कैफ़ीन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(कैफिन से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

स्क्रिप्ट त्रुटि: "about" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। साँचा:chembox

कैफीन (Caffeine) एक कड़वी, सफेद क्रिस्टलाभ एक्सेंथाइन एलकेलॉइड (क्षाराभ) है, जो एक मनोस्फूर्तिदायक या साइकोएक्टिव (मस्तिष्क को प्रभावित करनेवाली) उत्तेजक औषधि है। एक जर्मन रसायनशास्त्री फ्रेडरिक फर्डीनेंड रंज ने 1819 में कैफीन की खोज की थी। उन्होंने कैफीन (kaffein) शब्द का इजाद किया, जो कॉफी का एक रासायनिक यौगिक है, (जिसके लिए जर्मन शब्द काफी (Kaffee) है), जो अंग्रेजी में कैफीन बन गया (और जर्मन में कोफीन (Koffein) में बदल गया).[१]

कुछ पौधों की फलियों, पत्तियों और फलों में अलग-अलग मात्रा में कैफीन पायी जाती है, जहां यह एक प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में काम करती है जो पौधों को खाने वाले कुछ कीटों को पंगु बनाकर मार डालती है।[२] कॉफ़ी के पौधे की फलियों और चाय की झाड़ी की पत्तियों से निकाले गये अर्क का ही बहुत आम तौर पर मनुष्यों द्वारा उपभोग किया जाता है। इसके अलावा, कोला नट से व्युत्पन्न विभिन्न खाद्य तथा पेय उत्पादों में भी कैफीन हुआ करती है। अन्य स्रोतों में येर्बा मेट, गुआराना बेरी और यौपों होली भी शामिल हैं।

इंसानों में, कैफीन एक केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली (CNS) की उत्तेजक है, जिसका प्रभाव अस्थायी रूप से ऊंघ दूर करने और सतर्कता बहाल करने में होता है। कॉफी, चाय, मृदु पेय और ऊर्जा पेय जैसे अति लोकप्रिय पेय पदार्थों में कैफीन पायी जाती है। कैफीन विश्व का सबसे अधिक उपभोग्य मनोस्फूर्तिदायक पदार्थ है, लेकिन अन्य मनोस्फूर्तिदायक पदार्थों के विपरीत यह लगभग सभी क्षेत्रों में वैध और अनियंत्रित है। उत्तर अमेरिका में, 90% वयस्क प्रतिदिन कैफीन का उपभोग करते हैं।[३] अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए (FDA)) कैफीन को "आम तौर पर सुरक्षित माने जाने वाले एक बहु-उद्देशीय खाद्य पदार्थ" के रूप में सूचीबद्ध किया है।[४]

जिन मरीजों में कैफीन को सहने की क्षमता नहीं होती है, उन्हें इसकी पर्याप्त मात्रा देने पर इसके मूत्रवर्धक गुणों का पता चलता है।[५] हालांकि, नियमित उपयोगकर्ताओं में इस प्रभाव को बर्दाश्त करने की काफी क्षमता आ जाती है[५] और इस आम धारणा का समर्थन करने में इस पर किए जाने वाले अध्ययन आम तौर पर विफल हो जाते हैं कि कैफीनयुक्त पेय पदार्थों की आम खपत निर्जलीकरण में काफी योगदान देता है।[६][७][८]

उपस्थिति

Alt= कत्थई सेम के तस्वीर

अनेक वनस्पति प्रजातियों में कैफीन पायी जाती है, जहां यह प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में काम करती है, उन अंकुरों में जो अभी पत्तियों में परिवर्तित नहीं हुए हैं और जिन्हें यांत्रिक सुरक्षा प्राप्त नहीं है,[९] उनमें कैफीन का उच्च स्तर होता है; कैफीन पौधों को खाने वाले कीटों को पंगु बनाती है और उन्हें मार डालती है।[२] कॉफी की फलियों के अंकुरों के आसपास की जमीन में भी कैफीन का उच्च स्तर पाया जाता है। इसलिए, माना जाता है कि कैफीन एक प्राकृतिक कीटनाशक के साथ-साथ कॉफी के अंकुर के आसपास अन्य किसी पौधे के अंकुरण के प्रावरोधक का भी काम करती है, इस तरह इसे बचे रहने का बेहतर अवसर मिलता है।[१०]

कॉफी, चाय और कुछ हद तक कोकोआ की फलियों से प्राप्त होने वाले चॉकलेट, कैफीन के आम स्रोत हैं।[११] आम तौर पर कम इस्तेमाल होने वाले कैफीन के स्रोतों में येर्बा मेट और गुआराना पौधे हैं,[१२] जिनका कभी-कभी चाय और ऊर्जा पेयों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। कैफीन के दो वैकल्पिक नाम, मैटीन और गुआरानाइन इन पौधों के नाम से निकले हैं।[१३][१४] कुछ येर्बा मेट समर्थकों का कहना है कि मैटीन कैफीन का एक त्रिविमसमावयवी (स्टीरियोआइसोमर) है, जो इसे एकदम से अलग पदार्थ बनाता है।[१२] यह सच नहीं है क्योंकि कैफीन एक अचिरल (achiral) अणुकणिका है और इसलिए इसका एनेंशामर (enantiomers) नहीं होता; न ही इसका अन्य स्टीरियोआइसोमर होता है। कैफीन के वनस्पति स्रोतों में भी अन्य एक्सेंथाइन एलकेलॉइड के व्यापक बदलते मिश्रण की वजह से विभिन्न प्राकृतिक कैफीन स्रोतों के बीच अनुभव और प्रभावों में अंतर हो सकता है, इनमें कैफीन के साथ अघुलनशील रूप में ह्रदय संबंधी उत्तेजक थियोफिलाइन और थियोब्रोमाइन और पोलीफेनोल्स जैसे अन्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।

कॉफी की "फली" (बीन) कैफीन के वैश्विक प्राथमिक स्रोतों में एक है (जो कि कॉफी पौधे का बीज है), जिससे कॉफी तैयार की जाती है। कॉफी में कैफीन की मात्रा कॉफी फली के प्रकार और तैयारी में इस्तेमाल की गयी पद्धति पर निर्भर है;[१५] यहां तक कि एक ही झाड़ की फलियों की सांद्रता में अंतर हो सकता है। सामान्यतः, अरबिका श्रेणी की एस्प्रेसो के एक सिंगल शॉट (30 मिलीलीटर) से 40 मिलीग्राम से लेकर ड्रिप कॉफी के लगभग एक कप (120 मिलीलीटर) से 100 मिलीग्राम के बीच कॉफी सेवन हुआ करती है। सामान्यतः, हलकी भुनी हुई की तुलना में काली-भुनी हुई कॉफी में कैफीन कम होती है क्योंकि भूनने की प्रक्रिया में फली की कैफीन मात्रा घट जाया करती है।[१६][१७] रोबुस्टा किस्म की तुलना में अरबिका कॉफी में सामान्य रूप से कैफीन की मात्रा कम होती है।[१५] कॉफी में थियोफिलाइन के अवशेष भी शामिल होते हैं, लेकिन थियोब्रोमाइन के नहीं।

चाय, कैफीन का एक अन्य आम स्रोत है। हालांकि कॉफी की तुलना में चाय में अधिक कैफीन होती है (सूखे वजन में), लेकिन एक विशेष प्रकार के बनाने के तरीके के कारण यह मात्रा बहुत कम हो जाया करती है, क्योंकि चाय को आम तौर पर बहुत पनियल रूप में तैयार किया जाता है। साथ ही पेय की ताकत, बदलते हालात, प्रसंस्करण तकनीकों और अन्य प्रभावित करने वाली चीजों का भी कैफीन की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है। चाय की कुछ किस्मों में अन्य चायों से अधिक कैफीन की मात्रा हो सकती है। चाय में थियोब्रोमाइन की थोड़ी-सी मात्रा होती है और कॉफी की तुलना में थियोफिलाइन का ज़रा ऊंचा स्तर होता है। चाय पर तैयारी और कई अन्य कारकों का एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और रंग, कैफीन की मात्रा का एक बहुत ही कमजोर सूचक है।[१८] उदाहरण के लिए, मद्धम जापानी हरी चाय ग्योकुरु में बहुत अधिक कैफीन होती है, जबकि इसकी तुलना में लप्सांग सौचोंग जैसी कहीं अधिक काली चायों में बहुत कम कैफीन हुआ करती है।

उत्पाद सर्विंग की मात्रा कैफीन प्रति सर्विंग (मिलीग्राम) कैफीन प्रति लीटर (मिलीग्राम)
कैफीन की टैबलेट (नियत-संख्या) 1 टैबलेट &&&&&&&&&&&&0100.&&&&&0१००
कैफीन टैबलेट (अधिक-संख्या) 1 टैबलेट &&&&&&&&&&&&0200.&&&&&0२००
एक्स्केड्रीन टैबलेट 1 टैबलेट &&&&&&&&&&&&&065.&&&&&0६५ हेर्शेय की स्पेशल डार्क (45% ककाओ कंटेंट) साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&031.&&&&&0३१
हेर्शेय की मिल्क चॉकलेट (11% ककाओ कंटेंट) साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&010.&&&&&0१०
परकोलटेड कॉफ़ी साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&080.&&&&&0८०–135 &&&&&&&&&&&&0386.&&&&&0३८६–652
ड्रिप कॉफी साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&0115.&&&&&0११५–175 &&&&&&&&&&&&0555.&&&&&0५५५–845
कॉफी, कैफीन अलग की हुई (decaffeinated) साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&&05.&&&&&0५–15 &&&&&&&&&&&&&024.&&&&&0२४–72
कॉफी, एस्प्रेसो साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&0100.&&&&&0१०० &&&&&&&&&&&01691.&&&&&0१,६९१–2254
काली चाय साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&050.&&&&&0५० &&&&&&&&&&&&0282.&&&&&0२८२
ग्रीन चाय साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&030.&&&&&0३० &&&&&&&&&&&&0170.&&&&&0१७०
गुआयाकी येर्बा मेट (खुदरा पत्ती) साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&085.&&&&&0८५[२१] 0एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "~"।.एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "~"।~३५८
कोका-कोला क्लासिक साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&034.&&&&&0३४ &&&&&&&&&&&&&096.&&&&&0९६
माउंटेन ड्यू साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&054.&&&&&0५४ &&&&&&&&&&&&0154.&&&&&0१५४
वॉल्ट साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&069.&&&&&0६९ &&&&&&&&&&&&0194.&&&&&0१९४
जोल्ट कोला साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&0280.&&&&&0२८० &&&&&&&&&&&&0403.&&&&&0४०३
रेड बुल साँचा:nowrap &&&&&&&&&&&&&080.&&&&&0८० &&&&&&&&&&&&0320.&&&&&0३२०

