जगद्गुरु रामभद्राचार्य ग्रंथसूची
रामभद्राचार्य के कुछ ग्रन्थों के आवरण पृष्ठ | ||
Releases | ||
---|---|---|
↙कविताएं | २८ | |
↙संगीत | ५ | |
↙टीकाएँ | १९ | |
↙समालोचनाएँ | ६ | |
↙प्रवचन | ९ | |
संदर्भ और पादटीका |
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य (जगद्गुरु रामभद्राचार्य अथवा स्वामी रामभद्राचार्य के रूप में अधिक प्रसिद्ध) चित्रकूट धाम, भारत के एक हिंदू धार्मिकनेता, शिक्षाविद्, संस्कृतविद्वान, बहुभाषाविद, कवि, लेखक, टीकाकार, दार्शनिक, संगीतकार, गायक, नाटककार और कथाकलाकार हैं। उनकी रचनाओं में कविताएँ, नाटक, शोध-निबंध, टीकाएँ, प्रवचन और अपने ग्रंथों पर स्वयं सृजित संगीतबद्ध प्रस्तुतियाँ सम्मिलित हैं। वे ९० से अधिक साहित्यिक कृतियों की रचना कर चुके हैं, जिनमें प्रकाशित पुस्तकें और अप्रकाशित पांडुलिपियां, चार महाकाव्य,[टीका १] तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस पर एक हिंदी भाष्य,अष्टाध्यायी पर पद्यरूप में संस्कृत भाष्य और प्रस्थानत्रयी शास्त्रों पर संस्कृत टीकाएँ शामिल हैं।[१][२]उनकी रचनाओं के अनेक ऑडियो और वीडियो भी जारी हो चुके हैं। वह संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली और कई अन्य भाषाओं में लिखते हैं।[३][४][५]
श्रीभार्गवराघवीयम् उनकी अत्यन्त प्रसिद्ध रचना है, जिसके लिए उन्हें संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।[6]।[६][७]उन्हें महाकवि तथा कविकुलरत्न आदि अनेक साहित्यिक उपाधियों से भी अलंकृत किया जा चुका है।[८][९]
उनकी प्रमुख साहित्यिक और संगीतमय रचनाएँ, शैलियों के आधार पर विभिन्न समूहों में, नीचे सूचीबद्ध हैं।[२][१०]
पद्य
महाकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
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भाषा
|
प्रकाशक
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सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९९४
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
ऋषिदम्पती अरुन्धती और वसिष्ठ के जीवन पर १५ सर्गों में विभक्त १२७९ पदों में रचित महाकाव्य। | ||
२००२
|
संस्कृत
|
४० संस्कृत और प्राकृत छन्दों में २१२१ श्लोकों में रचित महाकाव्य, प्रत्येक १०१ श्लोकों के २१ सर्गों में विभक्त, कवि द्वारा ही रचित हिंदी टीका के साथ। संस्कृत साहित्य अकादमी पुरस्कार, रामकृष्ण जयदयाल डालमिया श्रीवाणी अलंकरण, बाणभट्ट पुरस्कार एवं वाचस्पति पुरस्कार से अलंकृत। | |||
२०१०
|
हिंदी
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
प्रत्येक १०८ पद के ८ सर्गों में विभाजित ८६४ पदों में रचित महाकाव्य। रचना ऋषि अष्टावक्र को विकलांगों के ध्वजावाहक के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनकी जीवन गाथा का वर्णन करती है। | ||
२०११
|
संस्कृत
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
पारम्परिक लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत की धुनों पर आधारित संस्कृत गीतपरक महाकाव्य, जो रामायण की कथा को १००८ संस्कृत गीतों में प्रस्तुत करता है। ३६ गीतों वाले २८ सर्गों में विभक्त। |
खण्डकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९८०
|
काका विदुर
|
हिन्दी
|
श्री गीता ज्ञान मंदिर, राजकोट
|
महाभारत के पात्र विदुर पर रचित खण्डकाव्य। | |
१९८०
|
मुकुन्दस्मरणम्
|
संस्कृत
|
श्री गीता ज्ञान मंदिर, राजकोट
|
भगवान श्रीकृष्ण की प्रशंसा में दो खंडों में रचित खण्डकाव्य। | |
१९८२
|
माँ शबरी
|
हिन्दी
|
गिरिधर कोशलेन्द्र चिन्तन समिति, दरभंगा
|
रामायण के पात्र शबरी पर रचित खण्डकाव्य। | |
१९९६
|
