आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम
आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम (wet sulfuric acid process (WSA process)) का विकास १९८० के दशक में हुआ था। आजकल यह गैसों के विगन्धकीकरण (desulfurization) की मुख्य प्रक्रम बन गया है। इसके साथ ही वाणिज्यिक क्वालिटी का गन्धकाम्ल साँचा:chem प्राप्त होता है और उच्च दाब की भाप भी प्राप्त होती है।
सबसे पहले सल्फर को जलाकर सल्फर डाइऑक्साइड बनाते हैं-
- S(s) + साँचा:chem(g) → साँचा:chem(g)
या, हाइड्रोजन सल्फाइड (साँचा:chem) के भस्मीकरण द्वारा साँचा:chem गैस बनाते हैं:
- 2 साँचा:chem + 3 साँचा:chem → 2 साँचा:chem + 2 साँचा:chem (−518 kJ/mol)
इसको आक्सीकृत करके सल्फर ट्राईऑक्साइड बनाया जाता है। इसके लिये वेनेडियम ऑक्साइड को उत्प्रेरक की तरह काम लिया जाता है।
- 2 साँचा:chem + साँचा:chem → 2 साँचा:chem (−99 kJ/mol) (यह क्रिया उत्क्रमणीय (reversible) है।)
सल्फर ट्राईऑक्साइड को जलयोजित करके गंधकाम्ल बनाया जाता है।
- साँचा:chem + साँचा:chem → साँचा:chem(g) (−101 kJ/mol)
और अन्त में, गैस रूप वाले इस गन्धकाम्ल को द्रवित करके 97–98% सान्द्रता का साँचा:chem बना लेते हैं:
- साँचा:chem(g) → साँचा:chem(l) (−69 kJ/mol)
व्यापारिक गन्धकाम्ल शुद्ध नहीं होता। आंशिक शोधित अम्ल के प्रभाजित क्रिस्टलन से शुद्ध अम्ल प्राप्त होता है।