ईशा की नमाज़
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ईशा की नमाज़ (इंग्लिश: Isha prayer) इस्लाम की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाओं (नमाज़ों) में पांचवीं रात में पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।[१]
क़ुरआन और हदीस में ईशा की नमाज का समय
ईशा की नमाज़ बड़ी रातों में सूर्यास्त के बाद मग़रिब की नमाज़ के लगभग डेढ़ घंटे बाद और छोटी रातों में तकरीबन डेढ़ घंटे बाद शुरू होती है।
निस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है (क़ुरआन 4:103)
अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ (क़ुरआन 20:130)
और नमाज़ क़ायम करो दिन के दोनों सिरों पर और रात के कुछ हिस्से में। निस्संदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती है। यह याद रखनेवालों के लिए एक अनुस्मरण है। (क़ुरआन 11:114)
"और इशा की नमाज़ का वक़्त आधी रात तक रहता है" इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है (हदीस संख्या : 612)
तहज्जुद के अतिरिक्त पाँचों वक़्त की नमाज़ों का समय[२]और रहनुमाई भी क़ुरआन और हदीस में मिलती है।
रकात
ईशा की नमाज अर्थात रात की की प्रार्थना में 17 रकात होती हैं।
*4 रकात सुन्नत
*4 रकात फ़र्ज़
*2 रकात सुन्नत
*2 रकात नफिल
*3 रकात वित्र
*2 रकात नफिल
सुन्नत मौकीदा : इस्लामिक शरीयत में, सुन्नत वह प्रथा है जो पैगंबर या पैगंबर के साथियों ने आम तौर पर और अक्सर की और उसके करने को मना न किया हो। इस का परित्याग का कारण पाप है और परित्याग की आदत अवज्ञा है।
नफिल: इस्लाम में पैग़म्बर मुहम्मद ने कभी कभी जो इबादत की उसे नफिल कहते हैं।
वित्र: हनफ़ी मुस्लिम ईशा में पढ़ते हैं
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web