२००५ राम जन्मभूमि हमला
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5 जुलाई 2005 को इस्लामिक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादियों ने अस्थायी राम मंदिर पर हमला किया. सभी पांच को मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा गोली मार दी गयी, जबकि एक नागरिक की आतंकियों द्वारा ग्रेनेड हमले में मृत्यु हो गई। सीआरपीएफ के तीन सिपाही हताहत हुए, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हुए। [१][२]
बाद
भारत के अधिकांश राजनीतिक संगठनों ने हमले के बर्बर स्वरुप की निंदा की और लोगों से अनुरोध किया की कानून और व्यवस्था बनाए रखें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उसके सहयोगी संगठनों विश्व हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारत में व्यापक विरोध और प्रर्दशन की घोषणा की 8 जुलाई, 2005 के लिए. भाजपा अध्यक्ष एल. के. आडवाणी ने आतंकवादी गतिविधियों रोकथाम के अधिनियम को हमले के मद्देनजर पुनः बहाली की बात कही.[३]