नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य
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अभयारण्य | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | मेघालय |
जिला | री भोई |
नाम स्रोत | देवता |
क्षेत्र | साँचा:infobox settlement/areadisp |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
भाषा | |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
नोंगखाईलेम वन्य जीवन अभयारण्य मेघालय राज्य के री भोई जिले में लाईलाड ग्राम के निकट स्थित एक अभयारण्य है। यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुन्दर एवं लोकप्रिय अभयारण्यों में से एक है। इसका विस्तार २९ किमी के क्षेत्र में है और यह यहां के पर्यटक गंतव्यों में अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है। यहां के वन्य जीवन में विविध प्रकार के पशु एवं पक्षी हैं जिनमें स्तनधारियों, एवियन, कृंतक, सरीसृप और कई अन्य प्रजातियां दिखाई देती हैं। वन्य जीवन के अलावा यहां का वन प्रदेश हरियाली एवं पादपों की ढेरों प्रजातियों से भी परिपूर्ण है।[१] क्षेत्र के सबसे नीचे भूभाग लाइलाड ग्राम के निकट हैं जो सागर सतह से मात्र २०० मी पर स्थित हैं जबकि सबसे ऊंचे भाग पूर्वी एवं दक्षिणी हैं जिनकी अधिकतम ऊंचाई ९५० मी तक भी है।[२] इस क्षेत्र को १९८१ मेंअभयारण्य घोषित किया गया था।[३][४]
वन्य जीवन
नोंगखाईलेम अभयारण्य में मेघालय के वनों के बहुत से मानव से अछूते भाग भी हैं। इनमें से बहुत से भागों में जोंक आदि का बाहुल्य है। यहां बसने वाली ढेरों वन्य जीव प्रजातियों में से कुछ हैं रौयल बंगाल टाईगर, भारतीय सांड (बाइसन), हिमालयन काला भालू, क्लाउडेड लैपर्ड, आदि। इनके अलावा पक्षियों की भी बहुत सी रंगीन व शानदार प्रजातियां मिल जाती हैं जिनका निवास यहां के वनों की झाडियों व वृक्षों में है। इस तरह यह स्थान पक्षीदर्शियों के लिये भी वरदान है। इनमें से की प्रजातियां जैसे भूरी हौर्नबिल, मणिपुर बुश क्वैल, रूफ़स नेक्ड हार्नबिल, आदि हैं। बहुत से विदेशी प्रवासी पक्षी भी दूर क्षेत्रों या देशों से इस अभयारण्य में आते हैं। कीड़े और मकड़ियों की भी प्रजातियां यहां आम हैं।[१]
पर्यटन
यह अभ्यारण्य प्रकृति की भव्यता के दर्शन करने का अनोखा स्थान है। इस अभयारण्य के भ्रमण करने का सर्वोत्तम समय है मार्च-अप्रैल के माह, क्योंकि इस अवधि में प्रवासी पक्षियों की ढेरों प्रजातियां यहां की शोभा बढाती हैं। यहां न केवल देश से वरन विदेशों से भी वन्य जीवन प्रेमियों का आगमन होता है। अभयारण्य में प्रवेश पूर्व नोंगपोह कार्यालय से वन रेंज अधिकारी से अनुमति लेनी होती है।[५] अभयारण्य का स्थान एवं स्थिति आवाजाही की दृष्टि से सुलभ है एवं निकटवर्ती कस्बों या शिलांग आदि से सडक मार्ग द्वारा सुगम है।[१]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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