आजादचन्द्रशेखरचरितम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद के जीवनकाल और कृत्यों पर रचित संस्कृत खण्डकाव्य, डॉ॰ गीता देवी मिश्रा के हिन्दी भाष्य सहित। | |
२०००
|
सरयूलहरी
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
अयोध्या में प्रवाहमान सरयू नदी की प्रशंसा में रचित खण्डकाव्य। | |
२००१
|
लघुरघुवरम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
संस्कृत के लघु वर्णों में रचित राम के शिशु रूप की झाँकियों को प्रस्तुत करने वाला खण्डकाव्य। | |
२००४
|
संस्कृत
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
दो भागों में विभक्त और मन्दाक्रान्ता छन्द में बद्ध ५०१ श्लोकों में रचित संस्कृत दूतकाव्य। दूतकाव्यों में कालिदास का मेघदूतम्, वेदान्तदेशिक का हंससन्देशः और रूप गोस्वामी का हंसदूतम् सम्मिलित हैं। भृंगदूतम् में किष्किन्धा में प्रवर्षण पर्वत पर रह रहे राम का एक भँवरे के माध्यम से लंका में रावण द्वारा अपहृत सीता को भेजा गया सन्देश वर्णित है। |
पत्रकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
२००३
|
कुब्जापत्रम्
|
संस्कृत
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
पत्रकाव्य; कृष्ण को कुब्जा द्वारा प्रेषित पत्र जिसका प्रकरण भागवत पुराण में वर्णित है। |
गीतकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९९१
|
राघवगीतगुंजन
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
गीतपरक काव्य। | |
१९९३
|
भक्तिगीतसुधा
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
भगवान राम और कृष्ण पर रचित ४३८ गीतों का संग्रह। |
रीतिकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
२००८
|
हिन्दी
|
१०९ पदों के तीन भागों में विभक्त प्राकृत के छः छन्दों में बद्ध ३२७ पदों में विरचित हिन्दी (ब्रज, अवधी और मैथिली) रीतिकाव्य। काव्य का वर्ण्यविषय बालरूप राम और सीता की लीलाएँ हैं। |
शतककाव्य
‡ | अप्रकाशित पांडुलिपि। |
* | अदिनांकित। |
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९९७
|
श्रीरामभक्तिसर्वस्वम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
१०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य जिसमें रामभक्ति का सार वर्णित है। | |
–
|
आर्याशतकम् ‡*
|
संस्कृत
|
—
|
आर्या छन्द में १०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य। | |
–
|
चण्डीशतकम् ‡*
|
संस्कृत
|
—
|
चण्डी को अर्पित १०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य। | |
–
|
राघवेन्द्रशतकम् ‡*
|
संस्कृत
|
—
|
राम की स्तुति में १०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य। | |
–
|
गणपतिशतकम् ‡*
|
संस्कृत
|
—
|
गणेश पर १०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य। | |
–
|
श्रीराघवचरणचिह्नशतकम् ‡*
|
संस्कृत
|
—
|
राम के चरणचिह्नों की प्रशंसा में १०० श्लोकों में रचित संस्कृत काव्य। |
स्तोत्रकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९८७
|
श्रीजानकीकृपाकटाक्षस्तोत्रम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
सीता के कृपा कटाक्ष का वर्णन करता संस्कृत काव्य। | |
१९९२
|
श्रीरामवल्लभास्तोत्रम्
|
संस्कृत
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
सीता की प्रशंसा में रचित संस्कृत काव्य। | |
१९९४
|
श्रीगंगामहिम्नस्तोत्रम्
|
संस्कृत
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
गंगा नदी की महिमा को प्रस्तुत करने वाला संस्कृत काव्य। | |
१९९५
|
श्रीचित्रकूटविहार्यष्टकम्
|
संस्कृत
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
