जटावर्मन् सुंदर पांड्य तृतीय
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जटावर्मन् सुंदर पांड्य तृतीय मारवर्मन् कुलशेखर पांड्य का ज्येष्ठ पुत्र था और १३०३ ई. से शासन में संयुक्त हुआ था। उसका उपनाम 'दंडरामन' था। इस नाम के सिक्के संभवत: उसी के हैं। उसने अपने पिता की हत्या करके अपने भाई जटावर्मन् वीर पांड्य द्वितीय के साथ सिंहासन के लिए दीर्घकालीन संघर्ष किया था। उसने मदुरा पर अपना अधिकार स्थापित किया था। १३१९ उसके राज्यकाल की अंतिम ज्ञात तिथि है। संभवत: रविवर्मन् कुलशेखर और प्रतापरुद्र द्वितीय की विजयों के बाद उसका अधिकार अधिक समय तक नहीं बना रह सका।