अर्चना शर्मा

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डॉ॰ अर्चना शर्मा जिनेवा में दुनिया की सबसे बड़ी भूमिगत प्रयोगशाला सर्न में स्टाफ फिजिसिस्ट के रूप में कार्यरत हैं।

डॉ॰ अर्चना शर्मा के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न, जहाँ वह काम करती हैं, उसे विज्ञान का तीर्थ कहा जाता है। अपनी शोध परियोजना में कहा कि बड़े पार्टिकिल कोलाइडर एलएचसी की सुरंगनुमा ट्यूब में लगभग प्रकाश के वेग से चक्कर काट रहे प्रोटॉनों की आपस में टक्कर करवा दी गई। सर्न में मौजूद दुनिया के सबसे बड़े प्रयोग की सफलता से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठ सकता है।

अर्चना शर्मा को भारत सरकार द्वारा सन १९८४ में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल राज्य से हैं।

पूर्व जीवन

अर्चना का जन्म झांसी के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके माता पिता अध्यापक थे। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक एवं स्नातोकत्तर की शिक्षा पूर्ण की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से नाभिकीय भौतिकी के क्षेत्र में पीएचडी की।[१][२]

भारत से जुड़ाव

डॉ॰ शर्मा भारतीय छात्रों से भी जुड़ी रहती हैं एवं युवाओं को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान सर्न स्थित भारतीय छात्र-छात्राओं को भोजन पर अपने घर पर आमन्त्रित करती हैं।[१]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