महापृथ्वी
महापृथ्वी (super-earth) ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रह को कहा जाता है जो पृथ्वी से अधिक द्रव्यमान (मास) रखता हो लेकिन सौर मंडल के बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से काफ़ी कम द्रव्यमान रखे।[१][२]
परिभाषा
महापृथ्वियों की परिभाषा आम तौर पर केवल उनके द्रव्यमान के आधार पर की जाती है। अगर किसी ग्रह को 'महापृथ्वी' बुलाया जाता है तो उसका अर्थ यह नहीं है कि उसका वातावरण, तापमान, भूगोल, बनावट या कक्षा (ऑर्बिट) किसी भी तरह से पृथ्वी से मिलता जुलता होगा। अधिकतर स्रोत पृथ्वी से १० गुना अधिक तक के द्रव्यमान वाले ग्रहों को महापृथ्वी बुलाते हैं। इस से भारी ग्रहों को महापृथ्वी नहीं बुलाया जाता बल्कि गैस दानव ग्रहों की श्रेणी में डाला जाता है।[१]
महापृथ्वियों की खोज
सौर मंडल में कोई महापृथ्वी ग्रह नहीं है क्योंकि इसमें सारे ग्रह या तो पृथ्वी से छोटे हैं या फिर गैस दानव हैं जिनका भार पृथ्वी का कम-से-कम १४ गुना है।
पहली ज्ञात महापृथ्वियाँ
सबसे पहली मिलने वाली महापृथ्वियाँ सन् १९९२ में पी॰ऍस॰आर॰ बी१२५७+१२ नामक पल्सर के इर्द-गिर्द परिक्रमा करती पाई गई थीं। इनके द्रव्यमान पृथ्वी के लगभग ४ गुना थे। किसी मुख्य अनुक्रम तारे की परिक्रमा करने वाली सबसे पहली ज्ञात महापृथ्वी गलीज़ ८७६ नामक लाल बौने तारे के साथ मिली थी। इस तारे के ग्रहीय मण्डल में पहले ही दो बृहस्पति जितने बड़े गैस दानव ग्रह मिल चुके थे। २००५ में यहाँ एक पृथ्वी के ७.५ गुना द्रव्यमान वाली महापृथ्वी मिली जिसका नाम "गलीज़ ८७६ डी" रख दिया गया। यह अपने तारे के बहुत पास है और २ दिनों में एक परिक्रमा पूरी पूरी कर लेती है (यानि इसका साल केवल ४८ घंटों का है)। इसका तापमान ४३०-६५० कैल्विन के बीच अनुमानित किया गया है और संभव है कि इसपर कुछ मात्रा में पानी भी उपस्थित हो।[३][४]
वासयोग्य क्षेत्र में महापृथ्वी
२०१० में ग्लीज़ ५८१ तारे के इर्द-गिर्द दो महापृथ्वियाँ पाई गई जो इसके वासयोग्य क्षेत्र की सीमा पर हैं। यहाँ पानी होने की संभावना है। इनमें गलीज़ ५८१ सी पृथ्वी से ५ गुना द्रव्यमान वाली है और अपने तारे से ०.०७३ खगोलीय इकाईयों की दूरी पर है।[५]
कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खोज
कॅप्लर अंतरिक्ष यान ने अपने शोध में बहुत सी महापृथ्वियाँ ढूंढी हैं। फ़रवरी २०११ में एक सूची की घोषणा हुई जिसमें कॅप्लर यान द्वारा ढूंढें गए १,२३५ ग्रह थे। इनमें से ६८ की महापृथ्वी की श्रेणी में होने की संभावना है और ६ शायद पृथ्वी से दुगने भार से कम हैं।[६][७] इसके आधार पर प्रसिद्ध खगोलशास्त्री सॅथ़ शोस्टैक (Seth Shostak) ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी से १,००० प्रकाश वर्षों की दूरी के भीतर कम-से-कम ३०,००० ग्रह वास-योग्य हैं।[८] कॅप्लर शोध दल ने अनुमान लगाया है कि आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के भीतर कम-से-कम ५० अरब ग्रह हैं जिनमें से कम-से-कम ५० करोड़ वासयोग्य क्षेत्रों में हैं।[९]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ Valencia et al., Radius and structure models of the first super-Earth planet, September 2006, published in The Astrophysical Journal, February 2007
- ↑ अंतरिक्ष में अनोखे ग्रहों की भरमार स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, मुकुल व्यास, "... आकाशगंगा के अजायबघर में कुछ महापृथ्वियों अथवा सुपर अर्थ्स की खोज हो चुकी है।.."
- ↑ साँचा:cite journal
- ↑ साँचा:cite journal
- ↑ साँचा:cite journal
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ Characteristics of Kepler Planetary Candidates Based on the First Data Set: The Majority are Found to be Neptune-Size and Smaller स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, William J. Borucki, for the Kepler Team (Submitted on 14 Jun 2010)
- ↑ साँचा:cite news
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