२जी स्पेक्ट्रम मामला
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२जी स्पेक्ट्रम मामला भारत का एक कथित घोटाला था जो सन् २०११ के आरम्भ में प्रकाश में आया था। दिसम्बर 2017 में CBI कोर्ट ने इस मुकद्दमे के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा की ये ग़लत मुकद्दमा किया गया था। वास्तव में ये घोटाला हुआ ही नहीं था।
परिचय
केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों जिनको त्याग करना पड़ा उनमे सर्व श्री सुरेश कलमाड़ीजी जो कि कामनवेल्थ खेल में ७०,००० हजार करोड़ का खेल किये। दुसरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हद जिनको कारगिल शहीदों के लिए बने आवास में ही उलटफेर किया। तीसरे ए राजा।
किसी भी विभाग या संगठन में कार्य का एक विशेष ढांचा निर्धारित होता है, टेलीकाम मंत्रालय इसका अपवाद हो गया है। विभाग ने सीएजी कि रिपोर्ट के अनुसार नियमो कि अनदेखी के साथ साथ अनेक उलटफेर किये। २००३ में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार वित्त मंत्रालय को स्पेक्ट्रम के आबंटन और मूल्य निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए। टेलीकाम मंत्रालय ने मंत्रिमंडल के इस फैसले को नजरंदाज तो किया ही आईटी, वाणिज्य मंत्रालयों सहित योजना आयोग के परामर्शो को कूड़ेदान में डाल दिया। प्रधानमंत्री के सुझावों को हवा कर दिया गया। यह मामला २००८ से चलता चला आ रहा है, जब ९ टेलीकाम कंपनियों ने पूरे भारत में आप्रेसन के लिए १६५८ करोड़ रूपये पर २जी मोबाईल सेवाओं के एयरवेज और लाईसेंस जारी किये थे। लगभग १२२ सर्कलों के लिए लाईसेंस जारी किये गए इतने सस्ते एयरवेज पर जिससे अरबों डालर का नुकसान देश को उठाना पड़ा। स्वान टेलीकाम ने १३ सर्कलों के लाईसेंस आवश्यक स्पेक्ट्रम ३४० मिलियन डालर में ख़रीदे किन्तु ४५ % स्टेक ९०० मिलियन डालर में अरब कि एक कंपनी अतिस्लास को बेच दिया। एक और आवेदक यूनिटेक लाईसेंस फीस ३६५ मिलियन डालर दिए और ६०% स्टेक पर १.३६ बिलियन डालर पर नार्वे कि एक कम्पनी तेल्नेतर को बेच दिया।
इतना ही नहीं सीएजी ने पाया कि स्पेक्ट्रम आबंटन में ७०% से भी अधिक कंपनिया हैं जो ना तो पात्रता कि कसौटी पर खरी उतरती है ना ही टेलीकाम मंत्रालय के नियम व शर्ते पूरी करती है। रिपोर्ट के अनुसार यूनिटेक अर्थात युनिनार, स्वान याने अतिस्लत अलएंज जो बाद में अतिस्लत के साथ विलय कर लिया। इन सभी को लाईसेंस प्रदान करने के १२ महीने के अन्दर सभी महानगरो, नगरों और जिला केन्द्रों पर अपनी सेवाएँ शुरू कर देनी थी। जो इन्होंने नहीं किया, इस कारण ६७९ करोड़ के नुकसान को टेलीकाम विभाग ने वसूला ही नहीं।
इस पूरे सौदेबाजी में देश के खजाने को १७६,००० हजार करोड़ कि हानि हुई। जब २००१ से अब तक २जी स्पेक्ट्रम कि कीमतों में २० गुना से भी अधिक कि बढ़ोत्तरी हुई है तो आखिर किस आधार पर इसे २००१ कि कीमतों पर नीलामी कि गई? देश के ईमानदार अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते रहे कि हमारे कमुनिकेसन मंत्री राजा ने किसी भी नियम का अतिक्रमण नही किया और भ्रष्ट मंत्री के दोष छिपाते रहे क्यों ?
बाहरी कड़ियाँ
- स्पेक्ट्रम घोटाले की आंच अब सीधे प्रधानमन्त्री तक
- २जी स्पेक्ट्रम घोटाला और साजिश
- Tehelka's January 2011 infographic explaining the scam
- CAG Performance Audit report on the issue of Licenses and allocation of spectrum
२जी स्पेक्ट्रम घोटाला हिन्दी निबन्ध इस घोटले में देश के अच्छे पत्रकार राजत रार्मा भी शमिल थे.....