मंडरायल

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Mandrayal / Mandrail
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मंडरायल दुर्ग
मंडरायल दुर्ग
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प्रान्तराजस्थान
ज़िलाकरौली ज़िला
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2011)
 • कुल८,५९०
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड322251
दूरभाष कोड07464-226

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मंडरायल (Mandrayal) भारत के राजस्थान राज्य के करौली ज़िले में स्थित एक गाँव है।[१][२]

विवरण

मंडरायल मध्य प्रदेश की राज्य सीमा के पास बसा हुआ है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। बस्ती से पूर्व में चम्बल नदी बहती है, जिसके पार मध्य प्रदेश है। पास के शहरों में सबलगढ़, ग्वालियर और करौली आते हैं। यहाँ ब्रज भाषा का मिला जुला रूप देखने को मिलता है।

जनसंख्या

  1. मंडरायल तहसील की सन् 2001 में कुल जनसंख्या 74600 थी। जिसमे पुरुष जनसंख्या 40659 तथा महिला जनसंख्या 33941 थी।
  2. यहाँ का लिंगानुपात 835 था तथा (0-6) वर्ष का लिंगानुपात 892 था।
  3. यहाँ की साक्षरता दर 60.98 था, जिसमे पुरुष साक्षरता दर 75.56 और महिला साक्षरता दर 43.26 थे।

इतिहास

ऐतिहासिक दृष्टि से यह नगर प्रसिद्ध है। मंडरायल कस्बे का नामकरण माण्डव्य ऋषि के नाम पर हुआ यहाँ का पहाड़ बन्द बालाजी व अरावली पहाडियाँ दर्शनीय है। निर्गुण जी की समाधि पर प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह में मेला लगता है। एम्बर के राजा पूरनमल ने 1534 में मुगलों के पक्ष में मंडरायल के युद्ध में लड़ाई लड़ी में थी। अगले साल, गुजरात के बहादुर शाह चित्तूर के किले को घेर लिया जिस पर हुमायूं ने खुद उसके खिलाफ लड़ाई की थी। रानी कर्मावती, राणा सांगा की विधवा राज्य-संरक्षक के रूप में चित्तौडगढ़ की शासक थी। मंडरायल दुर्ग को ग्वालियर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है। भारमल के ज्येष्ठ भाई राजा पूरनमल हुमायूं का बयाना के किले पर अधिकार बनाने में सहायता करते हुए 1534 में मंडरायल की लड़ाई में मारे गए। उसका सूरजमल या सूजा नाम का बेटा था। लेकिन उसे राजा नहीं बनने दिया और उसके छोटे भाई राजा भीम सिंह को एम्बर का सिंहासन दे दिया गया। भीम सिंह के बाद उसके बेटे राजा रतन सिंह और राजा भारमल को राजा सन 1548, में राजा बना दिया गया था।

समारोह

मुख्य धार्मिक त्यौहार दीपावली, होली, गणगौर, तीज, गोगाजी, मकर संक्रान्ति और जन्माष्टमी है। हिंदू एवं मुस्लिम धर्म यहाँ के लोगों का मुख्य धर्म है।

ग्राम पंचायत

मंडरायल तहसील में कुल 23 ग्राम पंचायते है जो की इस प्राकर है: मंडरायल, रोधई, रानीपुरा, धोरेटा, ओंड, पंचौली, कसेड, राहिर, करनपुर, नानपुर, महाराजपुर, बहादरपुर, भांकरी, गुरदेह, वाट्दा, मोंगेपुरा, चंदेलीपुरा, टोडा, लांगरा, गढ़ी का गाँव, बुगडार, नीदर, दरगमा।

यातायात

करौली से मंडरायल जाने के लिए राजस्थान ग्रामीण रोडवेज बसों के संचालन के आलावा निजी बसों के माध्यम से जाया जा सकता है जिसकी हर आधे घंटे में सेवा उपलब्ध है और जयपुर जाने के लिए डायरेक्ट मध्य प्रदेश से वाया मंडरायल होते हुए करौली से जाती है जो की निजी बसों के द्वारा संचालन किया जाता है।

पर्यटन स्थल

चम्बल घाट

चम्बल घाट, मंडरायल कस्बे से 5 किलोलीटर की दूरी पर स्थित है। यह घाट चम्बल नदी पर है जो राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। इस पर बना लकड़ी के पुल दोनों राज्यों को जोड़ता है।बारिश के दिनों में चम्बल नदी उफान पर होती है तो वहाँ का नजारा देखने लायक होता है जिसे देखने के लिए काफी दूर दूर के पर्यटक आते हैं।