आठ श्लोकों में श्रीराम की स्तुति करता संस्कृत काव्य। | |
२००२
|
श्रीराघवभावदर्शनम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
आठ शिखरिणीयों में उत्प्रेक्षा अलंकार के माध्यम से राम की उपमा चन्द्रमा, मेघ, समुद्र, इन्द्रनील, तमालवृक्ष, कामदेव, नीलकमल और भ्रमर से प्रस्तुत करता संस्कृत काव्य। कवि द्वारा ही रचित अवधी कवित्त अनुवाद और खड़ीबोली गद्य अनुवाद सहित। |
सुप्रभातकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
२००९
|
संस्कृत
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
चालीस श्लोकों (८ शार्दूलविक्रीडित, २४ वसन्ततिलक, ४ स्रग्धरा और ४ मालिनी) में रचित संस्कृत सुप्रभात काव्य। कवि द्वारा रचित हिन्दी अनुवाद सहित। |
भाष्यकाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९९७
|
अष्टाध्याय्याः प्रतिसूत्रं शाब्दबोधसमीक्षणम्
|
संस्कृत
|
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली द्वारा प्रकाश्यमान।
|
अष्टाध्यायी पर पद्यों में रचित संस्कृत भाष्य। विद्यावारिधि शोधकार्य। |
अभिनय
नाटककाव्य
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९९६
|
श्रीराघवाभ्युदयम्
|
संस्कृत
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
राम के अभ्युदय पर संस्कृत में रचित एकांकी नाटक। |
नाटक
* | अदिनांकित। |
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|
–
|
उत्साह *
|
हिन्दी
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
गद्य
प्रस्थानत्रयी पर संस्कृत टीकाएँ
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और ११ उपनिषदों) पर श्रीराघवकृपाभाष्यम् नामक संस्कृत टीकाओं की रचना की है। इन टीकाओं का विमोचन १० वैशाखपूर्व १९९८ को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किया गया था।[२][२०]इसके अतिरिक्त उन्होंने नारद भक्ति सूत्र पर १९९१ में श्रीराघवकृपाभाष्यम् टीका की रचना की। रामानंद सम्प्रदाय में प्रस्थानत्रयी पर संस्कृत टीका प्रस्तुत करने वाले रामभद्राचार्य द्वितीय आचार्य हैं, इनसे पूर्व स्वयं रामानंद ने आनन्दभाष्यम् नामक प्रथम टीका की रचना की थी।[२१][२२]इस प्रकार लगभग ६०० वर्षों की कालावधि में प्रस्थानत्रयी पर प्रथम बार संस्कृत टीकाओं को रामभद्राचार्य ने प्रस्तुत किया है।[२१]
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वर्ष
|
शीर्षक
|
विषय
|
प्रकाशक
|
टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|
१९९८
|
श्रीब्रह्मसूत्रेषु श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
ब्रह्मसूत्र
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
|
१९९८
|
श्रीमद्भगवद्गीतासु श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
कठोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
केनोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
माण्डूक्योपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
ईशावास्योपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
प्रश्नोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
तैत्तिरीयोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
ऐतरेयोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
श्वेताश्वतरोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
छान्दोग्योपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
बृहदारण्यकोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
||
१९९८
|
मुण्डकोपनिषदि श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
अन्य संस्कृत टीकाएँ
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वर्ष
