मैसूर पठार

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मैसूर पठार (या दक्षिण कर्नाटक पठार) भारतीय राज्य कर्नाटक के चार भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है। इसकी कई सारी तरंगणें (undulations) हैं और इसके पश्चिम और दक्षिण में पश्चिमी घाट स्थित है। कावेरी नदी का अधिकांश भाग मैसूर पठार में कर्नाटक से होकर बहता है। इस क्षेत्र में औसत ऊंचाई 600-900 मीटर के बीच है। पठार में बैंगलोर, बैंगलोर ग्रामीण, चामराजनगर, हासन, कोडागू, कोलार, मंड्या, मैसूर और तुमकुर जिले शामिल हैं। पठार का नाम करुनाडु ("ब्लैक सॉइल की भूमि") से लिया गया है। पठार का क्षेत्रफल लगभग 73,000 वर्ग मील (189,000 वर्ग किमी) है और औसत ऊंचाई लगभग 2,600 फीट (800 फीट) है। इसमें ज्वालामुखीय चट्टानों, क्रिस्टलीय शिस्ट (schists) और ग्रेनाइटों की धारवाड़ प्रणाली शामिल है। प्रमुख नदियों में गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा, शरवती और भीमा शामिल हैं। शरवती पर प्रसिद्ध जोग जलप्रपात (Jog Falls) स्थित है, जहाँ 830 फीट या 253 मीटर की ऊँचाई से पानी गिरता है। यहाँ के झरने देश में पनबिजली के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक हैं और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी हैं। पठार दक्षिण में नीलगिरि पहाड़ियों से मिल जाता है। वर्षा दक्षिणी पहाड़ियों में 28 इंच से लेकर उत्तरी क्षेत्र में 80 इंच तक होती है।[१]

यहाँ से चंदन का निर्यात किया जाता है, और सागौन और नीलगिरी (यूकेलिप्टस) का उपयोग मुख्य रूप से फर्नीचर और कागज बनाने के लिए किया जाता है। मैंगनीज, क्रोमियम, तांबा और बॉक्साइट का खनन किया जाता है। बाबा बुदन गिरी पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर लौह अयस्क के भंडार हैं और कोलार गोल्ड फील्ड में सोना मिलता है। ज्वार (अनाज), कपास, चावल, गन्ना, तिल, मूंगफली, तंबाकू, फल, नारियल और कॉफी प्रमुख फसलें हैं। कपड़ा निर्माण, खाद्य और तंबाकू प्रसंस्करण, और मुद्रण प्रमुख उद्योग हैं। कर्नाटक राज्य की राजधानी, बैंगलोर (बेंगलुरु), अधिकांश औद्योगिक विकास का स्थल है। महत्वपूर्ण शहरों में मैसूर, बैंगलोर, तुमकूर शामिल हैं।

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संदर्भ

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