भाट (उपनाम)
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1. राव - ये ब्राह्मण वर्ण से संबंधित है। इस राव जाति का कार्य महाराजाओं के समय में दरबारी कवि के रूप में था जिनमें छोछु राव प्रमुख हुए जो गुर्जर सम्राट सवाई भोज के दरबार में थे। ये जाति शस्त्र और शास्त्र की धनी है। जो राजस्थान के कई हिस्सों में राणा बारोट राव रावल अन्य नामो से जानी जाती है। इस जाति का प्रमुख कार्य अपने यजमान( जिनका वो संरक्षण करते है) उनका यशोगाण करना होता है। ये जाति ब्राह्मण पिता और क्षत्राणी माता कि संतान है जो अपने क्षत्रियता के रूप में पूर्ण ढलाऊ है। समय समय पर इनको जागीरे मिलती रही इसलिए इस जाति को कुछ हिस्सों मे जागीरदार राव के रूप में भी जाना जाता है।
2. बही भाट- इनका कार्य वंश लेखन है और यह अलग अलग समुदायों के अलग अलग होते हैं। अलग अलग जातियों के बही लेखक अलग अलग बिरादरी के होते हैं, यह एक व्यवसाय है जिसे यह लोग पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं, राजस्थान मे कई प्रकार के बही भाट पाये जाते हैं।
3. बंजारा भाट यह मुख्यतः राजस्थान में पाये जाते हैं मध्यकाल में यह यदुवंशी अहीरों के यहां भाट गाने आते थे वर्तमान में भाटी राजपूत से जाने जाते हैं जहां इसे खानाबदोश का दर्जा प्राप्त है।