नावनीतक
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नावनीतक आयुर्वेद का प्राचीन ग्रन्थ है। यह संस्कृत-प्राकृत में रचित है तथा लिपि गुप्त लिपि है। इसका रचनाकाल ईसा की चौथी शताब्दी सम्भावित है। इसकी प्रति पूर्वी तुर्किस्तान से प्राप्त हुई जो मध्य एशिया से चीन को जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित है। भारत के बौद्ध भिक्षु इसी मार्ग से दूरस्थ प्रदेशों की यात्रा करते थे।
नवनीतिका का उल्लेख १०वीं से १६वीं शती के मध्य के कई ग्रन्थों में मिलता है। किन्तु उसके बाद इसका उल्लेख नहीं मिलता और यह ग्रन्थ अप्राप्य हो गया था।
इस पाण्डुलिपि में पाँच से अधिक भाग हैं। इसमें चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता तथा भेलसंहिता को उद्धृत किया गया है। 'नावनीतक' का अर्थ है 'नवनीत (मक्खन) से निकाला गया'। इसके रचयिता 'नवनीत' हैं। नावनीतक में पहली बार सिरका का विभिन्न रोगों की दवा के रूप में वर्णन है।