|
शीर्षक
|
विषय
|
प्रकाशक
|
टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|
१९९१
|
श्रीनारदभक्तिसूत्रेषु श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
नारद भक्ति सूत्र
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
|
२०११
|
श्रीरामस्तवराजस्तोत्रे श्रीराघवकृपाभाष्यम्
|
रामस्तवराजस्तोत्र
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
हिंदी टीकाएँ
# | अर्धनिर्मित उत्पादन। |
* | अदिनांकित। |
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वर्ष
|
शीर्षक
|
विषय
|
प्रकाशक
|
टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|
१९८३
|
महावीरी
|
हनुमान चालीसा का समालोचनात्मक संस्करण, महावीरी टीका सहित
|
श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान, मथुरा
|
|
१९८५
|
श्रीगीतातात्पर्य
|
भगवद्गीता
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
|
२००५
|
भावार्थबोधिनी
|
रामचरितमानस
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
|
–
|
श्रीराघवकृपाभाष्य#*
|
९ खंडों में रामचरितमानस पर टीका।
|
—
|
समालोचनाएँ
साँचा:double-dagger | अप्रकाशित पांडुलिपि। |
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९८१
|
अध्यात्मरामायणे अपाणिनीयप्रयोगानां विमर्शः साँचा:double-dagger
|
संस्कृत
|
—
|
अध्यात्म रामायण में अपाणिनीय प्रयोगों पर विवेचना। पीएचडी शोध - निबंध। | |
१९८२
|
मानस में तापस प्रसंग
|
हिन्दी
|
श्री गीता ज्ञान मंदिर, राजकोट
|
रामचरितमानस के अयोध्या कांड में अज्ञात यति के प्रकरण पर विवेचना। | |
१९८८
|
सनातन धर्म की विग्रहस्वरूप गोमाता
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
हिंदू धर्म में गो की स्थिति पर विवेचना। | |
१९८८
|
श्रीतुलसीसाहित्य में कृष्णकथा
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
तुलसीदास के कार्यों में कृष्ण के वृत्तांत पर आनुसंधानिक शोध। | |
१९९०
|
सीता निर्वासन नहीं
|
हिन्दी
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
आलोचना जिसमें तर्क है कि सीता के निर्वासन का प्रकरण रामायण में वाल्मीकि के पश्चात् का प्रक्षेप है। | |
२००७
|
श्रीरासपंचाध्यायीविमर्शः
|
हिन्दी
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
भागवत पुराण के रास पंचाध्यायी अनुभागमें गोपियों के साथ कृष्ण के दिव्य रास का वर्णन करने वाले पाँच अध्यायों पर विवेचना। |
प्रवचन
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
सारांश
|
प्रकाशक
|
टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
१९८०
|
भरत महिमा
|
हिन्दी
|
रामायण में भरत की महिमा पर एक ९–दिन का प्रवचन।
|
श्री गीता ज्ञान मंदिर, राजकोट
|
|
१९८५
|
सुग्रीव का अघ और विभीषण की करतूति
|
हिन्दी
|
श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान, मथुरा
|
||
१९८९
|
मानस में सुमित्रा
|
हिन्दी
|
रामचरितमानस के पात्र सुमित्रा पर एक ९–दिन का प्रवचन।
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
|
१९९२
|
प्रभु करि कृपा पाँवरी दीन्ही
|
हिन्दी
|
चित्रकूट में राम द्वारा अपनी पादुकाएँ भरत को सौंपने के रामायण के प्रकरण पर एक ९–दिन का प्रवचन।
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
|
१९९३
|
परम बड़भागी जटायु
|
हिन्दी
|
रामायण के पात्र जटायु पर एक ९–दिन का प्रवचन।
|
श्री राघव साहित्य प्रकाशन निधि, हरिद्वार
|
|
२००१
|
श्री सीताराम विवाह दर्शन
|
हिन्दी
|
रामचरितमानस में वर्णित सीता और राम विवाह प्रकरण के अभिप्राय पर मार्च १९९९ में दिया गया एक आठ–दिन का प्रवचन।
|
