इंजन

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चार-स्ट्रोक वाला आन्तरिक दहन इंजन आजकल अधिकांश कामों में इस्तेमाल होता है

इंजन या मोटर उस यंत्र या मशीन (या उसके भाग) को कहते हैं जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग, कार्य करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है। वर्तमान युग में अंतर्दहन इंजन तथा विद्युत मोटरों का अत्यन्त महत्व है।

विविध प्रकार के इंजन

ऊष्मा इंजन (heat engines)

बाह्य दहन इंजन

इसमें इंजन को चलाने वाला पदार्थ इंजन के बाहर अलग पात्र में तप्त किया जाता है। जैसे भाप इंजन में इंजन से अलग बायलर में पानी से भाप बनती है जो सिलिंडर में जाकर पिस्टन को चलाती है। बाह्य दहन इंजन का सर्वोत्तम उदाहरण "भाप इंजन" है।

* भाप इंजन
* भाप टर्बाइन
* स्टर्लिंग इंजन

आंतरिक दहन इंजन

इसमें ऊष्मा इंजन के भीतर ही दहन द्वारा किसी तेल या पेट्रोल या किसी गैस को जलाकर उत्पन्न करते हैं। मोटरकार, हवाई जहाज इत्यादि में आंतरिक दहन इंजन का ही उपयोग होता है। भाप इंजन की तरह इनमें ईंधन जलाने के लिए अलग बायलर नहीं होता, इसी कारण इन इंजनों को आंतरिक दहन इंजन कहते हैं।

प्रत्यागामी गति वाले इंजन
* इग्नीशन इंजन
* डीजल इंजन
* रेडियल इंजन
घूर्णी गति वाले इंजन
* वांकेल इंजन
* अर्धटर्बाइन
* टोरॉयडल मोटर

विद्युत मोटरें

  1. डीसी मोटर
  2. प्रेरण मोटर (Induction motor)
  3. तुल्यकालिक मोटर (सिन्क्रोनस मोटर)
  4. स्टेपर मोटर (Stepper motor)
  5. रिलक्टैंस मोटर (Reluctance motor)
  6. सर्वोमोटर (Servomotor)
  7. युनिवर्सल मोटर
  8. लिनियर मोटर
  9. ३-फेजी लिनियर मोटर

अन्य

पवनचक्की

इंजन की विशिष्टताएँ

इतिहास

  1. 200 ईसापूर्व - पनचक्की
  2. 107 ईसा पूर्व - पवनचक्की
  3. 1782 - भाप का इंजन (जेम्स वाट)
  4. 1788 - सेंट्रिफ्युगल स्पीड रेगुलेटर
  5. 1834 - डीसी विद्युत मोटर (हर्मन जैकोबी)
  6. 1876 - ४ स्ट्रोक पेट्रोल इंजन (निकोलस आटो)
  7. 1888 - प्रेरण मोटर - निकोला टेसला
  8. 1892 - डीजल इंजन (रुडाल्फ डीजल)
  9. 1910 - जेटयान इंजन
  10. 1960 - वांकेल इंजन (Wankel engine)