारत के उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में बने, उनके बाद जस्टिस एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ क्रमश: वरिष्ठता में है।[११]
सन्दर्भ
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