तसलीमा नसरीन

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तसलीमा नसरीन
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२०१९ में तसलीमा नसरीन
स्थानीय नामতসলিমা নাসরিন
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मृत्युसाँचा:br separated entries
मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
व्यवसायकवित्री, समीक्षक, उपन्यासकार
नागरिकताबांग्लादेश, भारत, स्वीडन
अवधि/काल1973 – वर्तमान
विषयमानवतावाद
साहित्यिक आन्दोलनमहिला अधिकार, मानव अधिकार, धर्मनिरपेक्ष आंदोलन

हस्ताक्षर
जालस्थल
taslimanasrin.com

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तसलीमा नसरीन (जन्म : २५ अगस्त १९६२)साँचा:efn बांग्ला लेखिका एवं भूतपूर्व चिकित्सक हैं जो १९९४ से बांग्लादेश से निर्वासित हैं। १९७० के दशक में एक कवि के रूप में उभरीं तसलीमा १९९० के दशक के आरम्भ में अत्यन्त प्रसिद्ध हो गयीं। वे अपने नारीवादी विचारों से युक्त लेखों तथा उपन्यासों एवं इस्लाम एवं अन्य नारीद्वेषी मजहबों की आलोचना के लिये जानी जाती हैं।[१][२][३] उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में अपने निबंधों और उपन्यासों के कारण वैश्विक ध्यान प्राप्त किया, जो नारीवादी विचारों और आलोचनाओं के साथ था कि वह इस्लाम के सभी "गलत" धर्मों के रूप में क्या करती हैं।[४] वह प्रकाशन, व्याख्यान और प्रचार द्वारा विचारों और मानवाधिकारों की आजादी की वकालत करती है।[५][६]

जीवनी

तसलीमा का जन्म प्रचलित रूप से २५ अगस्त सन् १९६२ को माना जाता है, परन्तु वास्तव में उनका जन्म ५ सितंबर १९६० ई० (सोमवार)साँचा:efn  को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के मयमनसिंह शहर में हुआ था। उन्होंने मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज से १९८६ में चिकित्सा स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद सरकारी डॉक्टर के रूप में कार्य आरम्भ किया जिस पर वे १९९४ तक थीं। जब वह स्कूल में थी तभी से कविताएँ लिखना आरम्भ कर दिया था।

बांग्लादेश में उनपर जारी फ़तवे के कारण आजकल वे कोलकाता में निर्वासित जीवन जी रही हैं। हालांकि कोलकाता में मुसलमानों के विरोध के बाद उन्हें कुछ समय के लिये दिल्ली और उसके बाद फिर स्वीडन में भी समय बिताना पड़ा लेकिन इसके बाद जनवरी २०१० में वे भारत लौट आईं। उन्होंने भारत में स्थाई नागरिकता के लिये आवेदन किया है लेकिन भारत सरकार की ओर से उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। यूरोप और अमेरिका में एक दशक से भी अधिक समय रहने के बाद, तस्लीमा 2005 में भारत चले गए, लेकिन 2008 में देश से हटा दिया गया, हालांकि वह दिल्ली में रह रही है, भारत में एक आवासीय परमिट के लिए दीर्घावधि, बहु- 2004 के बाद से प्रवेश या 'एक्स' वीज़ा।[७][८] उसे स्वीडन की नागरिकता मिली है।[९]

स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तसलीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया। अपना भरापूर परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दांव पर लगा दिया। उसकी पराकाष्ठा थी देश निकाला।

नसरीन को रियलिटी शो बिग बॉस 8 में भाग लेने के लिए कलर्स (टीवी चैनल) की तरफ से प्रस्ताव दिया गया है। तसलीमा ने इस शो में भाग लेने से मना कर दिया है।[१०]

कृतियाँ

तसलीमा नसरीन, २००७ में
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उपन्यास

  • लज्जा
  • अपरपक्ष (उच्चारण : ओपोरपोक्ख)
  • निमंत्रण (उच्चारण : निमोन्त्रोन)
  • फेरा
  • बेशरम

आत्मकथा

  1. मेरे बचपन के दिन (बाङ्ला : आमार मेयेबेला)
  2. उत्ताल हवा
  3. द्विखंडित (बाङ्ला उच्चारण : द्विखंडितो)
  4. वे अंधेरे दिन (बाङ्ला : सेई सोब अंधोकार)
  5. मुझे घर ले चलो
  6. नहीं, कहीं कुछ भी नहीं
  7. निर्वासन

कविता

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  • निर्बासितो बाहिरे ओन्तोरे
  • निर्बासितो नारीर कोबिता
  • खाली खाली लागे
  • बन्दिनी (उच्चारण : बोन्दिनी)

निबन्ध संग्रह

  1. नष्ट लड़की नष्ट गद्य (बाङ्ला : नोस्टो मेयेर नोस्टो गोद्दो)
  2. छोटे-छोटे दुःख (छोटो च्होटो दुखो कोथा)
  3. औरत का कोई देश नहीं (नारीर कोनो देश नेई)

सम्मान एवं पुरस्कार

वर्ष २००० में आनन्द पुरस्कार प्राप्त करती हुई तसलीमा नसरीन

अपने उदार तथा स्वतंत्र विचारों के लिये तसलीमा को देश-विदेश में सैकड़ों पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किये गये हैं। इनमें से कुछ ये हैं-

  • आनन्द साहित्य पुरस्कार, १९९२ एवं २०००।
  • नाट्यसभा पुरस्कार, बांलादेश, १९९२
  • यूरोपियन पार्लामेन्ट द्वारा विचार स्वातंत्य के लिये दिया जाने वाला शखारोव पुरस्कार, १९९४
  • फ्रान्स सरकार द्वारा प्रदत्त मानवाधिकार पुरस्कार, १९९४
  • फ्रान्स का 'एडिक्ट ऑफ नान्तेस' पुरस्कार, १९९४
  • स्विडिश इन्टरनेशनल पेन द्वारा प्रदत्त कुर्त टुकोलस्की पुरस्कार, १९९४
  • संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार के लिये हेलमैन-ह्यामेट ग्रान्ट सम्मान, १९९४
  • 'Emperor Has No Clothes Award', Freedom From Religion Foundation, USA, 2015

टिप्पणियाँ

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इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