रहू घाट

रहू घाट मंडरायल कस्बे से 7-8 किलोमीटर दूर रान्चोली गाँव के पास चम्बल नदी के बींचो बींच एक झरने के आकार के रूप में चम्बल नदी पत्थरो के बीच से बह रही है जो नजारा देखने लायक है तथा पिकनिक स्पॉट के रूप में बहुत लोग लुफ्त उठाने यहाँ आते है

मंडरायल का किला

मंडरायल का किला मंडरायल कस्बे के बीच में एक आयताकार पहाड़ी पर बना हुआ है जो की काफी सदियों पुराना है किले की मुख्य विशेषता किले के सूरज पोल पर सूर्य की किरण सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहती है | कस्बे में प्राचीन समय से हिन्दू तथा मुसलमान संप्रदाय के लोग निवास करते है जो यह प्रतीत होता है की यहा के राजा महाराजो के द्वारा सभी धर्मो का सम्मान किया जाता था। किले में कुंड होने से प्रतीत होता है की प्राचीन समय में जलाशयों की उत्तम व्यवस्था थी और यहा प्राचीन शिव लिंग का मंदिर भी है जिससे प्रतीत होता है की समय समय पर धर्म को लेकर भी यहा विशेष कार्यक्रम हुए होगे। आज भी मंडरायल के लोग प्राचीन परंपरा को निभाते हुए किले में बने हुए शिव मंदिर की पूजा अर्चना करते है। प्रत्येक सोमवार को किले में पूजा करने वालो की काफी भीड़ लगी रहती है।

सरकारी विद्यालय

  1. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मंडरायल
  2. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, ओंड
  3. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, भांकरी
  4. राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय, रोधई
  5. राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विधालय, मंदरायल
  6. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, लांगरा
  7. राजकीय माध्यमिक विद्यालय, पांचोली
  8. राजकीय माध्यमिक विद्यालय, बाटदा
  9. राजकीय माध्यमिक विधालय, चंदेलीपुरा
  10. राजकीय माध्यमिक विधालय, नीदर
  11. राजकीय माध्यमिक विद्यालय, दरगामा
  12. राजकीय माध्यमिक विधालय, बुगदार
  13. राजकीय प्राथमिक विद्यालय, गोपालपुर

चम्बल-सवाई माधोपुर - नादोती पेयजल परियोजना

  • स्वीकृति – वर्ष 2004
  • कार्य शुरू – 3 अक्टूबर 2005
  • कार्य समाप्ति – 2 अक्टूबर 2008
  • समया बढ़ाया – अब तक सात बार
  • फर्म पर पैनल्टी – 17.37 करोड़
  • परियोजना में शामिल गाँव – 926
  • सवाईमाधोपुर – 416 गांव
  • करौली – 510 गांव
  • वित्तीय स्वीकृति – 567 करोड़

सवाईमाधोपुर व करौली जिले के 926 गांवों को चम्बल का पानी उपलब्ध कराने के लिए चम्बल-सवाईमाधोपुर-नादौती पेयजल परियोजना को वर्ष 2004 में स्वीकृति मिली। चम्बल सवाई माधोपुर नदोती पेयजल परियोजना करौली जिले के मंडरायल तहसील में चम्बल नदी के पानी को लिफ्ट परियोजना के द्वारा पानी पीने योग्य हेतु मंडरायल घाटी के नीचे इस परियोजना की आधार शिला रखी गई थी। जिससे की करौली जिले के गाँवो के साथ साथ सवाई माधोपुर जिले के बहुत गाँव लाभान्वित होगे। नादौतीतहसील के पेयजल समस्या से जूझ रहे 61 गांवों में नादौती-सवाई माधोपुर पेयजल परियोजना के तहत पेयजल सप्लाई शुरू हो जाएगी।

मंडरायल के नजदीक के रेलवे स्टेशन

  • गंगापुर सिटी (71.7 km) वाया SH22 और NH23
  • हिंडौन सिटी (73.3 km) वाया SH22
  • सबलगढ़ मध्यप्रदेश (२० km )

मंडरायल के नजदीकी हवाई अड्डे:

  • सांगानेर (जयपुर) एअरपोर्ट – 204 किलोमीटर
  • ग्वालियर (म॰प्र॰) एअरपोर्ट – 135 किलोमीटर
  • इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एअरपोर्ट – 284 किलोमीटर

स्थानों की दूरियाँ

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990