शीतल पेय, जैसे कि कोला, जो मूलत: कोला के नट से तैयार किया जाता है, का कैफीन एक सामान्य संघटक है। आम तौर पर सेवन किए गए शीतल पेय में कैफीन की मात्रा 10 से 50 मिलीग्राम होती है। इसके विपरीत, सेवन किए जानेवाले रेड वुल जैसे ऊर्जा पेय में कैफीन की मात्रा 80 मिलीग्राम से शुरू हो सकती है। इन पेयों में शामिल कैफीन या तो उपयोग की जानेवाली किसी मूल सामग्री के संघटक से या फिर किसी मादक पदार्थ से कैफीन अलग किए गए उत्पाद से या संश्लेषित रासायनिक से लिया जाता है। गुअराना (Guarana), ऊर्जा पेय का एक प्रमुख घटक है, में बड़ी मात्रा में कैफीन के साथ कम मात्रा में थियोब्रोमाइन (theobromine) और थियोफिलाइन (theophylline) होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से धीमी गति से स्रावित होनेवाले एक्सीपिएंट (excipient) में पाया जाता है।[२२]

कोको फलियों से व्युत्पद चॉकलेट में कैफीन की कम मात्रा में होती है। चॉकलेट से हल्की उत्तेजना का प्रभाव थियोब्रोमाइन और थियोफिलाइन और कैफीन के सम्मिश्रण के कारण चॉकलेट से हल्का शक्तिवर्द्धक प्रभाव हो सकता है।[२३] सेवन किए जानेवाले एक सामान्य 28 ग्राम के मिल्क चॉकलेट बार में कैफीन की मात्रा कैफीन अलग किए गए एक कप कॉफी जितनी होती है, हालांकि मौजूदा समय में उत्पादित कुछ डार्क चॉकलेट में इसकी मात्रा प्रति सौ ग्राम में 160 मिलीग्राम होती है।

हाल के वर्षों में, शैंपू और साबुन जैसे नहाने के उत्पाद में बहुत सारे निर्माताओं ने कैफीन डालना शुरू किया, दावा किया जा रहा है कि त्वचा के जरिए कैफीन अवशोषित हो सकता है।[२४] हालांकि, इस तरह के उत्पादों की प्रभावशीलता को सिद्ध नहीं किया गया है और इसके उत्तेजक प्रभाव का असर केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली में बहुत ही कम हो सकता है क्योंकि कैफीन त्वचा के जरिए आसानी से अवशोषित नहीं होती है।[२५]

बहुत सारे निर्माता बाजार में कैफीन की गोलियां बेच रहे हैं, उनका दावा है कि दवा के रूप में कैफीन की गुणवत्ता का उपयोग मानसिक सतर्कता को बढ़ाता है। शोधों के जरिये इन प्रभावों के बारे में पता चला कि कैफीन के इस्तेमाल (चाहे गोली के रूप में या किसी और तरीके से) से थकान में कमी आती है और सतर्कता में वृद्धि होती है।[२६] परीक्षा की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों और लंबे समय से काम पर या ड्राइविंग में लगे लोगों द्वारा आम तौर पर इन गोलियों का उपयोग किया जाता है।[२७]

समयपूर्व पैदा हुए नवजात शिशु के श्वासरोध की समस्या के इलाज के लिए भी कैफीन का दवा के रूप में इस्तेमाल होता है और यह नवजात शिशुओं की गहन देखभाल में आम तौर पर दिए जाने वाली 10 दवाओं में से एक है;[२८] हालांकि अब प्रयोगात्मक प्राणी शोध पर आधारित सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या इसके कोई नुकसानकारी पार्श्व प्रभाव भी हैं।[२८]

इतिहास

Alt=एक पुराने और मध्यम आयु एक चटाई के चारों ओर एक जमीन पर बैठे दर्जन लोगों की एक पुरानी तस्वीर.सामने एक आदमी एक मोर्टार के बगल में बैठता है और एक बल्ला, पीसने के लिए तैयार रहती है। एक आदमी उसके सामने एक लंबा चम्मच आयोजित करता है।
मुख्य लेख: चॉकलेट का इतिहास, कॉफी का इतिहास, चाय का आरंभ और इतिहास

पाषाण युग से ही मनुष्य कैफीन का उपभोग कर रहा है।[२९] शुरू में लोगों ने देखा कि कुछ ख़ास वनस्पतियों के बीज, छाल या पत्तों को चबाने से थकान कम करने, सतर्कता बढ़ाने और मन-मिजाज को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। बहुत बाद में यह पता चला कि कैफीन के पौधे को गर्म पानी में भिगोने से कैफीन का असर बढ़ जाता है। हजारों साल पहले के लोगों द्वारा ऐसी वनस्पतियों की खोज करने वालों पर कई संस्कृतियों में किंवदंतियां हैं।

एक लोकप्रिय चीनी दंतकथा के अनुसार, 3000 ई.पू. के आसपास शासन करने वाले चीन के सम्राट शेन्नोंग ने संयोगवश कुछ पत्तियों के उबलते पानी में गिर जाने के परिणामस्वरूप एक खुशबूदार तथा बलवर्द्धक पेय की खोज कर ली थी।[३०][३१][३२] लू यू के चा जिंग नामक चाय के विषय पर एक प्रसिद्ध प्रारंभिक पुस्तक में भी शेन्नोंग का उल्लेख है।[३३] नौवीं शताब्दी में कॉफी के इतिहास को दर्ज किया गया। उस दौरान, कॉफी की फलियां अपने देशी प्राकृतिक वास इथियोपिया में ही उपलब्ध थीं। एक लोकप्रिय दंतकथा में काल्दी नामक एक चरवाहे को इसकी खोज का श्रेय दिया गया है, उसने साफ़ तौर पर देखा कि कॉफी की झाड़ियों में चरने के बाद बकरियां प्रफुल्लित हो उठती थीं और रात में नहीं सो पाती थी, इसलिए उसने भी उन बेरियों को चखा जिन्हें बकरियां खाया करती थीं और उसने भी उसी उत्साह का अनुभव किया। 9वीं सदी के फारसी चिकित्सक अल-राज़ी की पुस्तक बुनचुम के सन्दर्भ को कॉफी का प्रारंभिक साहित्यिक उल्लेख माना जा सकता है। 1587 में, मलये जज़ीरी की संकलित "उन्दात अल सफवा फी हिल अल-कहवा" शीर्षक पुस्तक में कॉफी के इतिहास और कानूनी विवादों का अनुरेखण मिलता है। इस पुस्तक में, जज़ीरी ने दर्ज किया कि एक शेख, जमाल-अल-दीन अल-द्हभानी, अदन का मुफ्ती, ने ही 1454 में कॉफी का पहली बार उपभोग किया था और यह भी कि यमन के सूफियों ने 15वीं सदी में नमाज के वक्त जगे रहने के लिए नियमित रूप से कॉफी का इस्तेमाल किया।

16वीं सदी के अंतिम दौर में, मिस्र के एक यूरोपीय निवासी ने कॉफी के उपयोग को दर्ज किया और लगभग इसी समय नियर ईस्ट (निकट पूर्व) में यह आम उपयोग में आ चुका था। 17वीं सदी से यूरोप में एक पेय के रूप में कॉफी की सराहना होने लगी, जहां पहले इसे "अरबियन वाइन" के नाम से जाना जाता था। एक दंतकथा में कहा गया है कि शहर के लिए युद्ध में हार के बाद विएना से ओटोमन तुर्कियों के पीछे हटने के बाद, उनके सामान से कई बोरी कॉफी की फलियां बरामद हुईं. यूरोपीय नहीं जानते थे कि उन कॉफी की फलियों का भला क्या किया जाय, क्योंकि वे उनसे अपरिचित थे। इसलिए, वास्तव में तुर्कियों के लिए काम करने वाले एक पोलैंडवासी को उन्हें ले जाने के लिए दे दिया गया। बाद में उन्होंने वियनावासियों को कॉफी बनाना सिखाया और पश्चिमी दुनिया में पहला कॉफी हाउस वियना में खुला, इस तरह कॉफी के विस्तार की एक लंबी परंपरा की शुरुआत हुई। [३४] ब्रिटेन में, सेंट माइकल गली, कॉर्नहिल में 1652 में लंदन का पहला कॉफी हाउस खोला गया। वे जल्द ही पूरे पश्चिमी यूरोप में लोकप्रिय हो गये और उन्होंने 17वीं और 18वीं सदी में सामाजिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.[३५]

लगता है कि कॉफी बेरी और चाय पत्ती की तरह कोला नट के उपयोग का आरंभ भी प्राचीन काल में हुआ है। जीवन शक्ति को बहाल करने और भूख के कष्ट को कम करने के लिए अकेले या सामाजिक रूप से कई पश्चिमी अफ्रीकी संस्कृतियों में इसे चबाया जाता है। 1911 में, चट्टानूगा, टेनेसी में अमेरिकी सरकार द्वारा कोका कोला सिरप के 40 बैरल और 20 केग्स जब्त कर लिए जाने के बाद कोला प्रारंभिक प्रलेखित स्वास्थ्य दहशतों में से एक बन गया जिनका कहना था कि इसके पेय का कैफीन "स्वास्थ्य के लिए हानिकारक" था।[३६] 13 मार्च 1911 को, सरकार ने युनाइटेड स्टेट्स वर्सेस फोर्टी बैरल्स एंड ट्वेंटी केग्स ऑफ़ कोका कोला मुक़दमे की पहल की, दावा किया गया कि उत्पाद मिलावटी और गलत ब्रांड का है, साथ ही यह उम्मीद की गयी कि इससे कोका कोला दबाव में आकर अपने फ़ॉर्मूले से कैफीन को हटा लेगा। मिलावट के आरोप में, संक्षेप में, कहा गया था कि उत्पाद में एक अतिरिक्त विषैला या अतिरिक्त क्षतिकर घटक मौजूद है, जो उत्पाद को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकता है। इस पर गलत ब्रांड नाम के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया, आरोप था कि 'कोका कोला' नाम कोका और कोला पदार्थों की उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करता है; कि उत्पाद में कोका है ही नहीं और कोई कोला है भी तो वो भी बहुत कम है, जबकि इसकी बिक्री उसी 'विशिष्ट नाम' से ही होती है।[३७] हालांकि न्यायाधीश ने कोका कोला के पक्ष में ही निर्णय सुनाया, तब 1912 में शुद्ध खाद्य व दवा अधिनियम में संशोधन के लिए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में दो विधेयक प्रस्तुत किए गये, कैफीन को "आदत डालने" और "क्षतिकर" पदार्थों की सूची में जोड़ा गया, जिसे उत्पाद के लेबल में सूचीबद्ध किया जाना जरुरी हो गया।

600 ई.पू. में एक प्राचीन मायान बर्तन में पाए गये अवशेष से कोको की फलियों के उपयोग का सबसे प्रारंभिक साक्ष्य मिला। नए विश्व में, एक तीखे और मसालेदार क्सोकोलेटल पेय में, अक्सर वनीला, चिली गोलमिर्च और एचिओते के साथ मिलाकर, चॉकलेट पिया जाता था। माना जाता है कि क्सोकोलेटल थकान से जूझता है, एक विश्वास है कि ऐसा संभवतः थियोब्रोमाइन और कैफीन के अवयव के कारण होता है। पूर्व-कोलम्बियन मेसोअमेरिका भर में चॉकलेट एक महत्वपूर्ण विलासिता का सामान था और कोको के बीन्स अक्सर ही करेंसी के रूप में इस्तेमाल होते थे।

यूरोप में क्सोकोलेटल का आरंभ स्पेनवासियों द्वारा किया गया और 1700 तक यह एक लोकप्रिय पेय बन गया। उन्होंने वेस्ट इंडीज और फिलीपींस में भी कोको वृक्ष लगाने की शुरुआत की। इसे कीमियाई (alchemical) प्रक्रियाओं में इस्तेमाल किया जाता था, जहां यह ब्लैक बीन के नाम से जाना गया।

यौपों होली (Ilex vomitoria) की पत्तियां और तना का इस्तेमाल देसी अमेरिकी चाय बनाने में करते जिसे असी या "काला पेय" कहा जाता.[३८] पुरातत्वविदों को इसके इस्तेमाल के प्रमाण सुदूर प्राचीनकाल में, संभवतः पुराकालीन समय के अंतिम दौर में, मिले हैं।

संश्लेषण और गुण

एक विस्तृत पाउडर के फोटो.
ऐनहाइड्रोस (ड्राई) युएसपी-ग्रेड कैफीन

1819 में, जर्मन रसायन शास्त्री फ्रेडरिक फर्डीनेंड रंजे ने पहली बार अपेक्षाकृत शुद्ध कैफीन को पृथक किया।[३९][४०] रंजे के अनुसार, उन्होंने जोहान वोल्फगैंग वॉन गोएथे के आदेश पर यह काम किया।[४१] 1827 में, ओउड्री ने चाय से "थिएन" को पृथक किया,[४२] लेकिन बाद में मुलडर द्वारा[४३] और जोबस्ट द्वारा[४४] यह प्रमाणित किया गया कि थिएन कैफीन के समान ही है।[४१] 19वीं सदी के अंत के आसपास में हरमन एमिल फिशर द्वारा कैफीन की बनावट को समझा गया, उन्होंने ही पहली बार इसके संपूर्ण संश्लेषण को प्राप्त किया।[४५] यह काम का वो भाग था जिसके लिए 1902 में फिशर को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नाइट्रोजन परमाणु में तत्वतः सभी प्लानर (planar) (sp2 ओर्बिटल हाईब्रिड़ाईजेशन में) हैं, जिसके परिणामस्वरूप कैफीन के अणुओं में खुशबूदार होने के गुण होते हैं। डिकैफिनेशन के उपोत्पाद के रूप में आसानी से उपलब्ध होने के कारण कैफीन को आमतौर पर संश्लेषित नहीं किया जाता है।[४६] अगर वांछित हो तो इसे डाईमेथीलुरिया और मेलोनिक एसिड से संश्लेषित किया जा सकता है।[४७]

कैफीन यूवी स्पेक्ट्रम

कैफीन में अवरोधन की शक्ति लगभग 29 मिनट की होती है और 273 nm पर अधिकतम UV अवशोषण की क्षमता (absorbance) होती है।

औषध शास्त्र

कैफीन की विश्वव्यापी खपत प्रति वर्ष अनुमानतः 120,000 टन की है,[४८] जो इसे दुनिया का सबसे अधिक लोकप्रिय मनोस्फूर्तिदायक पदार्थ बनाती है। इस गणना से प्रति व्यक्ति के हिस्से प्रतिदिन एक कैफीन युक्त पेय आता है। कैफीन एक केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली और चयापचय उत्तेजक है,[४९] और इसका उपयोग शौकिया और चिकित्सीय तौर पर असामान्य कमजोरी या ऊंघ आने पर शारीरिक थकान कम करने और मानसिक सतर्कता बढ़ाने के लिए किया जाता है। कैफीन और अन्य मिथाइलक्सान्थाइन (methylxanthine) व्युत्पादित का उपयोग नवजात शिशु के श्वासरोध और दिल की अनियमित धड़कन को दुरुस्त करने के लिए भी किया जाता है। कैफीन पहले केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली को उच्च स्तर पर उत्तेजित करता है, इसके परिणामस्वरूप सतर्कता और जागरूकता में वृद्धि होती है, सोच-विचार का तेज व स्पष्ट प्रवाह, ध्यान केन्द्रित होने में वृद्धि और बेहतर सामान्य शारीरिक समन्वय होता है और बाद में उच्च खुराक से मेरुदंड स्तर पर इसका प्रभाव पड़ता है।[२६] एक बार शरीर के अंदर जाने पर, इसकी एक जटिल रस-प्रक्रिया शुरू होती है और यह अनेक प्रक्रियाओं के जरिये काम करता है, जिनका वर्णन नीचे किया जा रहा है।

चयापचय और अर्द्ध जीवन काल

Alt=एक 4 कंकाल रासायनिक फार्मूले की विशेषता आरेख.शीर्ष (कैफीन) इसी तरह के यौगिकों, परेक्सनथाइन, थिओब्रोमाइन और थिओफीलाइन से संबंधित है।

कॉफी या अन्य पेय की कैफीन को पेट और छोटी आंत 45 मिनट के भीतर अवशोषित कर लेती है और शरीर की सभी ऊतकों में वितरित कर देती है।[५०] प्रथम-क्रम के गतिज (kinetics) द्वारा इसे समाप्त कर दिया जाता है।[५१] कैफीन को गुदा के माध्यम से भी ग्रहण किया जा सकता है, एर्गोटेमाइन टारट्रेट और कैफीन के सपोजिटरी के निर्माण से प्रमाणित (माइग्रेन से राहत के लिए)[५२] और क्लोरोबुटानोल और कैफीन (हाइपरमेसिस के इलाज के लिए).[५३]

कैफीन का जैविक अर्द्ध जीवन काल - कैफीन की कुल मात्रा के आधे को समाप्त करने में शरीर को समय लगता है - यह व्यक्तियों की उम्र, यकृत के कार्य, गर्भावस्था, कुछ समरूपी औषधियों के अनुसार व्यापक रूप से भिन्न होता है और इनके अलावा कैफीन के चयापचय के लिए यकृत में एंजाइम के स्तर की भी आवश्यकता होती है। स्वस्थ वयस्कों में, कैफीन का अर्द्ध जीवन काल लगभग 4.9 घंटे का होता है। ओरल गर्भ निरोधक लेने वाली महिलाओं में, यह अवधि 5-10 घंटे तक बढ़ जाती है,[५४] और महिलाओं में गर्भवती अर्द्ध जीवन काल मोटे तौर पर 9-11 घंटे का होता है।[५५] यकृत के गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्तियों में कैफीन का ढेर लग जा सकता है, इसका अर्द्ध जीवन काल 96 घंटे तक बढ़ जा सकता है।[५६] शिशुओं और युवा बच्चों में, अर्द्ध जीवन काल वयस्कों से अधिक हो सकता है; एक नवजात शिशु में अर्द्ध जीवन 30 घंटे तक का हो सकता है। धूम्रपान जैसे अन्य कारकों से कैफीन का अर्द्ध जीवन छोटा हो सकता है।[५७] फ्लावोक्सामाइन कैफीन के सफाए को 91.3% तक कम कर देता है और इसके एद्ध जीवन काल के उन्मूलन को 11.4 गुना अधिक समय तक बढ़ा देता है (4.9 घंटे से 56 घंटे तक).[५८]

साइटोंक्रोम P450 ओक्सीडेस एंजाइम प्रणाली (एकदम विशेष, 1A2 आइसोजाइम) द्वारा यकृत में कैफीन का चयापचय होता है, यह तीन चयापचय डाईमिथाइलक्सानथाइंस में होता है,[५९] इनमें से प्रत्येक का शरीर पर अपना प्रभाव होता है:

  • पाराक्सानथाइन (84%): वसाप्रजनन (lipolysis) को बढ़ाने में इसका असर होता है, जिससे रक्त प्लाज्मा में ग्लिसरोल और मुक्त फैटी एसिड का स्तर उन्नत हो जाता है।
  • थियोब्रोमाइन (12%): रक्त वाहिकाओं में फैलाव लाता है और पेशाब की मात्रा बढ़ा देता है। कोको बीन्स में थियोब्रोमाइन भी एक प्रमुख एलकालोइड है और इसलिए चॉकलेट भी.
  • थियोफिलाइन (4%): श्वासनलियों की कोमल पेशियों को आराम देता है और इसका उपयोग दमा के इलाज में होता है। थियोफिलाइन का चिकित्सीय खुराक, हालांकि, कैफीन के चयापचय से प्राप्त स्तर से कई गुना अधिक बड़ा होता है।

इनमें से प्रत्येक चयापचय का फिर से चयापचय होता है और उसके बाद मूत्र के माध्यम से इसे निकाल दिया जाता है।

कार्य करने की प्रक्रिया

दो कंकाल फारमूला: बायें तरफ - कैफीन, सीधे तरफ - एडीनोसाइन.
कैफिन्स प्रिंसिपल्स मोड ऑफ़ एक्शन इज़ ऐज़ ऐन ऐनटागौनिस्ट ऑफ़ अडेनोसिं रीसेप्तार्स इन द ब्रेन.

कैफीन तत्काल उस रक्त-मस्तिष्क बाधक को पार कर जाता है जो मस्तिष्क के आंतरिक भाग को रक्त प्रवाह से अलग करता है। एक बार मस्तिष्क में पहुंच जाने के बाद, एडेनोसाइन रिसेप्टर के एक गैर-चयनशील प्रतिद्वंद्वी के रूप में इसकी प्रमुख क्रिया शुरू हो जाती है।[६०][६१] कैफीन अणु, बनावट में एडेनोसाइन के समान ही होते हैं और उन्हें सक्रिय किये बिना कोशिकाओं की सतह पर एडेनोसाइन रिसेप्टरों को बांध देते हैं (एक "प्रतिद्वंद्वी" क्रिया तंत्र). इसलिए, कैफीन एक प्रतिस्पर्धी प्रावरोधक की तरह काम करता है।

एडेनोसाइन शरीर के हर हिस्से में पाया जाता है, क्योंकि यह मौलिक एटीपी (ATP)-संबंधी ऊर्जा चयापचय में एक भूमिका निभाता है और आरएनए (RNA) संश्लेषण के लिए जरुरी है, लेकिन मस्तिष्क में इसका विशेष कार्य होता है। इसके कई प्रमाण हैं कि एनोक्सिया और इस्चेमिया सहित विभिन्न प्रकार के चयापचय तनाव के द्वारा मस्तिष्क एडेनोसाइन के जमाव में वृद्धि होती है। प्रमाण से यह भी संकेत मिलता है कि तंत्रिका गतिविधि का दमन करके और नाड़ियों की कोमल पेशियों में स्थित A2A और A2B रिसेप्टरों के जरिये रक्त प्रवाह को बढ़ाकर भी मस्तिष्क एडेनोसाइन मस्तिष्क की सुरक्षा का काम करता है।[६२] एडेनोसाइन का प्रतिकार करके, कैफीन स्थिर प्रमस्तिष्कीय रक्त प्रवाह को 22% से 30% तक कम करता है।[६३] तंत्रिका गतिविधि पर कैफीन का आम तौर पर एक गैर-दमनकारी प्रभाव भी पड़ता है। लेकिन यह नहीं सिद्ध नहीं हुआ है कि इन प्रभावों की वजह से किस तरह जागरण और सतर्कता में वृद्धि होती है।

एडेनोसाइन एक जटिल तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क में मुक्त होता है।[६२] इस बात का प्रमाण है कि कुछ मामलों में एडेनोसाइन एक चेतोपागामीय विमोचित न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में काम करता है, मगर तनाव-संबंधी एडेनोसाइन की वृद्धि मुख्य रूप से एटीपी (ATP) के बाह्य-कोशिकीय चयापचय द्वारा उत्पादित लगती है। ऐसा नहीं लगता कि एडेनोसाइन किसी भी तंत्रिका समूह के लिए प्राथमिक न्यूरोट्रांसमीटर है, बल्कि इसके बजाय यह अनेक प्रकार की तंत्रिकाओं द्वारा अन्य ट्रांसमीटरों के साथ एक साथ मुक्त होता है। अधिकांश न्यूरोट्रांसमीटर के विपरीत, एडेनोसाइन पुटिकाओं (vesicles) में पैक हुए प्रतीत नहीं होते जो कि वोल्टेज-नियंत्रित तरीके से मुक्त होते हैं, लेकिन इस तरह की प्रणाली की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता.

अलग संरचनात्मक (एनाटोमिकल) वितरण के साथ एडेनोसाइन रिसेप्टरों के अनेक वर्गों का वर्णन किया गया है। A1 रिसेप्टर व्यापक रूप से वितरित हैं और कैल्शियम ग्रहण की कार्रवाई को रोकने का काम करते हैं। A2A रिसेप्टर का आधारीय गैंग्लिया में भारी जमाव होता है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जो व्यवहार नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन मस्तिष्क के अन्य भागों में भी पाया जा सकता है और वो भी कम घनत्व में. इसके प्रमाण हैं कि A2A रिसेप्टर डोपेमाइन प्रणाली के साथ क्रिया (इंटरएक्ट) करते हैं, जो कि प्रतिफल और जागरण में शामिल है। A2A रिसेप्टरों को धमनीय दीवारों और रक्त कोशिका झिल्लियों में भी पाया जा सकता है।)

इसके सामान्य न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव के अलावा, यह विश्वास करने के कारण हैं कि एडेनेसाइन को अधिक विशिष्ट रूप से सोने-जगने के चक्र को नियंत्रित करने में शामिल किया जा सकता है। रॉबर्ट मैककार्ली और उनके सहयोगियों का कहना है कि एडेनोसाइन के जमाव का प्राथमिक कारण लंबी मानसिक गतिविधि के बाद उनींदापन का संवेदन हो सकता है और यह कि A1 रिसेप्टरों के मार्फ़त जागरण-प्रोत्साही तंत्रिकाओं का प्रावरोधन और A2A रिसेप्टरों पर परोक्ष प्रभावों के मार्फ़त नींद-प्रोत्साही तंत्रिकाओं के सक्रियण के द्वारा ये प्रभाव संभवतः मध्यस्थता करते हों.[६४] हाल के अध्ययनों ने A2A के महत्व के लिए, न कि A1 रिसेप्टरों के लिए, अतिरिक्त सबूत प्रदान किया है।[६५]

कैफीन के कुछ गौण प्रभाव शायद एडेनोसाइन से असंबंधित कार्यों के कारण होते हैं। अन्य मिथाइलेटेड क्सानथाइन्स (methylated xanthines) की तरह, कैफीन

  1. प्रतिस्पर्धी गैर-चयनशील फोस्फोडाईस्टेरेज प्रावरोधक है[६६] जो अन्तःकोशिक सीएएमपी (cAMP) को ऊंचा उठाता है, पीकेए (PKA) को सक्रिय करता है, टीएनएफ (TNF)-अल्फा का प्रावरोध[६७][६८] करता है और ल्यूकोट्रीन[६९] (leukotriene) संश्लेषण और जलन को कम करता है तथा अंतर्जात प्रतिरक्षा[६९] करता है। कैफीन अगर (एक समुद्री घास) में भी मिलाया जाता है, जो चक्रीय एएमपी (AMP) फोस्फोडाईस्टेरेज के प्रावरोध के द्वारा सैकारोमाइसेस सेरेविसिया (Saccharomyces cerevisiae) (खमीर) के विकास को आंशिक रूप से प्रावरोधित करता है।[७०]
  2. गैर-चयनित एडेनोसाइन रिसेप्टर प्रतिपक्षी[६१] (ऊपर देखें) भी है।

फोस्फोडाईस्टेरेज प्रावरोधक सीएएमपी (cAMP)-फोस्फोडाईस्टेरेज (सीएएमपी-पीडीई (cAMP-PDE)) एंजाइमों का प्रावरोध करते हैं, जो कोशिकाओं में चक्रीय एएमपी (AMP) (सीएएमपी) को गैर-चक्रीय रूप में बदल देता है, इस तरह कोशिकाओं में सीएएमपी को वृद्धि का अवसर देता है। ग्लूकोज संश्लेषण में इस्तेमाल हुए विशिष्ट एंजाइमों के फोस्फोराइलेशन को शुरू करने के लिए चक्रीय एएमपी (AMP) प्रोटीन किनासे A (पीकेए (PKA)) के सक्रियण में भाग लेता है। इसके निष्कासन को अवरुद्ध करके कैफीन एपिनेफ्राइन और एम्फेटामाइन, मिथामफेटामाइन और मिथाइलफेनाडेट जैसी एपिनेफ्राइन-किस्म की दवाओं के प्रभाव को तेज तथा दीर्घ करती है। पार्श्विक कोशिकाओं में सीएएमपी (cAMP) के जमाव में वृद्धि से प्रोटीन किनासे A (पीकेए (PKA)) के सक्रियण में वृद्धि होती है, जो बदले में H+/K+ ATPase के सक्रियण में वृद्धि करता है, परिणामस्वरूप अंततः कोशिका द्वारा गैस्ट्रिक एसिड स्राव में वृद्धि होती है। चक्रीय एएमपी (AMP) विचित्र प्रवाह की गतिविधि में भी वृद्धि करता है, जिससे ह्रदय गति सीधे बढ़ जाती है। कैफीन संरचनात्मक रूप से कुचला सत् (strychnine) के सदृश भी है और, इसकी तरह (हालांकि बहुत कम शक्तिशाली), आइनोट्रोपिक ग्लिसाइन रिसेप्टरों का एक प्रतिस्पर्धी शत्रु है।[७१]

कैफीन के चयापचयों का भी कैफीन के प्रभाव में योगदान होता है। वसाप्रजनन प्रक्रिया में वृद्धि के लिए पाराक्सान्थाइन (Paraxanthine) जिम्मेदार है, जो पेशियों द्वारा इंधन के स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने के लिए खून में ग्लिसरोल और फैटी एसिड छोड़ता है। थियोब्रोमाइन एक वाहिकाविस्‍फारक (vasodilator) है, जो मस्तिष्क और मांसपेशियों में ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रवाह की मात्रा को बढ़ाता है। थियोफिलाइन (Theophylline) कोमल पेशियों को आराम देने का काम करता है, जो मुख्य रूप से श्वासनलिकाओं को प्रभावित करता है और जो एक क्रोनोट्रोप (chronotrope) व इनोट्रोप (inotrope) के रूप में काम करके ह्रदय गति और उसकी क्षमता को बढ़ाता है।[७२]

Alt=ऊपर: एक शीर्षक के साथ एक नियमित मकड़ी वेब की तस्वीर "दवा अनुभवहीन", नीचे: भारी विकृत शीर्षक के साथ एक मकड़ी का जाला "केफिनेटेड".

परिनियमन में प्रभाव

मुख्य पक्ष कैफीन के प्रभाव के उपरिशायी पाठ के साथ एक जवान आदमी की धड़.
ओवरव्यू ऑफ़ द मोर कॉमन साइड इफेक्ट्स ऑफ़ कैफीन, पॉसिबली अपियारिंग ऐट लेवेल्स बीलो ओवरडोस.[७३]

प्रभाव पैदा करने के लिए कैफीन की निश्चित मात्रा अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होती है, यह व्यक्ति के शरीर के आकार और कैफीन के लिए सहनशीलता की डिग्री पर निर्भर करता है। शरीर को प्रभावित करने में कैफीन को एक घंटे से भी कम समय लगता है और एक हलकी खुराक को तीन से चार घंटे लगते हैं।[२६] कैफीन की खपत सोने की आवश्यकता को समाप्त नहीं करती है, यह केवल अस्थायी तौर पर दिन भर की थकान के संवेदन को कम करती है। आम तौर पर, अधिकांश लोगों में सतर्कता और जागरण में वृद्धि करने के साथ-साथ कम थकान में भी कैफीन की 25 से 50 मिलीग्राम मात्रा पर्याप्त होती है।[७४]

इन प्रभावों के साथ, कैफीन एक एर्गोजेनिक है, जो व्यक्ति की मानसिक या शारीरिक क्षमता में वृद्धि करता है। 1979 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार दो घंटे की लंबी साइकिल यात्रा के दौरान नियंत्रित लोगों की तुलना में कैफीन का उपभोग किये लोगों की क्षमता में 7% की वृद्धि देखी गयी।[७५] अन्य अध्ययनों ने और भी अधिक नाटकीय परिणाम प्रस्तुत किये: एक प्रशिक्षित धावकों के एक विशेष अध्ययन में, शरीर के वजन के हिसाब से प्रति किलो पर 9 मिलीग्राम कैफीन देकर "रेस-पेस" धैर्य स्थायित्व में 44% की वृद्धि और साइकिल धैर्य स्थायित्व में 51% की वृद्धि देखी गयी।[७६] अतिरिक्त अध्ययनों में भी इसी तरह के परिणाम आये। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि शरीर के वजन के हिसाब से प्रति किलो पर 5.5 मिलीग्राम कैफीन दिए जाने से उच्च तीव्रता वाले सर्किट के दौरान चालकों ने 29% अधिक देर तक साइकिल चलायी.[७७]

अपरिपक्वता में श्वासरोध की समस्या और समय से पूर्व जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं में श्वासनलियों तथा फेफ़ड़ों संबंधी डिस्प्लेसिया के इलाज में कैफीन साइट्रेट छोटी और लंबी अवधि के लिए लाभकारी साबित हुआ है।[७३] कैफीन साइट्रेट इलाज के साथ केवल अल्पकालिक जोखिम जुड़ा हुआ है, वो यह कि इलाज के दौरान अस्थायी रूप से वजन में कमी आती है,[७८] और लंबी अवधि (18-21 महीने) के अध्ययनों में समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं में कैफीन से किये जाने वाले इलाज के दीर्घावधि के लाभ देखे गये हैं।[७९][८०]

आंतरिक गुदा संवरणी मांसपेशियों को कैफीन आराम पहुंचाता है और इसीलिए फेकल असंयम से पीड़ित लोगों को इससे परहेज करना चाहिए। [८१]

कैफीन मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित है, जबकि कुत्तों, घोड़ों और तोतों जैसे कुछ अन्य प्राणियों के लिए बहुत अधिक विषाक्त होता है, क्योंकि उनमें इस यौगिक के चयापचय की क्षमता बहुत कम होती है। घोंघो और विभिन्न कीटों के साथ-साथ मकड़ियों पर भी कैफीन का सुस्पष्ट असर पड़ता है।[८२]

स्क्रिप्ट त्रुटि: "labelled list hatnote" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

कैफीन कुछ दवाओं के प्रभाव को भी बढ़ाता है। कैफीन दर्दनिवारक दवा के असर को 40% अधिक बढ़ाकर सिरदर्द में आराम पहुंचाता है और सिरदर्द की दवा को शरीर द्वारा अवशोषित करने में मदद देता है, जिससे जल्दी आराम मिलता है।[८३] इस कारण से, बिना नुस्खे की अनेक सिरदर्द दवाओं के फॉर्मूले में कैफीन को शामिल किया गया है। माइग्रेन और क्लस्टर सिरदर्द के इलाज के लिए और प्रतिहिस्टामिन के कारण तंद्रा को दूर करने के लिए भी एर्गोटेमाइन के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सहनशीलता और प्रत्याहार

कैफीन चूंकि मुख्य रूप से न्यूरोट्रांसमीटर एडेनोसाइन के लिए केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली के रिसेप्टरों का प्रतिपक्षी है, सो नियमित रूप से कैफीन का उपभोग किया करते हैं वे इस ड्रग की निरंतर उपस्थिति के लिए अनुकूल हो चुके होते हैं, क्योंकि केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली में एडेनोसाइन रिसेप्टरों की संख्या में काफी इजाफा हो चुका होता है। पहला, कैफीन के उत्तेजनादायक प्रभाव काफी कम हो जाते हैं, इस घटना को सहनशील अनुकूलन के रूप में जाना जाता है। दूसरा, चूंकि कैफीन के प्रति इन अनुकूली प्रतिक्रियाओं से व्यक्ति एडेनोसाइन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, सो कैफीन के सेवन से एडेनोसाइन का सामान्य शारीरिक प्रभाव प्रभावी ढंग से बढ़ जाता है, परिणामस्वरूप सहिष्णु उपयोगकर्ताओं में प्रत्याहार के अप्रिय लक्षण दिखने लगते हैं।[८४]

कैफीन के लोकोमोटर उत्तेजन प्रभावों की सहिष्णुता के लिए एडेनोसाइन रिसेप्टरों के अप-रेगुलेशन के विचार पर अन्य शोधों ने सवाल खडा किया है, अन्य चीजों के अलावा, टिप्पणी की गयी कि कैफीन की बड़ी खुराक से यह सहिष्णुता अलंघ्य हो जाती है (इसे लंघ्य होना चाहिए अगर रिसेप्टरों में सहिष्णुता वृद्धि में हो) और यह कि एडेनोसाइन रिसेप्टरों की संख्या में वृद्धि साधारण है और किसी बड़ी सहिष्णुता का ब्योरा नहीं देता जो कि कैफीन से विकसित हुई है।[८५]

कैफीन सहनशीलता या सहिष्णुता बहुत जल्दी विकसित होती है, विशेष रूप से कॉफी और ऊर्जा पेयों के भारी उपभोक्ताओं में. सात दिनों तक रोजाना तीन बार 400 मिलीग्राम कैफीन के उपभोग से कैफीन के नींद विघ्न प्रभावों के प्रति सम्पूर्ण सहिष्णुता विकसित होती है। 18 दिनों तक और संभवतः उससे पहले भी, रोजाना 300 मिलीग्राम के उपभोग से पाया गया की कैफीन के व्यक्तिपरक प्रभावों के प्रति सम्पूर्ण सहिष्णुता विकसित हो जाती है।[८६] अन्य प्रयोग में, रोजाना 750-1200 मिलीग्राम का उपभोग करने वालों में कैफीन के प्रति पूरी सहिष्णुता पायी गयी, जबकि अधिक औसत खुराक लेने वालों में कैफीन की अधूरी सहिष्णुता पायी गयी।[८७]

क्योंकि एडेनोसाइन, हिस्से में, धमनी में फैलाव लाकर रक्त चाप को नियंत्रित करता है, सो कैफीन के प्रत्याहार के कारण एडेनोसाइन के बढ़ते प्रभाव से सिर की रक्त नलिकाएं फ़ैल जाती हैं, इससे सिर में अधिक खून चले जाने से सिरदर्द और मिचली आती है। इसका अर्थ यह हुआ कि कैफीन में वाहिकासंकीर्णन (vasoconstriction) गुण है।[८८] कैटकोलेमाइन (catecholamine) की कम गतिविधि थकान और तंद्रा के भाव पैदा कर सकती है। कैफीन का इस्तेमाल बंद कर देने से सेरोटोनिन (serotonin) के स्तर में कमी आ जाती है, इससे चिंता, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने की असमर्थता और पहल करने में या प्रतिदिन के काम पूरे करने में अभिप्रेरणा की कमी आ सकती है; चरम परिस्थितियों में इससे हल्का अवसाद भी पैदा हो सकता है। इन प्रभावों को एक साथ "क्रैश" के रूप में जाना जाता है।[८९]

संभवतः सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थता, तंद्रा, अनिद्रा और पेट, ऊपरी शरीर, तथा जोड़ों में दर्द[९०] जैसे प्रत्याहार के लक्षण कैफीन छोड़ने के 12 से 24 घंटे के अंदर दिखने लग सकते हैं, मोटे तौर पर 48 घंटे में यह चरम सीमा पर पहुंच जा सकता है और आम तौर पर एक से पांच दिनों तक रह सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क के एडेनोसाइन रिसेप्टरों को कैफीन उपभोग से अप्रभावित रहकर "सामान्य" स्तर में आने में कितना समय लगता है। एस्पिरिन जैसे एनाल्जेसिक दर्द के लक्षणों को कम कर सकते है, जैसे कि कैफीन की एक छोटी खुराक कर सकती है।[९१] एनाल्जेसिक और कैफीन की एक छोटी मात्रा दोनों का संयोजन बहुत प्रभावी है।

अतिउपयोग

बड़ी मात्रा में और खासकर विस्तारित अवधि तक कैफीन के उपभोग से वो स्थिति आ सकती है जिसे कैफिनिज्म कहा जाता है।[९२][९३] घबराहट, चिड़चिड़ापन, चिंता, दुविधा, मांसपेशी की फड़कन (हाइपररिफ्लेक्सिया), अनिद्रा, सिरदर्द, सांस की क्षारमयता (रेस्पिरेटरी अल्कालोसिस) और ह्रदय की धकधकी सहित एक व्यापक असुखकर शारीरिक और मानसिक स्थितियों के साथ आम तौर पर कैफिनिज्म कैफीन निर्भरता से जुड़ा होता है।[९४][९५] इसके अलावा, चूंकि कैफीन पेट के एसिड की पैदावार को बढ़ाता है, अधिक समय तक इसके अत्यधिक उपयोग से पेप्टिक अल्सर, अपरदनकारी ग्रासनलीशोथ (erosive esophagitis) और गैस्ट्रोएसोफेगल प्रतिवाह रोग (gastroesophageal reflux disease) हो सकता है।[९६]

डायग्नोस्टिक एंड स्टेटिसटिकल मैनुअल डिसऑर्डर्स, चौथा संस्करण द्वारा कैफीन-प्रेरित चार मानसिक विकारों को मान्यता दी गयी है: कैफीन मादकता, कैफीन-प्रेरित दुश्चिंता विकार, कैफीन-प्रेरित नींद की गड़बड़ और कैफीन-संबंधी विकार जो अन्य प्रकार से निर्दिष्ट नहीं किये गये (not otherwise specified या एनओएस (NOS)).

कैफीन मादकता

शरीर के वजन और कैफीन सहिष्णुता पर निर्भर, कैफीन की अधिक मात्रा, आम तौर पर 300 मिलीग्राम से अधिक, लेने से केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली के अति-उत्तेजन की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसे कैफीन इंटॉक्सीकेशन (कैफीन मादकता) (DSM-IV 305.90)[९७] कहा जाता है, या बोलचाल की भाषा में जिसे "कैफीन जिटर्स" कहते हैं। कैफीन मादकता के लक्षण अन्य उत्तेजकों के ओवरडोज या अधिक मात्रा के विपरीत नहीं हैं। इसमें अधीरता, बेचैनी, घबराहट, उल्लासोन्माद, अनिद्रा, चेहरे की तमतमाहट, अधिक पेशाब आना, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गड़बड़ी, मांसपेशी की फड़कन, सोच व बातचीत का असम्बद्ध प्रवाह, चिड़चिड़ापन, अनियमित या तेज ह्रदय स्पंदन और साइकोमोटर हलचल शामिल किये जा सकते हैं।[९५] बहुत ज्यादा ओवरडोज की स्थिति में, उन्माद, अवसाद, निर्णय लेने में गड़बड़ी, स्थितिभ्रान्ति, अनियंत्रण, भ्रम, मतिभ्रम और मनोविकृति हो सकती है और हाब्ड़ोमायोलायसिस (rhabdomyolysis) (कंकालीय मांसपेशियों के ऊतकों का टूटना) पैदा हो सकता है।[९८][९९]

बहुत ज्यादा खुराक से मौत भी हो सकती है। मुंह के माध्यम से दिया जाने वाला औसत घातक खुराक (LD50), चूहों के लिए प्रति किलोग्राम पर 192 मिलीग्राम है।[१००] इंसानों में कैफीन का LD50 वजन और व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करता है और अनुमानतः प्रति किलोग्राम शारीरिक द्रव्यमान पर 150 से 200 मिलीग्राम होता है, मोटे तौर पर एक सीमित समय सीमा में औसत व्यस्क व्यक्ति द्वारा 80 से 100 कप कॉफी पीना हाफ-लाइफ अर्थात अर्द्ध जीवन काल पर निर्भरता है। हालांकि कैफीन की घातक खुराक नियमित कॉफी से मिलना असाधारण रूप से कठिन है, कैफीन की गोलियां खाने से मौत की खबर है, कैफीन के 2 ग्राम से ज़रा अधिक की खुराक लेने से अस्पताल में भर्ती होने लायक गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं। इसका एक अपवाद फ्लवोक्सामाइन (fluvoxamine) जैसी दवा लेना हो सकता है, जो कैफीन के चयापचय के लिए जिम्मेवार यकृत एंजाइम को रोक देती है, इस तरह केन्द्रीय प्रभाव में वृद्धि हो जाती है और कैफीन की सघनता नाटकीय रूप से 5 गुना बढ़ जाती है। यह प्रतिदिष्ट नहीं है, लेकिन कैफीनयुक्त पेयों के कम उपयोग के लिए यह अत्यधिक सलाहयोग्य है, क्योंकि एक कप कॉफी पीने का असर सामान्य स्थिति में पांच कप पीने के बराबर का होगा। [१०१][१०२][१०३][१०४] हृदय प्रणाली पर कैफीन के प्रभावों द्वारा वेंट्रीक्युलर फिब्रीलेशन (ventricular fibrillation) (रक्त में अधिक मात्रा में फाइब्रिनोजन का पाया जाना) से मृत्यु हो जाया करती है।

गंभीर कैफीन मादकता का उपचार आमतौर पर सिर्फ मददगार होता है, तत्काल लक्षण का ही इलाज प्रदान करता है, लेकिन अगर रोगी में कैफीन के सीरम का स्तर बहुत ऊंचा है तो फिर पेरिटोनियल डायलिसिस (peritoneal dialysis), हेमोडायलिसिस (hemodialysis) या हेमोफिल्ट्रेशन (hemofiltration) की जरुरत पड़ सकती है।

जैविक तरल पदार्थों में इसका पता लगाना

नवजात शिशुओं के इलाज के लिए रक्त, प्लाज्मा, या सीरम में कैफीन की मात्रा निर्धारित की जा सकती है, इससे विषाक्तता के निदान की पुष्टि होती है, या मेडिकोलीगल मृत्यु जांच में सुविधा होती है। प्लाज्मा कैफीन का स्तर आम तौर पर कॉफी पीने वालों में 2-10 मिलीग्राम/एल (mg/L), श्वासरोध का इलाज करा रहे नवजात शिशुओं में 12-36 मिलीग्राम/एल और अत्यधिक ओवरडोज के शिकार लोगों में 40-400 मिलीग्राम/एल होता है। प्रतिस्पर्धात्मक खेल कार्यक्रमों में अक्सर मूत्र कैफीन सघनता को मापा जाता है और माना जाता है कि आम तौर पर इसका स्तर 15 मिलीग्राम/एल से अधिक होना इसके दुरुपयोग को प्रदर्शित करता है।[१०५]

चिंता और नींद विकार

अमेरिकन सायक्लोजिकल एसोसिएशन (एपीए (APA)) ने कभी-कभार कैफीन-प्रेरित दो विकारों को मान्य किया है, इनमें से एक है कैफीन-प्रेरित नींद विकार तथा दूसरा है कैफीन-प्रेरित चिंता विकार, जो लंबे समय तक कैफीन के सेवन से पैदा होते हैं।

कैफीन-प्रेरित नींद विकार के मामले में, किसी व्यक्ति द्वारा नियमित रूप से कैफीन की बड़ी खुराक लेते रहने से उसकी नींद में उल्लेखनीय खलल डालने के लिए पर्याप्त है, चिकित्सकीय सावधानी के लिए यह पर्याप्त रूप से गंभीर है।[९७]

कुछ व्यक्तियों में, कैफीन की बहुत बड़ी मात्रा से पैदा हुई चिंता या दुश्चिंता चिकित्सकीय सावधानी के लिए पर्याप्त रूप से गंभीर है। यह कैफीन-प्रेरित चिंता विकार अनेक रूप धारण कर सकता है, सामान्य चिंता से लेकर घबराहट या आकस्मिक भय का हमला, सनकी-जबर्दस्त लक्षण, या यहां तक कि फोबिक लक्षण तक दिखाई दे सकते हैं।[९७] चूंकि यह स्थिति भय विकार, सामान्य चिंता विकार, दो-ध्रुवी विकार, या यहां तक कि सिजोफ्रेनिया जैसे कायिक मानसिक विकारों का अनुकरण कर सकती है, इसीलिए अनेक चिकित्सा अनुभवियों का मानना है कि कैफीन-मादकता के शिकार व्यक्तियों का बराबर ही गलत निदान किया जाता है और उन्हें अनावश्यक रूप से दवाएं दी जाती हैं, जबकि कैफीन सेवन रोक देने से ही कैफीन-प्रेरित सायकोसिस का इलाज हो सकता है।[१०६] ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ एडिक्शन के एक अध्ययन का निष्कर्ष यह ही कि हालांकि कभी-कभार ही निदान किया जाता है, फिर भी कैफिनिज्म से आबादी का दसवां भाग पीड़ित हो सकता है।[९३] थिएनाइन के सह-प्रबंध से कैफीन-प्रेरित दुश्चिंता में भारी कमी पायी गयी।[१०७]

याददाश्त और विद्या प्राप्ति पर प्रभाव

एक मेज पर एक छाया हुआ रासायनिक बोतल के फोटो.
ऐन्हाइड्रस कैफिन (एसपी)

अध्ययनों की एक श्रृंखला में पाया गया कि कैफीन का नूट्रोपिक (nootropic) प्रभाव पड़ सकता है, स्मृति और विद्या प्राप्ति में कुछ परिवर्तनों को उत्प्रेरित कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि लंबी अवधि तक कैफीन की कम खुराक लेने से चूहों में हिप्पोकैम्पस-निर्भर विद्या प्राप्ति धीमी होती है और दीर्घावधि स्मृति क्षीण होती है। प्रयोग के दौरान पाया गया कि नियंत्रित की तुलना में चार हफ्ते तक कैफीन के सेवन से उल्लेखनीय रूप से हिप्पोकैम्पल न्यूरोजेनेसिस में भी कमी आती है। निष्कर्ष यह निकला कि लंबे समय तक कैफीन के सेवन से हिप्पोकैम्पल न्यूरोजेनेसिस के प्रावरोध के माध्यम से आंशिक रूप से हिप्पोकैम्पस-निर्भर विद्या प्राप्ति या सीखने तथा स्मृति अवरोधन हो सकता है।[१०८].

एक अन्य अध्ययन में, चूहे के न्यूरॉन्स इन विट्रो में कैफीन डाला गया। हिप्पोकैम्पस (स्मृति के साथ जुड़ा मस्तिष्क का एक भाग) से लिया डेंड्रीटिक स्पाइन्स (न्युरोंस के बीच संपर्क बनाने में इस्तेमाल होने वाली मस्तिष्क कोशिका का एक भाग) 33% तक बढ़ गयी और नयी स्पाईन्स की रचना हुई। एक या दो घंटे के बाद, हालांकि, ये कोशिकाएं अपने मूल आकार में वापस लौट गयीं। [१०९]

एक अन्य अध्ययन से पता चला कि कैफीन के 100 मिलीग्राम के सेवन के बाद मानव पात्रों के ललाट के हिस्से में स्थित मस्तिष्कीय क्षेत्र में गतिविधि बढ़ गयी, जहां कार्यरत स्मृति तंत्र का एक भाग और ध्यान को नियंत्रित करनेवाला मस्तिष्क का एक हिस्सा एंटीरियर सिंगुलेट कोर्टेक्स (anterior cingulate cortex) स्थित है। स्मृति कार्यों में कैफीनयुक्त पात्रों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया।[११०]

हालांकि, एक अलग अध्ययन से पता चला कि कैफीन लघु-अवधि स्मृति को क्षीण कर सकता है और टिप ऑफ़ द टंग फेनोमेना (कोई बात जबान पर आते-आते अटक जाने का वाकया) की संभावना बढ़ जाती है। अध्ययन ने शोधकर्ताओं को यह सुझाव देने की अनुमति दी कि कैफीन लघु-अवधि स्मृति में वृद्धि कर सकता है जब याद आने वाली सूचना या तथ्य सोच की वर्तमान धारा से संबंधित होते हैं, लेकिन यह भी परिकल्पना की गयी कि जब सोच की धारा असंबंधित हो तो कैफीन लघु-अवधि स्मृति को अटकाने का काम भी करता है।[१११] संक्षेप में, कैफीन का सेवन ध्यान केंद्रित सोच से संबंधित मानसिक प्रदर्शन में वृद्धि करता है, जबकि यह व्यापक-सीमा की सोच क्षमताओं में कमी ला सकता है।

हृदय पर प्रभाव

ह्रदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं की सतह पर रिसेप्टरों को कैफीन बांधता है, जिससे कोशिकाओं के अंदर cAMP के स्तर में वृद्धि हो जाती है (cAMP को घटाने वाले एंजाइमों को अवरुद्ध करके), एपिनेफ्राइन के प्रभावों का अनुकरण करके (जो उन कोशिकाओं के रिसेप्टरों को बांधता है जो cAMP उत्पादन को सक्रिय करती हैं). cAMP एक "सेकंड मेसेंजर" के रूप में काम करता है और बड़ी तादाद में प्रोटीन किनासे A (PKA; cAMP-निर्भर प्रोटीन किनासे) को सक्रिय करता है। यह ग्लायकोलायसिस की दर में वृद्धि का समग्र प्रभाव है और इससे मांसपेशी संकुचन तथा तनाव मुक्ति के लिए एटीपी (ATP) की उपलब्धता की मात्रा में वृद्धि होती है। एक अध्ययन के अनुसार, कॉफी के रूप में कैफीन, महामारी विज्ञान के अध्ययनों में उल्लेखनीय रूप से ह्रदय रोग के जोखिम को कम करता है। हालांकि, सुरक्षात्मक प्रभाव सिर्फ उन प्रतिभागियों में पाये गये जो गंभीर रूप से हायपरटेंसिव नहीं थे (अर्थात, वे रोगी जो बहुत अधिक उच्च रक्त दबाव के नहीं हैं). इसके अलावा, 65 साल से कम के प्रतिभागियों में या उसी उम्र के या 65 वर्ष से अधिक के लोगों की प्रमस्तिष्‍कवाहिकीय रोग से मृत्यु (cerebrovascular disease mortality) में कोई विशेष सुरक्षात्मक प्रभाव नहीं पाए गये।[११२] शोध का कहना है कि कैफीनयुक्त कॉफी का पान करना धमनी की दीवारों के कड़ेपन में अस्थायी वृद्धि का कारण हो सकता है।[११३]

बच्चों पर प्रभाव

यह आम मिथक है कि अत्यधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करने पर बच्चों; खासतौर पर छोटे और किशोरों में विकास रुक जाता है - हाल ही में हुए वैज्ञानिक अध्ययन ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है।[११४] कैफीन का प्रभाव बच्चों पर उतना ही होता है, जितना कि वयस्कों पर.

हालांकि, अनुषांगिक पेय जिसमे कैफीन पाया जाता है, जैसे ऊर्जा पेय इसमें बड़ी मात्रा में कैफीन होता है, लंबे समय तक कैफीन के सेवन से होनेवाले प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए दुनिया भर के बहुत सारे स्कूलों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है।[११५] अध्ययन में कैफीन मिश्रित कोला से बच्चों में अतिसक्रियता पायी गयी।[११६]

गर्भावस्था के दौरान कैफीन का सेवन

एक 2008 में हुए अध्ययन से पता चला कि जो गर्भवती महिलाएं प्रतिदिन 200 मिलीग्राम या उससे अधिक कैफीन का सेवन करती हैं उनमें, सेवन नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में, गर्भपात का खतरा दोगुना होता है। हालांकि, 2008 के एक अन्य अध्ययन में गर्भपात और कैफीन के सेवन के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।[११७] ब्रिटेन की फूड स्टेंडर्ड्स एजेंसी ने सिफारिश की है कि गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 200 मिलीलीटर से कम कैफीन - दो कप इंस्टैंट कॉफी या आधा से दो कप ताजे कॉफी के बराबर - लेना चाहिए। [११८][११९] एफएसए (FSA) ने कहा कि अध्ययन की रूपरेखा ने यह निश्चित करना असंभव बना दिया कि यह अंतर खुद कैफीन के कारण है, या इसके अलावा अन्य जीवन शैली के अंतर संभवतः कैफीन के अत्यधिक उपभोग के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन चौकस रहने की सलाह देने का निर्णय किया गया।

कैसर परमानेंट डिवीजन ऑफ रिसर्च के डॉ॰ डे-कुन ली ने अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स और गाइनोकॉलॉजी में एक आलेख में लिखा है कि प्रतिदिन 200 मिलीलीटर या उससे अधिक लेना, दो या दो से अधिक कप लेने जितना है, "इससे गर्भपात का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है".[१२०] हालांकि, न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसीन के डॉ॰ डेविड ए सैविटिज एक समुदाय और गर्भनिरोधक दवा के प्रोफेसर और एपिडेमोलॉजी के जनवरी अंक में इस विषय पर प्रकाशित एक अन्य नए अध्ययन के प्रमुख लेखक ने गर्भपात और कैफीन सेवन के बीच कोई संबंध नहीं पाया है।[११७]

आनुवंशिकी और कैफीन चयापचय

युनिवर्सिटी ऑफ टोरेंटो में 2006 में डॉ॰ अहमद अल सोहेमी द्वारा किए गए एक अध्ययन ने जीन प्रभावित कैफीन चयापचय और सेहत पर कॉफी के प्रभाव की खोज की। [१२१] कुछ लोग एक विशिष्ट प्रकार के साइटोक्रोम पी450 (P450) जीन के रूपांतरण के कारण सामान्य लोगों की तुलना में कैफीन को बहुत ही धीमी गति से पचाते हैं[१२२] और जिन लोगों में यह जीन होता है उनके अधिक मात्रा में कॉफी पीने से हृदयपेशीय रोधगलन (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) का खतरा हो सकता है। हालांकि लगता है कि कॉफी में द्रुत चयापचय करने वाले निरोधी प्रभाव होते हैं। तुलनात्मक रूप से सामान्य लोगों में धीमी और तेज चयापचय आम हैं और इसके लिए सेहत पर कैफीन के प्रभाव पर होनेवाले अध्ययनों की भिन्नता को जिम्मेवार ठहराया गया है।

अंतःचाक्षुश (इंट्राऑक्यूलर) दबाव और कैफीन

हाल के डेटा के अनुसार कैफीन के सेवन से अंतःचाक्षुश दबाव में वृद्धि हो सकती है।[१२३] जिन्हें खुले कोण का ग्लुकोमा है, उनके लिए यह विशेष ध्यान देने की बात हो सकती है।[१२४]

कैफीन को अलग करने की प्रक्रिया (डिकैफीनेशन)

शुद्ध कैफीन के तंतुमय क्रिस्टल.अंधेरे क्षेत्र रोशनी खुर्दबीन छवि, छवि 7 मिमी से लगभग 11 के एक क्षेत्र शामिल हैं।

कैफीनमुक्त कॉफी और कैफीन के उत्पादन के लिए कॉफी से कैफीन का निष्कर्षण, एक महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रक्रिया है और यह काम विभिन्न तरह के विलायक (सॉल्वेंट) का उपयोग करके किया जा सकता है। बेंजीन क्लोरोफॉर्म, ट्राइक्लोरेथाइलिन (trichloroethylene) और डिक्लोरोमिथेन (dichloromethane) इन सभी का सालों से प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव, लागत और स्वाद के कारणों से इनका निम्नलिखित प्रमुख तरीकों द्वारा अधिक्रमण हो रहा है:

जल निकासी

कॉफी बीन्स को जल में भिगोया जाता है। जिस जल में कैफीन के अलावा अन्य बहुत तरह के यौगिक होते हैं जो कॉफी के स्वाद को बढ़ाते हैं, उस जल को सक्रिय चारकोल से पारित कराया जाता है, जिससे कैफीन अलग हो जाता है। इसके बाद बगैर कैफीन के कॉफी को इसके मूल स्वाद के साथ निकाल कर उस जल से बीन्स को अलग करके वाष्पायित कर सुखाया जा सकता है।[१२५] कॉफी निर्माता कैफीन को अलग निकाल लेते हैं और शीतल पेय में इसका इस्तेमाल करने के लिए और बगैर नुस्खा के कैफीन की गोलियों के रूप में फिर से बेच देते हैं।

अत्यंत सूक्ष्म कार्बन डाइऑक्साइड निष्कर्षण

सूक्ष्म कार्बन डाइऑक्साइड कैफीन के लिए उत्कृष्ट गैर-आयोनिक विलायक है और जैविक विलायक, जिसका उपयोग विकल्प के तौर पर किया जाता है, की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित है। निष्कर्षण की प्रक्रिया सरल है: 31.1 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर हरे कॉफी बीन्स पर CO2 डाला जाता है और 73 एटीएम (atm) का दबाव डाला जाता है। ऐसी स्थिति में, CO2 की अवस्था अत्यंत सूक्ष्मतर हो जाती है: इसमें गैस जैसी विशेषता होती है जो इसे बीन्स में बहुत गहराई तक जाने देता है, लेकिन इसमें तरल की भी विशेषता होती है जो 97-99% कैफीन को घुला लेता है। फिर CO2 वाले कैफीन में से कैफीन निकालने के लिए उच्च दबाव के साथ पानी का छिड़काव किया जाता है। तब कैफीन चारकोल में अधिशोषण (adsorption) द्वारा (जैसे कि ऊपर) या आसवन (distillation) या पुन:क्रिस्टिलीकरण (recrystallization) या विपरीत परासरण (osmosis) द्वारा अलग किया जा सकता है।[१२५]

कार्बनिक विलायक द्वारा निष्कर्षण

पहले इस्तेमाल होने वाले क्लोरीनेटेड व एरोमेटिक विलायकों की तुलना में एथिल एसीटेट जैसे कार्बनिक विलायक कम स्वास्थ्य व पर्यावरणीय जोखिम उपस्थित करते हैं। प्रयुक्त कॉफी बागान से प्राप्त ट्राइग्लिसराइड तेल का इस्तेमाल एक अन्य पद्धति है।

धर्म

कुछ पूर्ववर्ती संत (मोरमन्स), सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट, चर्च ऑफ गॉड (रेस्टोरेशन) अनुयायी और ईसाई वैज्ञानिक[१२६] कैफीन का उपभोग नहीं करते. इन धर्मों के कुछ अनुयायियों का मानना है कि एक गैर-औषधीय, मनोस्फूर्तिदायक पदार्थ का उपभोग नहीं करना चाहिए या उनका विश्वास है कि किसी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।

द चर्च ऑफ़ जीसस क्राइस्ट ऑफ़ लेटर-डे सैंट्स ने कैफीनयुक्त पेय के सेवन के बारे में निम्नलिखित बातें कही है: "कोला पेयों के सन्दर्भ में चर्च ने कभी भी आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है, लेकिन चर्च के नेताओं की सलाह है और हम अब विशेष रूप से ऐसे किसी भी पेयों के खिलाफ सलाह देते हैं जिनमें हानिकारक दवाएं शामिल होती है, जिससे परिस्थितिवश आदत लग सकती है। जिस किसी पेय पदार्थ में शरीर के लिए हानिकारक सामग्री होती है, उससे बचा जाना चाहिए."[१२७]

गौड़ीय वैष्णव या चैतन्य वैष्णव भी आम तौर पर कैफीन से दूर रहते हैं, क्योंकि उनका कहना है कि यह मन को दूषित करता है और यह इंद्रियों को अत्यधिक-उत्तेजित करता है। एक गुरु के मातहत आने से पहले किसी व्यक्ति को कम से कम एक साल के लिए कैफीन (शराब, निकोटिन और ड्रग्स सहित) से दूर रहना जरुरी है।

इस्लाम में कैफीन के संबंध में मुख्य नियम यह है कि इसके सेवन की अनुमति है, लेकिन यह ध्यान देने योग्य बात है कि इसका अतियोग्य वर्जित है और यह किसी की सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। जहां तक कॉफी में कैफीन का सवाल है, इमाम शिहाब अल-दीन ने कहा: 'इसका सेवन हलाल (वैध) है, क्योंकि सभी चीजें हलाल (वैध) है केवल उन्हें छोड़कर जिसे अल्लाह ने हराम (अवैध) बनाया है'.[१२८]

इन्हें भी देखें

  • कॉफी स्थानापन्न

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite journal
  3. साँचा:cite journal
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite journal
  6. साँचा:cite news
  7. साँचा:cite journal(समीक्षा लेख)
  8. साँचा:cite journal(प्लेसीबो द्वारा नियंत्रित यादृच्छिक नैदानिक परीक्षण)
  9. साँचा:cite journal
  10. साँचा:cite journal
  11. साँचा:cite journal
  12. साँचा:cite web
  13. साँचा:cite web आम तौर पर अंग्रेजी में लिखा लेख में मेटआइन के रूप में अनुवाद
  14. साँचा:cite web
  15. साँचा:cite web
  16. साँचा:cite web
  17. साँचा:cite web
  18. साँचा:cite web
  19. साँचा:cite web
  20. साँचा:cite web
  21. साँचा:cite web
  22. साँचा:cite journal
  23. साँचा:cite journal
  24. साँचा:cite web
  25. साँचा:cite web
  26. साँचा:cite journal
  27. साँचा:cite book
  28. फंक जीडी.(2009). लूजिंग स्लीप ओवर द कैफिनेशन ऑफ़ प्रीमचियोरिटी. जे फिजीऑल. 587(पिटी 22):5299-300. doi:10.1113/jphysiol.2009.182303पिएम्आइडी (PMID) 19915211
  29. साँचा:cite book
  30. साँचा:cite book का अनुवाद साँचा:cite book
  31. साँचा:cite book
  32. साँचा:cite book
  33. साँचा:cite book
  34. साँचा:cite book
  35. साँचा:cite encyclopedia
  36. साँचा:cite journal
  37. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  38. साँचा:cite book
  39. फ्रेडीलिएब फर्डीनेंड रंजे, Neueste phytochemische Entdeckungen zur Begründung einer wissenschaftlichen Phytochemie [एक वैज्ञानिक पोलिटोकेमिस्ट्री की स्थापना के लिए नवीनतम फायटोकेमिकल खोज] (बर्लिन, जर्मनी: जी. राइमर, 1820). अध्याय 6 में 144-159 पृष्ठ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, रंजे ने अपने (आंशिक) कैफीन के अलगाव का विवरण दिया है, जिसे वे कहते हैं "कैफ्फेबेस" (अर्थात, एक बेस (एल्कालाइन पदार्थ) जो कॉफी में मौजूद है).
  40. 1821 में, फ्रांसीसी रसायनज्ञ पिएरे जीन रोबिक्वेट तथा एक जोडी फ्रांसीसी रसायनज्ञों पिएरे-जोसेफ पेलेटियर व जोसेफ बिएनैम कवेन्तू द्वारा कैफीन का अलगाव किया गया, स्वीडिश रसायनज्ञ जोन्स जैकोब बर्जेलियस की अपनी वार्षिक पत्रिका Jahres-Bericht über die Fortschritte der physischen Wissenschaften von Jacob Berzelius [जैकोब बर्जेलियास द्वारा शारीरिक विज्ञान की प्रगति पर वार्षिक रिपोर्ट] के अनुसार (डॉ॰ एफ. वोहलर, अनु.), खंड. 4, पृष्ठ 180, 1825. इसके अलावा, बर्जेलियस ने कहा कि फ्रांसीसी रसायनज्ञों ने रंजे के कार्यों या एक-दूसरे के कार्यों की जानकारी के बिना ही स्वतंत्र रूप से अपनी खोजों को अंजाम दिया. बर्जेलियस ने पृष्ठ 180 में कहा: "Cafein is eine Materie im Kaffee, die zu gleicher Zeit, 1821, von Robiquet und [von] Pelletier und Caventou entdekt wurde, von denen aber keine etwas darüber im Drucke bekannt machte." (कॉफी का एक सार है कैफीन, जो एक साथ, 1821 में, रोबिक्वेट और पेलेटियर तथा कैवेन्तू द्वारा खोजा गया, किसीके द्वारा हालांकि मुद्रण में इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया।)

    कैफीन पर पेलेटियर के लेख - "कैफीन", के पृष्ठ 35-36 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। के Dictionnaire de Médecine (डिक्शनेयर डी मेडिसिने) (पेरिस, फ्रांस: Béchet Jeune, अप्रैल 1822), खंड- 4 - में पेलेटियर ने खुद बर्जेलियस के वृतांत की पुष्टि की है: "Cafeine, s. f. Principe cristallisable décovert dans le café en 1821 par M. Robiquet. A la mème époque, cherchant la quinine dans le café, parce que le café, considéré par plusieurs médecins come fébrifuge, est d'ailleurs de la mème famille que le quinquina, MM. Pelletier et Caventou obtenaient de leur côté la cafeine; mais leur recherches n'ayant qu'un but indirect, et n'ayant pas été terminées, laissent à M. Robiquet la priorité sur cet objet. Nous ignorons pourquoi M. Robiquet n'a pas publié l'analyse du café qu'il a lue à la société de pharmacie. Sa publication nous aurait permis de mieux faire connaître la cafeine, et de donner des idées exactes sur la composition du café...." (कैफीन, संज्ञा (स्त्रीलिंग). क्रिस्टलयोग्य सार कॉफी में 1821 में श्रीमान रोबिक्वेट द्वारा खोजा गया। इसी अवधि के दौरान - जबकि वे कॉफी में कुनैन की खोज कर रहे थे क्योंकि कई डॉक्टरों द्वारा कॉफी को एक दवा माना जाता है जिससे कि बुखार कम हो जाती है और क्योंकि कॉफी सिनकोना [कुनैन] पेड़ की तरह एक ही परिवार का है - उन्होंने अपनी ओर से, श्रीमान पेलेटियर और कैवेन्तू ने कैफीन निकाला; लेकिन चूंकि उनके शोध का लक्ष्य भिन्न था और क्योंकि उनका शोध पूरा नहीं हुआ था, इसलिए उन्होंने इसकी प्राथमिकता को श्रीमान रोबिक्वेट पर छोड़ दी. हम इस बात की उपेक्षा करेंगे कि श्रीमान रोबिक्वेट ने आखिर क्यों कॉफी पर अपने विश्लेषण को प्रकाशित नहीं किया, जिसे उन्होंने फार्मेसी सोसाइटी में पढ़ा था। इसके प्रकाशन से हमें कैफीन की बेहतर जानकारी प्राप्त होती और हमें कॉफी के संयोजन के बारे में सटीक विचार मिलते ....)

    डिक्शनारे टेक्नोलॉजिक्यू, ओयू नोव्यू डिक्शनारे युनिवर्सेल डेस आर्ट्स एट मेटियेर्स (Dictionnaire Technologique, ou Nouveau Dictionnaire Universel des Arts et Métiers) के पृष्ठ 50-61 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, में कॉफी पर रोबिक्वेट के लेख "कैफे," में (पेरिस, फ्रांस: थोमाइन एट फोर्टिक, 1823) (Thomine et Fortic, 1823), भाग 4 -- में 54-56 पृष्ठों पर रोबिक्यूट ने कॉफी पर अपने शोध का विवरण दिया है, जिसमें उन्होंने कैफीन निकाले जाने और इसके गुणों के बारे में विस्तृत जानकरी दी है।

    कैफीन पर पेलेटियर का मौलिक विश्लेषण डुमास एंड पेलेटिटर (1823) के एक आलेख के 182-183 पृष्ठों स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। पर दिखाई दिया "Recherches sur la composition élémentaire et sur quelques propriéte's caractéristiques des bases salifiables organiques" (Researchs into the elemental composition and some characteristic properties of organic bases), Annales de Chimie et de Physique, vol. 24, pages 163-191.

    बाद में बरजेलियस ने कैफीन के निस्काषन में रंजे की प्राथमिकता को स्वीकार किया: Jahres-Bericht über die Fortschritte der physischen Wissenschaften von Jacob Berzelius भाग 7, पृष्ठ 270 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, 1828. बरजेलियस ने कहा: "Es darf indessen hierbei nicht unerwähnt bleiben, dass Runge (in seinen phytochemischen Entdeckungen 1820, p.146-7.) dieselben Methode angegeben, und das Caffein unter dem Namen Caffeebase ein Jahr eher beschrieben hat, als Robiquet, dem die Entdeckung dieser Substanz gewöhnlich zugeschrieben wird, in einer Zussamenkunft der Societé de Pharmacie in Paris die erste mündliche Mittheilung darüber gab." (बहरहाल, इस बिंदु पर, यह अवर्णित नहीं रहना चाहिए कि रंजे (अपने फाइटोकैमिकल डिस्कवरीज, 1820, पृष्ठ 146-147 में) ने रोबिक्यूट, जिन्हें इस पदार्थ की खोज का श्रेय दिया जाता है, की तुलना में एक साल पहले उसी विधि का जिक्र किया और कैफीन का वर्णन Caffeebase नाम से किया है, पेरिस में फार्मेसी सोसायटी की बैठक में पहली बार मौखिक रूप से इसकी घोषणा की.)
  41. साँचा:cite book
  42. Oudry (1827 मार्च) Nouvelle Bibliothèque médicale, Vol. 1, पृष्ठ 477ff. इन्हें भी देखें: ओउद्री (1827) "Theïn, eine organische Salzbase im Thee" (थेन, चाय के बेस में कार्बनिक), गेइगर की Magazin für Pharmacie, खंड. 19, पेज 49-50.
  43. गेरार्डस जोहानिस मल्दर (1838) "Über Kaffein und Thein" (कैफीन और थेइने पर), Journal für practische Chemie, खंड. 15, पेज 280ff.
  44. कार्ल जोब्स्ट (1838) "Thein identisch Kaffein एमआईटी" (थैने कैफीन करने के लिए समान है), लीगबिग का Annalen der Chemie und Pharmacie, खंड. 25, पेज 63-66.
  45. साँचा:cite web
  46. साँचा:cite web
  47. साँचा:cite book
  48. साँचा:cite web
  49. साँचा:cite journal
  50. साँचा:cite journal
  51. साँचा:cite journal
  52. साँचा:cite journal
  53. साँचा:cite journal
  54. साँचा:cite journal
  55. साँचा:cite journal
  56. साँचा:cite journal
  57. साँचा:cite book
  58. ड्रग इंटरेक्शन: कैफीन मौखिक और फ्लुक्सोमाइन मौखिक मेडस्कैप मल्टी ड्रग इंटरेक्शन परीक्षक
  59. साँचा:cite web
  60. साँचा:cite journal
  61. साँचा:cite journal
  62. साँचा:cite journal
  63. साँचा:cite journal
  64. साँचा:cite journal
  65. साँचा:cite journal
  66. साँचा:cite journal
  67. साँचा:cite journal
  68. साँचा:cite journal
  69. साँचा:cite journal
  70. सीज़र, रॉबर्ट, जोनास वार्रिन्गेर और ऐन्डर्स ब्लोमर्ग. "शारीरिक और एन टर्मिनल एसटीट्रांसफेरासी नाटबी उपन्यास के लिए लक्ष्य की पहचान महत्व." सूक्ष्म जीव विज्ञान के लिए अमेरिकी समाज. 29 दिसम्बर 2009 Web. 12 फ़रवरी 2010. <http://ec.asm.org/cgi/content/full/5/2/368 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।>.
  71. डुआन एल, एम एम यांग जे वध. (2009). आइनोंट्रॉपिक ग्लाइसिन रिसेप्टर्स कैफीन निषेध. जे फिज़िअल. 587(16 पं.):4063-75. doi:10.1113/jphysiol.2009.174797पिएम्आईडी 19564396
  72. साँचा:cite book
  73. साँचा:cite web
  74. साँचा:cite journal
  75. साँचा:cite journal
  76. साँचा:cite journal
  77. साँचा:cite journal
  78. साँचा:cite journal
  79. साँचा:cite journal
  80. साँचा:cite journal
  81. साँचा:cite web
  82. नोएवर, आर, जे, और आर.ए रेल्वानी. 1995. मकड़ी वेब पैटर्न का उपयोग विषाक्तता का निर्धारण करने के लिए. नासा टेक ब्रिफ्स 19(4):82. में प्रकाशित न्यू साइंटिस्ट पत्रिका, अप्रैल 29, 1995 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  83. साँचा:cite web
  84. साँचा:cite journal
  85. साँचा:cite journal
  86. साँचा:cite web
  87. साँचा:cite web
  88. साँचा:cite web
  89. साँचा:cite web
  90. साँचा:cite journal
  91. साँचा:cite journal
  92. साँचा:cite journal
  93. साँचा:cite journal
  94. साँचा:cite journal
  95. साँचा:cite web
  96. साँचा:cite web
  97. साँचा:cite book
  98. साँचा:cite web
  99. साँचा:cite journal
  100. साँचा:cite journal
  101. साँचा:cite journal
  102. साँचा:cite journal
  103. साँचा:cite journal
  104. साँचा:cite journal
  105. आर. बसेल्ट, दिपोज़िशन ऑफ़ टोक्सिक ड्रग्स एंड केमिकल इन मैन, 8वीं संस्करण, बायोमेडिकल प्रकाशन, फोस्टर शहर, 2008, पीपी 214-217.
  106. साँचा:cite book
  107. साँचा:cite journal
  108. साँचा:cite journal
  109. साँचा:cite news
  110. साँचा:cite web
  111. साँचा:cite journal
  112. साँचा:cite journal
  113. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  114. साँचा:cite web
  115. साँचा:cite web
  116. साँचा:cite web
  117. साँचा:cite web
  118. साँचा:cite web
  119. साँचा:cite news
  120. साँचा:cite web
  121. साँचा:cite web
  122. साँचा:cite journal
  123. साँचा:cite journal
  124. साँचा:cite journalसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
  125. साँचा:cite web
  126. साँचा:cite web
  127. (याजकपद बुलेटिन, फ़रवरी 1972, पी. 4.) वर्ड ऑफ़ विज़डम को भी देखें
  128. साँचा:cite web

बाहरी कड़ियाँ

समाचार

साँचा:sister

स्वास्थ्य

लुआ त्रुटि mw.title.lua में पंक्ति 318 पर: bad argument #2 to 'title.new' (unrecognized namespace name 'Portal')।