चितराल जैन स्थापत्य
चितराल जैन स्थापत्य | |
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Chitharal Jain Temple சிதறால் மலைக் கோவில் | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
देवता | तीर्थंकर |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
नगर निकाय | मारताण्डम |
ज़िला | कन्याकुमारी ज़िला |
राज्य | तमिल नाडु |
देश | साँचा:flag/core |
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भौगोलिक निर्देशांक | साँचा:coord |
वास्तु विवरण | |
निर्माता | साँचा:if empty |
स्थापित | प्रथम शताब्दी ईसापूर्व |
निर्माण पूर्ण | छठी शताब्दी ईसवी |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
मंदिर संख्या | 2 |
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चितराल जैन स्थापत्य (Chitharal Jain Monuments), जिन्हें चितराल मलई कोविल (Chitharal Malai Kovil) अर्थात "चितराल पहाड़ी मंदिर", चितराल गुफा मंदिर (Chitharal Cave Temple) और चितराल भगवती मंदिर (Chitharal Bhagwathi Temple) भी कहा जाता है, भारत के तमिल नाडु राज्य में चितराल (Chitharal) गाँव में स्थित हैं। यहाँ स्थित पहाड़ियों को चोक्कनतूंगी पहाड़ियाँ कहा जाता है और यह स्थापत्य उनमें से एक, तिरुचनट्टू मलई (Thiruchanattu Malai), पहाड़ी पर स्थित हैं।[१][२][३]
विवरण
यह एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें दीवारो व चट्टानों को तराशकर उच्चावच प्रतिमाएँ और मूर्तियाँ बनाई गई हैं। कई जैन धर्म के तीर्थंकरों की हैं। इसमें कई फनों वाले नाग से रक्षित पार्श्वनाथ और पद्मावती और एक यक्ष के उच्चावच हैं। अर्ध-पद्मासन में बैठे कई तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ हैं। केन्द्रीय स्थान में भगवान महावीर की आकृति है, जिनके ऊपर एक वृक्ष और आसपास कई सेवक हैं। अम्बिका और उड़ते हुए विद्याधरों की आकृतियाँ हैं, जिनके नीचे तमिल लिपि में किसी दान देने वाले का नाम है। 13वीं शताब्दी में इसमें हिन्दू तत्व भी सम्मिलित करे गए और इसे भगवती का मंदिर भी बनाया गया। केन्द्रीय मंदिर का गोपुरम (शिखर) समभवत: बिजली गिरने के कारण नष्ट हो चुका है।[३][४]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Anon (2005). Tourist Guide to South India. Sura Books. pp. 128–129.
- ↑ Rangarajan, H; Kamalakar, G; Reddy, AKVS; Venkatachalam, K (2001). Jainism: Art, Architecture, Literature & Philosophy. Sharada. p. 43.
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite book