२०११ क्रिकेट विश्व कप फाइनल

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२०११ क्रिकेट विश्व कप फाइनल
चित्र:2011 World Cup Champions.jpg
टूर्नामेंट २०११ क्रिकेट विश्व कप
श्रीलंका भारत
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२७४/४ २७७/४
५० ओवर ४८.२ ओवर
तिथि ०२ अप्रैल २०११
स्थान वानखेड़े स्टेडियम
मैच का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी (भारत)
अंपायर साइमन टौफ़ल और अलीम डार[१]
उपस्थिति ४२,०००
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अंगूठाकार २०११ क्रिकेट विश्व कप का फाइनल मैच भारतीय क्रिकेट टीम और श्रीलंका क्रिकेट टीम के बीच ०२ अप्रैल २०११ को मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था जिसमें भारत ने श्रीलंका को ४८.२ ओवरों में ४ विकेट खोकर मैच हराया था। यह १०वां क्रिकेट विश्व कप तथा यह भारत का दूसरा मौका था जब भारत फाइनल जीता हो इससे पूर्व १९८३ क्रिकेट विश्व कप में विजेता बना था।

इस फाइनल मैच में श्रीलंका क्रिकेट टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए ६ विकेट पर २७४ रन बनाए थे जवाब में भारत ने ४ विकेट गंवाकर २७७ रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया था। फाइनल मैच में महेंद्र सिंह धोनी को मैन ऑफ़ द मैच घोषित किया था।[२][३][३][४][५][६]

फाॅइनल तक का सफर

ग्रुप दौर

श्रीलंका

श्रीलंकाई टीम ने अपने विश्व कप के अभियान की शुरूआत टूर्नामेंट के तीसरे मुकाबले से की, जहां 20 फरवरी को हमंबतोता में कनाडा के खिलाफ उसने 210 रन की विशाल जीत हासिल की[७]। जबकि अगले मुकाबले में उसे एक नज़दीकी मैच में पाकिस्तान के खिलाफ 11 रन से शिकस्त झेलनी पड़ी। ग्रुप दौर के मुकाबलों में उसे जहां छहः मुकाबलों में से चार जीत हासिल हुई वही एक में हार और एक मैच वर्षा के कारण आस्ट्रेलिया के साथ एक अंक बाटना पड़ा।

भारत

वहीं दूसरी ओर भारत का विश्व कप अभियान की सूरत भी कुछ श्रीलंका के जैसी ही रही। जहां उसने टूर्नामेंन्ट के पहले मुकाबले में मेजबान बांग्लादेश को 87 रन से हराया। भारत को जहां बंगलौर के एमचिन्नस्वामी स्टेडियम[८] मे 27, फरवरी 2011[९] को एक हाई स्कोरिंग मैच में इंग्लैंड के साथ टाॅई खेलना पड़ा वहीं दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के हाथों 3 विकेट से शिकस्त मिली। ग्रुप दौर के मैचों में उसे 6 मैचों में से चार में जीत और एक में टाई खेलकर अपने ग्रुप में श्रीलंका की तरह ही दूसरे पायदान में रही।

क्वार्टर फॉइनल

दूसरा क्वार्टर फॉइनल[१०]

गुजरात केअहमदाबाद शहर में मोटेरा स्टेडियम[११] में 24 मार्च को दूसरे क्वाटर फाॅइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया को युवराज सिंह के ऑलराऊंड प्रदर्शन की बदौलत 5 विकेट से हरा कर सेमीफाॅइनल में प्रवेश किया। आस्ट्रेलियाई टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया और कप्तान रिकी पोंटिग के शानदार शतक और बैड हैडिन के अर्ध शतक की बदौलत 6 विकेट के नुकसान पर निर्धारित 50 ओवर में 260 रन बनाए।

जवाब में भारतीय टीम ने सचिन तेदुंलकर, गौतम गंभीर और युवराज सिंह के अर्धशतकों की बदौलत भारत नें 47.4 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर लक्ष्य हासिल कर लिया। भारत की ओर से युवराज सिंह, जहीर खान, रविचंद्रन अश्विन ने दो-दो विकेट झटके वहीं आस्ट़्रेलियाई टीम की ओर से वाटसन, डेविड हसी, शॉन टेट और ली ने एक-एक विकेट झटके।

चौथा क्वार्टर फॉइनल

क्वाटर फाॅइनल में जहाॅं उसने इंग्लैंड को दस विकेट के बड़े अंतर से हराया।

सेमीफॉइनल

पहला सेमीफॉइनल[१२]

श्रीलंका और न्यूजीलैंड के बीच टूर्नामेंट का पहला सेमीे-फाॅइनल 29 मार्च को खेला गया जिसमे श्रीलंका ने न्यूजीलैंड को पाँच विकेट से हराया।

न्यूजीलैंड के कप्तान ब्रैंडम मैकुल्लम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया लेकिन नियमित अंतराल मेंं विकेट गंवाते रहने से टीम पूरे 50 ओवर भी नहीं खेल पायी और 48.5 ओवर में 217 पर सिमट गई। श्रीलंका की ओर से लसिथ मलिंगा और अजंता मेंडिस ने तीन-तीन विकट झटके वहीं मुथैया मुरलीधरन ने 2 विकेट झटके।

जबाव में श्रीलंकाई टीम ने दिलशान और सगांकारा के अर्धशतकों की बदौलत 47.5 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 220 रन बनाकर मैच जीत लिया और फॉइनल में प्रवेश किया। न्यूजीलैंड की तरफ से टिम साउदी तीन विकेट झटक कर सबसे सफल गेंदबाज़ रहे। संगाकारा को उनके योगदान के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया।

दूसरा सेमीफॉइनल[१३]

टूर्नामेंट के दूसरे सेमीफॉइनल मुकाबले में 30 मार्च को मोहाली में खेले गए मैच में भारत ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 29 रन से हराया।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने सचिन के 85 रनों के दम पर नौ विकेट के नुकसान पर निर्धारित 50 ओवर में 260 बनाए। पाकिस्तान की ओर से वहाब रियाज़ ने शानदार गेदबाज़ी करते हुए 5 विकेट झटके।

जबाव में पाकिस्तान टीम नियमित अंतराल में अपने विकेट गवांती गई और 49.5 ओवर में 231 रनों पर ढेर हो गई। भारत की ओर सभी गेदबाज़ो ने शानदार सधी हुई गेदबाज़ी की और सभी ने दो-दो विकेट झटके। सचिन को उनकी 85 रन की महत्वपूर्ण पारी के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाज़ा गया।

फाॅइनल[१४]

टॉस

अंगूठाकार|टॉस

विश्वकप के इतिहास में पहली दोनो सह-मेजबान देश फॉइनल में पहुंचे । दर्शकों के शोर ज्यादा होने के कारण पहली बार किसी विश्व कप फाॅइनल मैंच में टाॅस को दुबारा उछाला गया। श्रीलंकाई कुमार सगांकारा ने टाॅस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया।




पाठ=महेला जयवर्धने ने टीम को मुश्किल स्थिति से निकाला और शानदार शतक लगाकर एक 274 के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक ले गए।|अंगूठाकार|महेला जयवर्धने

