प्रसरण

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प्रायिकता और सांख्यिकी के सन्दर्भ में प्रसरण (variance) वह माप है जो दर्शाती है कि दिये गये आंकड़े (संख्यायेँ) कितने बिखरे हुए है। यदि सभी आंकड़े समान हों तो प्रसरण का मान शून्य होगा। प्रसरण का मान कम हो तो यह इंगित करता है कि सभी आंकड़े माध्य के बहुत पास हैं।

Variance simple Trick:- मान लो X एक याद्रच्छिक चर है जिसके संभावित मूल्य x1, x2... Xn संगत Probability P(x1),P(x2).... P(Xn) के साथ विद्यमान हैं|

परिभाषा

प्रसरण को प्रायः Var(X), <math>\scriptstyle\sigma_X^2</math>, या केवल σ2 (उच्चारण:"'सिग्मा स्क्वायर्ड") से निरूपित किया जाता है। किसी एक ही चर राशि के बहुत से मानों के लिए प्रसरण का मान निम्नलिखित प्रकार से निकाला जाता है-

<math>\sigma^2 = \frac 1n \sum_{i=1}^n \left(X_i - \overline{X} \right)^ 2 = \left(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n}X_i^2\right) - \overline{X}^2</math>

जहाँ:

  • <math>X_i</math>: i_वाँ आंकड़ा
  • <math>n</math>: आँकड़ों की संख्या
  • <math>\overline{X}</math>: आँकड़ों का समान्तर माध्य

स्पष्टतः, गणितीय रूप से प्रसरण, मानक विचलन के वर्ग के बराबर है।

यदि इस परिभाषा को किसी यादृच्छ चर (रैण्डम वैरिएबल) पर लागू करें, जिसका समान्तर माध्य μ = E[X] है, तो इसका प्रसरण Var(X) निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित होगा-

<math>\operatorname{Var}(X) = \operatorname{E}[ (X - \mu) ^ 2].\,</math>

इस परिभाषा को और आगे बढ़ाने पर प्रसरण की निम्नलिखित वैकल्पिक (किन्तु समतुल्य) परिभाषा मिलती है-

<math>

\begin{align} \operatorname{Var}(X) & = \operatorname{E}[ (X - \mu) ^ 2 ] \\ & = \operatorname{E}[ (X ^ 2 - 2X\mu + \mu ^ 2) ] \\ & = \operatorname{E}[ X ^ 2] - 2\mu\operatorname{E}[X] + \mu ^ 2 \\ & =\operatorname{E}[ X ^ 2] - 2\mu ^ 2 + \mu ^ 2 \\ & = \operatorname{E} [ X ^ 2] - \mu ^ 2 \end{align} </math>

उदाहरण

माना <math>n=5</math> संख्याएँ {-4, -1, 1, 2, 7} दी हुई हैं। इनका समान्तर माध्य

<math>\bar{x}=\frac{-4-1+1+2+7}{5}=1</math>

तथा प्रसरण का मान होगा-

<math>S^2_n=\frac{(-4-1)^2+(-1-1)^2+(1-1)^2+(2-1)^2+(7-1)^2}{5}=\frac{25+4+0+1+36}{5}=\frac{66}{5}=13,2</math>

तथा

<math>S^2_{n-1}=\frac{66}{5-1}=16,5</math>.

प्रसरण के गुण

  • <math>V(X) \geq 0 \,\!</math>
  • <math>V(aX + b) = a^2 V(X) \,\!</math> जहाँ a और b वास्त्वैक संख्याएँ हैं। इस गुण से यह सिद्ध होता है कि किसी नियतांक का प्रसरण शून्य होता है, <math>V(b) = 0 \,\!</math>
  • <math>V(X+Y) = V(X)+V(Y)+2Cov(X,Y) \,\!</math>, जहाँ Cov(X,Y) X e Y का सहप्रसरण (covariance) है।
  • <math>V(X-Y) = V(X)+V(Y)-2Cov(X,Y) \,\!</math>

इन्हें भी देखें