श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास
|
|
२००४
|
तुम पावक मँह करहु निवासा
|
हिन्दी
|
रामचरितमानस में वर्णित अग्नि में सीता के प्रवास के प्रकरण पर सितंबर २००३ में दिया गया एक ९–दिन का प्रवचन।
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
|
२००६
|
अहल्योद्धार
|
हिन्दी
|
राम द्वारा अहल्या की मुक्ति के प्रकरण पर अप्रैल २००० में दिया गया एक ९–दिन का प्रवचन।
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
|
२००८
|
हर ते भे हनुमान
|
हिन्दी
|
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांगविश्वविद्यालय
|
रामचरितमानस का समालोचनात्मक संस्करण
रामभद्राचार्य का सबसे विवादास्पद कार्य रामचरितमानस का समालोचनात्मक संस्करण था, जो तुलसी पीठ संस्करण के रूप में प्रकाशित किया गया था।[२३] उन पर महाकाव्य को विकृत करने का आरोप लगाया गया था,[२३][२४] लेकिन रामभद्राचार्य द्वारा इस संस्करण के प्रकाशन से किसी को कष्ट पहुँचने पर खेद जताने पर यह विवाद शांत हो गया।[२५] उनके खिलाफ एक याचिका भी दायर की गई थी, लेकिन उसे अदालत ने खारिज कर दिया था।[१] यह संस्करण २००५ में श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास द्वारा प्रकाशित किया गया था।[२][१०]
ऑडियो और वीडियो
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वर्ष
|
शीर्षक
|
भाषा
|
प्रकाशक
|
सारांश | टिप्पणीयां |
---|---|---|---|---|---|
२००१
|
भजन सरयू
|
हिन्दी
|
यूकी कैसेट्स, दिल्ली
|
राम को समर्पित आठ भजनों की ऑडियो सीडी। रामभद्राचार्य द्वारा रचित, सुर-बद्ध और गायी गई है। | |
२००१
|
भजन यमुना
|
हिन्दी
|
यूकी कैसेट्स, दिल्ली
|
कृष्ण को समर्पित सात भजनों की ऑडियो सीडी। रामभद्राचार्य द्वारा रचित, सुर-बद्ध और गायी गई है। | |
२००९
|
श्री हनुमत् भक्ति
|
हिन्दी
|
कुबेर म्यूजिक, नव दिल्ली
|
हनुमान को समर्पित और तुलसीदास द्वारा रचित छह भजनों की ऑडियो सीडी। रामभद्राचार्य द्वारा सुर-बद्ध और गायी गई है। | |
२००९
|
श्रीसीतारामसुप्रभातम्
|
संस्कृत
|
यूकी कैसेट्स, दिल्ली
|
सुप्रभात काव्य की ऑडियो सीडी। रामभद्राचार्य द्वारा रचित, सुर-बद्ध और वैरागी राग में गाया गया। | |
२००९
|
सुन्दर काण्ड
|
हिन्दी
|
यूकी कैसेट्स, दिल्ली
|
रामचरितमानस के सुन्दर काण्ड पर टीका की संगीतमय प्रस्तुति पर डीवीडी। रामभद्राचार्य द्वारा वाचित, सुर-बद्ध एवं गायित। |
पादटीका
- ↑ संस्कृत और हिंदी में दो प्रत्येक।
सन्दर्भ
टिप्पणियाँ
- ↑ अ आ कांत, प्रदीप; कुमार, अनिल (१९ मई २०११). Writ Petition No. 8023 (MB) of 2008: Shiv Asrey Asthana and others Vs Union of India and others. लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत: इलाहाबाद उच्चन्यायालय (लखनऊ पीठ). http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=1423192. अभिगमन तिथि: २९ सितम्बर २०११.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह अ॰अ अ॰आ अ॰इ अ॰ई अ॰उ अ॰ऊ अ॰ए अ॰ऐ अ॰ओ अ॰औ अ॰क अ॰ख अ॰ग अ॰घ अ॰ङ अ॰च अ॰छ अ॰ज दिनकर २००८, प्रप्र. ४०–४३.
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- ↑ दिनकर २००८, प्र. ३९.
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- ↑ नागर २००२, प्र. १८३.
- ↑ चन्द्र २००८, प्र. २१.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह अ॰अ अ॰आ अ॰इ अ॰ई अ॰उ अ॰ऊ अ॰ए अ॰ऐ अ॰ओ अ॰औ अ॰क अ॰ख अ॰ग अ॰घ अ॰ङ अ॰च नागर २००२, प्रप्र. ८९–९०.
- ↑ रामभद्राचार्य १९९४, प्रप्र. iii —vi.
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- ↑ नागर २००२, प्र. ८८.
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