पहली पारी

विश्व कप से पहले ही सन्यास घोषणा कर चुके मुथैया मुरलीधरन को श्रीलंकाई टीम उनके आखिरी मैच में जीत के साथ विदाई देने के हिसाब से मैच में उतरी। उपल थंरगा और तिलरत्ने दिलशान ने पारी की शुरूआत की। लेकिन जहीर खान की कसी हुई गेंदबाजी ने दोनो बल्लेबाजो को खुलकर रन नहीं बनाने दिए। और जल्द ही पारी के सातवें ओवर मेें जहीर खान ने थरंगा को सहवाग के हाथों कैच आऊट करवा कर टीम को पहली सफलता दिलाई। तीसरे नंबर पर आये कुमार सगांकारा ने दिलशान के साथ मिल कर पारी को आगे बढ़ाया और टीम का स्कोर ५॰ के पार पहुंचाया। साठ के स्कोर पर तिलरत्ने दिलशान हरभजन सिंह की एक गेंद को समझ नहीं पाए और बोल्ड हो गए। चैथे नंबर पर आये कप्तान महेला जयवर्धने ने सगांकारा के साथ मिल कर तीसरे विकेट के लिए ५४ रन की साझेदारी की। खतरनाक होती हुई लग रही इस साझेदारी को युवराज सिंह ने धोनी के हाथों संगाकारा को ४८ के निजी योग पर स्टंप करवा तोड़ा। पांचवे नंबर पर आये समनवीरा ने भी पारी को धीरे धीरे आगे बढ़ाया और टीम को ढे़ढ सौ के पार पहुंचा दिया और इसी बीच जयवर्धने ने अपना अर्धशतक भी पूरा किया। 39वें ओवर में समनवीरा को युवराज सिंह ने 21 के स्कोर पर पगबाधा किया। जल्द ही कपुगेदरा को 1 पर आऊट करके श्रीलंकाई पारी को खतरे में डाल दिया। यहां से कुलाशेखरा ने कप्तान का बढ़िया साथ निभाया और टीम के स्कोर को ढाई सौ के करीब ले गए। आठवें नबंर पर थिसारा परेरा ने अंत में तेजी से बल्लेबाजी की वहीं जयवर्धने ने शानदार शतक लगाया। निर्धारित ५॰ की समाप्ति पर श्रीलंका ने छह विकेट पर २७४ का स्कोर खड़ा किया। भारत की तरफ से जहीर खान और युवराज सिंह दोनो ने दो-दो विकेट झटके।

दूसरी पारी

२७५ रनों का पीछा करने ऊतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही, जब पारी की दूसरी ही गेंद पर विस्फोटक बल्लेबाज विरेन्द्र सहवाग लंसिथ मलिंगा की गेंद पर एलबीडब्लयू आऊट दे दिये गए। अभी पहले झटके से ठीक तरीके ऊभरी नहीं थी कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी १४ गेंदों पर १८ रन बनाकर लसिथ मलिंगा की गेंद पर विकेट के पीछे संगाकारा को कैच दे बैठे। ३१ पर दो विकेट गिर जाने के बाद चार नंबर पर भेजे गए विराट कोहली और गौतम गंभीर ने पारी को संभाला और तीसरे विकेट के लिए ८४ रनों की बेहद अहम साझेदारी की। पारी के १९ ओवर में गौतम गंभीर ने अपना अर्धशतक पूरा किया। इस साझेदारी को २२वें ओवर में दिलशान ने अपनी ही गेंद पर विराट कोहली को कैच आऊट करके तोड़ा। नंबर चार प्रोमोट किए गए कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने गौतम गंभीर के साथ मिल कर पारी को आगे बढ़ाया। दोनो खिलाङियों के बीच चैथे विकेट के लिए १॰९ रन की बेहद अहम साझेदारी की। फाइॅनल में पहले भारतीय शतक बनाने करीब पहुंचे गौतम गंभीर परेरा की गए गेंद को समझ नहीं सके और ९७ के स्कोर पर आऊट हो गए। नंबर छह पर आये युवराज सिंह ने कप्तान धोनी का बखूबी साथ दिया और भातीय टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचा दिया।  कुलाशेखरा की गेंद पर एतिहासिक छक्का लगाकर धोनी ने भारत को छह विकेट से जीत दिला दी। युवराज सिंह जहां २१ पर नाबाद रहे वही धोनी ९१ पर नाबाद लौटे। महेंद्र सिंह धोनी को उनके बेहतरीन ९१ के लिए मैन आॅफ द मैच का पुरस्कार दिया गया वहीं पूरे टूर्नामैंट में अपने हरफनमौला खेल के कारण युवराज सिंह को मैन आॅफ द टूर्नामैंट के खिताब से नावाज़ा गया। इसी के साथ महेंद्र सिंह धोनी टी२॰ और वनडे विश्वकप जीतने वाले विश्व के पहले कप्तान बन गए।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite news
  4. साँचा:cite web
  5. साँचा:cite news
  6. साँचा:citation
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