बरसाने लाल चतुर्वेदी
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डॉ बरसाने लाल चतुर्वेदी (20 अगस्त १९२० - ) हिन्दी व्यंग्य और हास्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। वे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कवि हैं। उन्होंने लगभग 40 ग्रन्थों की रचना की है। गद्य तथा पद्य दोनों में आपका बराबर अधिकार है। आपको भारत सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया है।
आपने 'हिन्दी साहित्य में हास्य रस' विषय पर पीएच.डी. व 'आधुनिक काव्य में व्यंग्य' विषय पर डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की। आपका हास्य-व्यंग्य लेखन हँसाने के साथ-साथ विसंगतियों के प्रति सचेत भी करता है।
कृतियाँ
आपके साहित्यिक योगदान के लिए उ. प्र. सरकार तथा हिन्दी अकादमी ने आपको सम्मानित किया है। आपकी प्रसिद्ध कृतियाँ ये हैं-
- (१) भोलाराम पंडित की बैठक
- (२) मिस्टर चोखेलाल
- (३) बुरे फंसे
- (४) मिस्टर खोए-खोए
- (५) हास्य निबंध-संग्रह
- (६) मुसीबत है; आदि।
व्यंग्य
डॉ बरसाने लाल चतुर्वेदी का एक व्यंग्य देखिए-
- श्वेत वसन अब पीरे ह्वै गये, मैं तो रहि गई दंग
- छांडिकें पहिले साथी डोलत, नये यारन के संग
- जिन लोगन ते मीठे बोलत, ठानत है अब जंग
- नये साथिन को चाय पिलावत, आ गई मैं तो तंग
- जिन मुख देखत दुख उपजत है, विनै लगावत अंग
- नित्य नवीन कला खेलत हैं, नाचन लागे नंग
- गिरगिट अब शरमावत डोलत, कुआं परी है भंग
- भारत में अंग्रेजी पर व्यंग्य
- अंग्रेज़ी प्राणन से प्यारी।
- चले गए अंग्रेज छोड़ि माहि, हमने है मस्तक पे धारी।
- से राजी बनिके हैं बैंठी, चाची, ताई और महतारी।
- उच्च नौकरी की ये कुंजी, अफसर यही बनावनहारी।
- सबसे मीठी यही लगत है, भाषाएँ बाकी सब खारी।
- दो प्रतिशत लपकन ने याकू, सबके ऊपर है बैठारी।
- माहि हटाइबे की चर्चा सुनि, भक्तन के दिल होड दुःखारी।
- दफ्तर में माके दासन ने, फाइल याही सौ रंगडारी।
- माके प्रेमी हर आफिस में, विनते ये नाहि जाहि बिसारी।